– जांबाजों को सम्मानित करते हुए सदर्न कमांड के कमांडिंग इन चीफ लेफ्टिनेंट जनरल एस के सैनी ने कहा
पुणे (तेज समाचार डेस्क). ‘सेना ने हमेशा खुद को तैयार रखा है. अत्याधुनिक तकनीक को हमेशा प्राथमिकता दी गई है. इसके चलते भारतीय सेना देश के अन्दर वाली (इंटर्नल) एवं सीमा से बाहर वाली (एक्सटर्नल) दोनों तरह की चुनौतियों का सामना करने मे सक्षम है. सेना विभाग द्वारा कॉम्बक्ट व्हीकल्स एवं इलेक्ट्रानिक वार को भी गंभीरता से लिया जता है. पुलवामा जैसी घटना के बाद सेना इसका जवाब देने के लिए तैयार है. यह जानकारी सदर्न कमांड के कमांडिंग इन चीफ लेफ्टिनेंट जनरल एस के सैनी ने दी.
आर्म फोर्सेस मैडिकल कॉलेज मे सदर्न कमांड द्वारा आंतकवादियों का मुकाबला करने वाले जाबांज जवानों को विशिस्ट सेवा मेडल ‘सेना मेडल’ से सम्मानित किया गया. उसके बाद आयोजित पत्रकार वार्ता को सम्बोधित करते हुए कमांडिंग इन चीफ लेफ्टिनेंट जनरल सैनी ने यह जानकारी दी. उन्होनें कहा, ‘सदर्न कमांड की ट्रेनिंग का प्रोग्राम बार बार होता है. यहां अन्दरूनी एवं बाहरी शक्तियों के खिलाफ संघर्ष की रणनीति बनाई जाती है. पुलवामा में स्थानीय युवको की मदद से हमला किया गया. आंतकी संगठन अब फिदाइन अटैक जैसे हमले के लिए भी स्थानीय युवकों का उपयोग करने लगे हैं. जम्मू-कश्मीर मे सन 2000 से आतंकी संगठन स्थानीय युवकों का उपयोग कर रहे हैं.
सेना हमेशा कानून का पालन करते हुए कार्य करते हैं. कार्यक्रम के विषय में कमांडिंग इन चीफ लेफ्टिनेंट जनरल सैनी ने कहा कि मेडल भारतीय सेना की देश के प्रति निष्ठा एवं देशभक्ति का प्रतीक हैं. सदर्न कमांड स्वतंत्रता से पहले से देश की सुरक्षा के लिए कार्यरत कमांडिंग इन चीफ लेफ्टिनेंट जनरल सैनी ने कहा कि सेना देश की सीमा के अंदर व बाहर दोनों तरह की चुनौतियों का सामना करने मे सक्षम है. जम्मू-कश्मीर सहित देश के अन्य सभी भागों तथा पूर्वी भागों मे भी सेना देश की रक्षा के लिए तैयार है. स्वतंत्रता से पहले सदर्न कमांड ने युद्ध के दौरान देश की सुरक्षा के लिए योगदान दिया था. जूनागढ़,हैदराबाद एवं गोवा मुक्ति संग्राम मे भी सदर्न कमांड 1965 एवं 1971 के युद्ध में भी शामिल थी.
सेना हमेशा कानून का पालन करते हुए कार्य करते हैं. कार्यक्रम के विषय में कमांडिंग इन चीफ लेफ्टिनेंट जनरल सैनी ने कहा कि मेडल भारतीय सेना की देश के प्रति निष्ठा एवं देशभक्ति का प्रतीक हैं. सदर्न कमांड स्वतंत्रता से पहले से देश की सुरक्षा के लिए कार्यरत कमांडिंग इन चीफ लेफ्टिनेंट जनरल सैनी ने कहा कि सेना देश की सीमा के अंदर व बाहर दोनों तरह की चुनौतियों का सामना करने मे सक्षम है. जम्मू-कश्मीर सहित देश के अन्य सभी भागों तथा पूर्वी भागों मे भी सेना देश की रक्षा के लिए तैयार है. स्वतंत्रता से पहले सदर्न कमांड ने युद्ध के दौरान देश की सुरक्षा के लिए योगदान दिया था. जूनागढ़,हैदराबाद एवं गोवा मुक्ति संग्राम मे भी सदर्न कमांड 1965 एवं 1971 के युद्ध में भी शामिल थी.