हाई कोर्ट द्वारा अध्यापको के वेतन भुगतान के आदेशो की मुख्याध्यापक ने की मुखालफत
जामनेर ( नरेंद्र इंगले ):1909 को स्थापित जामनेर तालुका एजुकेशन सोसायटी नामक शिक्षा संस्था के गौरवशाली मेधा की चमक को अहंकार की किसी काली परछाई ने जरा सा धुन्दला कर दिया है ! शिक्षा संस्था पर वर्चस्व को लेकर जो विवाद खड़ा किया गया है उसे मीडिया दो गुटो की लड़ाई करार दे चुका है ! संस्था के कामकाज को लेकर कानूनी पेचीदगियां बढ़ती जा रही है ! कई मसलो मे हाई कोर्ट ने स्थिती साफ की , आदेश पारित किए लेकिन कोर्ट आदेशो का पालन करने के बजाय प्रशासन ने विभिन्न स्तरो पर मुखालफत की ! संस्था मे बतौर अध्यापक नियुक्त नलिनी पाटिल , गणेश माली इन दोनो अध्यापको को 2012 मे नॉन ग्रैंडेड अस्थायी कर्मी के रूप मे फत्तेपुर इकाई मे नियुक्ति दी गई !
2014 को दोनो का जामनेर इकाई मे तबादला किया गया ! 2015 मे संस्था ने प्रस्ताव पारित कर दोनो अध्यापको को स्थायी ग्रैंडेड कर्मी के रूप मे सेवा मे बहाल किया तब शिक्षा अधिकारी ने अध्यापको की सेवा से जुड़े बिन्दुओ को नकार दिया ! मामला औरंगाबाद हाई कोर्ट पहुचा जहा 4 जुलाई 2019 को कोर्ट ने अध्यापको के पक्ष मे फैसला सुनाया ! प्रशासन ने तबादले की मान्यता को खारिज कर दिया नलिनी पाटिल , गणेश माली ने फिर हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया ! दौरान शिक्षा अधिकारी ने अध्यापको की नियुक्ति को ग्रैंडेड नॉन ग्रैंडेड के फ्रेम मे वर्क किया और मुख्याध्यापक को वेतन भुगतान संबंधी कार्रवाई के आदेश दिए !
18 फरवरी 2020 को हाई कोर्ट ने दोनो अध्यापको के पक्ष मे फैसला दिया कहा कि मुख्याध्यापक अध्यापको के वेतन भुगतान को लेकर करवाई को आगे बढ़ाए ! प्रभारी मुख्याध्यापक बी आर चौधरी ने कोर्ट के आदेश अनुसार वेतन भुगतान संबंधी किसी जवाबदेही को निभाने के पक्ष मे कामकाज नही किया है ! जानकारी के मुताबिक इस मामले हाई कोर्ट की फटकार के बाद शिक्षा विभाग ने अध्यापको को लेकर अपनी ओर से जारी सभी गतिरोध समाप्त कर दिए है ! अब मामला लटका है मुख्याध्यापक के उस रवैय्ये पर जिसके कारण अध्यापको को कोर्ट से न्याय मिलने के बाद भी वेतन की प्रतीक्षा है !
वैसे प्रभारी मुख्याध्यापक की नियुक्ति को लेकर पहले भी कई विवाद हो चुके है जिसमे जिला परिषद शिक्षा विभाग की ईमानदारी पर संदेह व्यक्त करना लाजमी है ! हाई कोर्ट और शिक्षा अधिकारी के आदेश के बावजूद पीड़ित अध्यापको को मुख्याध्यापक द्वारा वेतन से वंचित रखा जाना यह बर्ताव अवश्य इस बात की ओर इशारा करता है कि न्यायपालिका पर एक ऐसी सनक भरी मानसिकता हावी हो रही है जो राजनीतिक आशीष से सरबोर है ! इस मामले मे मुख्याध्यापक के खिलाफ न्यायालय की अवमानना का मामला बनना लगभग तय है !