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आलेख : बिहार में नीतीश को कितनी चुनौती?

Tez Samachar by Tez Samachar
September 15, 2019
in Featured, विविधा
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आलेख : बिहार में नीतीश को कितनी चुनौती?

बिहार में जदयू-भाजपा के होते तल्ख रिश्तों के बीच भाजपा ने अपने नए प्रदेश अध्यक्ष का चयन सामाजिक और राजनीतिक हितों को साधते हुए किया है. जहां बिहार में संभावित है कि प्रदेश का नेतृत्व कोई पिछड़ा वर्ग की नेता ही कर सकता है क्योंकि अगड़े और पछड़ों की लड़ाई में पिछड़ों का पलड़ा भारी नजर आ रहा है. बिहार में विधानसभा के अगले चुनाव के लिए जदयू नीतीश कुमार को अपना नेता पहले ही घोषित कर चुकी है. लेकिन उसके सहयोगी भाजपा के अंदरखाने में नीतीश कुमार को नेता मानने को लेकर मतभेद है. जहां नीतीश कुमार के उप कप्तान सुशील कुमार मोदी अपने पार्टी में ही आलोचना के शिकार हो रहे हैं, इस बात को लेकर कि नीतीश कुमार के नेतृत्व में ही एनडीए अगला विधानसभा चुनाव लड़ेगा. भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व में सुशील कुमार मोदी को साधते हुए उसी वर्ग के डॉ. संजय जायसवाल को सूबे की कमान को सौंपा है.

– सुशील मोदी के ट्वीट से उपजे सवाल
भाजपा-जदयू में बढ़ते खटास को भांपते हुए सुशील कुमार मोदी ने ट्वीट पर लिखा था, ‘नीतीश कुमार बिहार में एनडीएके कैप्टन हैं और 2020 में होने वाले अगले विधान सभा चुनाव में भी वही कैप्टन बने रहेंगे. लेकिन भाजपा में ही ट्वीट को लेकर बवाल मच गया. फिर क्या नए अध्यक्ष के नाम की घोषणा के साथ ही राजनीतिक पंडितों का मानना है कि सुशील मोदी को आंख दिखाने के लिए उसी वर्ग से प्रदेश अध्यक्ष डॉ. संजय जायसवाल को बना दिया गया. बहरहाल जदयू इसे कोई बड़ी बात नहीं मान रही है.

– भाजपा में सांगठनिक बदलाव का दौर
लोकसभा चुनाव के बाद भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में सांगठनिक स्तर पर बदलाव का दौर जारी है. बिहार भाजपा में अध्यक्ष को लेकर कयासों का दौर जारी था. सांसद संजय जायसवाल को बिहार का नया अध्यक्ष बनाए जाने के साथ ही नामों को लेकर लग रही कयासबाजी का दौर थम गया.
बता दें कि केंद्रीय गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय के मोदी कैबिनेट में शामिल होने के बाद से ही कई नामों की चर्चा थी. लेकिन, भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाहने संजय जायसवाल पर भरोसा जताते हुए इन्हें ये अहम जिम्मेदारी सौंपी है.

– जातीय समीकरण एक चाल
बिहार की राजनीति में सबकुछ ठीक चल रहा था. लेकिन भाजपा विधान पार्षद संजय पासवान का बयान नीतीश कुमार को मुख्य़मंत्री बनाने का मौका अब भाजपा को दे देना चाहिए ने एक नया बखेड़ा खड़ा कर दिया है. जदयू नेताओं का साफ कहना है कि अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव में भी एनडीए की तरफ से नीतीश कुमार ही पार्टी का चेहरा होंगे. पासवान के इस बयान के बाद जदयू नेताओं ने यहां तक कह दिया कि इसका निर्णायक भाजपा नहीं है. इसी बीच दिल्ली जाकर गिरिराज सिंह से संजय पासवान का मिलना और आनन-फानन में डॉ.संजय जायसवाल के नाम की घोषणा ने एक नई राजनीति को जन्म दे दिया है.

– भाजपा की सबसे कमजोर पकड़
पिछड़े वर्गों में सबसे बड़ी आबादी यादवों की है और भाजपा की सबसे कमजोर पकड़ इसी वर्ग में है. भाजपा को पिछड़े वर्ग से तेजतर्रार नेताओं को नेतृत्व के लिए आगे लाना चाहिए. ऐसा माना जाता है कि डॉ. संजय जायसवाल किसी गुटबाजी में नहीं रहते हैं. लेकिन प्रो.नवल किशोर यादव जैसे कदावर एवं प्रखर नेता भाजपा आगे क्यों नहीं आगे ला रही है जिसकी जमीनी पकड़ यादवों सहित अन्य जाति वर्गों में बराबर की मानी जाती है. लालू प्रसाद के राजनीतिक वनवास में होने का फायदा ऐसे नेताओं को आगे कर भाजपा को उठाना चाहिए. यादवों के सिरमौर लालू परिवार खुद अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहा है.

– जनता का मिजाज किसके साथ
पिछले पंद्रह वर्ष से नीतीश सरकार के अच्छे काम करने के बावजूद बिहार की जनता में इस सरकार की लोकप्रियता में कमी आयी है. लेकिन जदयू की सांगठनिक क्षमता बढ़ी है. राजद अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहा है. कांग्रेस खुद अपने पैरों पर कुल्हाड़ी चला चुका है. भाजपा को यह लगता है कि बिहार में एनडीए के तहत चुनाव लड़कर ज्यादा से ज्यादा सीट प्राप्त कर राज्य का मुख्ममंत्री पद अपने कब्जे में करें. अगर त्रिकोणीय मुकाबला होता है तो विश्लेषकों का मानना है कि भाजपा फायदे में रहेगी. भाजपा इस बात को लेकर पूरी तरह से सतर्क है कि वर्ष 2015 के विधानसभा चुनाव की तरह किसी भी तरह 2020 के चुनाव में जदयू और राजद एक साथ न हो. अभी भाजपा में नए प्रदेश अध्यक्ष का चयन हो गया है लेकिन देखना दिलचस्प होगा कि नीतीश कुमार के साथ उसकी राजनीतिक जुगलबंदी कितना फीट बैठती है. और इसी जुगलबंदी के आधार पर ही नीतीश कुमार एवं सुशील कुमार मोदी के अस्तित्व को परखा जा सकेगा.

– मुरली मनोहर श्रीवास्तव (लेखक/पत्रकार)
मो. 9430623520
Tags: Bihar BJPBJPMurli Manohar ShrivastavNarnedra ModiNitish KumarSushil Modi
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