बेंगलुरु (तेज़ समाचार प्रतिनिधि): IT क्षेत्र में लगातार हो रही छंटनी से इन्फोसिस के संस्थापक चेयरमैन नारायणमूर्ति काफी आहत नजर आ रहे हैं।
आपको बता दे हाल ही में कई बड़ी IT कंपनीयो ने अपने कर्मचारियों की छटनी सुरु कर दी है। नारायण मूर्ति ने लागत में कटौती के उपाय के तौर पर कर्मचारियों को नौकरी से हटाये जाने पर दुख जताया है। उन्होंने ई-मेल से भेजे जवाब में कहा कि यह काफी दुख पहुंचाने वाला है। उन्होंने कहा है कि IT क्षेत्र की कंपनियां जिस रफ्तार से कर्मचारियों की छंटनी कर रही हैं, उससे इस क्षेत्र में आधे कर्मचारी भी नहीं रह जायेंगे।
मूर्ति ने अपनी ही कंपनी इंफोसिस के लिए गए एक्शन पर सवाल उठाते हुआ कहा है कि उन्होंने लागत में कटौती के नाम पर कर्मचारियों की छंटनी पर दुख है। इंफोसिस ने घोषणा की है कि वह छमाही कार्य प्रदर्शन की समीक्षा करते हुए अपने मध्य और वरिष्ठ स्तर के सैकड़ों कर्मचारियों की छंटनी कर सकती है।
IT सेक्टर की दूसरी कंपनियां- विप्रो और कॉग्निजेंट भी अपनी लागत को नियंत्रित करने के लिए ऐसे ही कदम उठा रही हैं।
अमेरिका की कंपनी कॉग्निजेंट ने अपने निदेशकों, सहायक उपाध्यक्षों और वरिष्ठ उपाध्यक्षों को 6 से 9 माह के वेतन की पेशकश करते हुए स्वैच्छिक सेवानिवृति कार्यक्रम की पेशकश की है। खबरों के मुताबिक विप्रो भी सालाना कार्य प्रदर्शन आकलन के आधार पर करीब 600 कर्मचारियों को नौकरी छोड़ने के लिए कहा है। इस बारे में ऐसी भी चर्चा है कि यह संख्या 2,000 तक पहुंच सकती है।
ऑटोमेशन, रोबोटिक्स के अलावा अमेरिका समेत अधिकांश विकसित देशों की आर्थिक और राजनीतिक उथल-पुथल से टेक कंपनियों के बिजनेस में कमी आई है। विभिन्न देशों में बढ़ती संरक्षणवादी प्रवृति से भी 140 अरब डॉलर के भारत के आईटी उद्योग के समक्ष चुनौती खड़ी हो रही है। भारतीय कंपनियां अब विदेशों में काम के लिए वर्क वीजा पर अपनी निर्भरता कम कर रही हैं और इसके बदले विदेशों में स्थानीय लोगों को ही काम पर रख रहीं हैं, ताकि उनके ग्राहक बने रहें। हालांकि, इससे उनके मार्जिन पर असर पड़ सकता है।
हेड हंटर इंडिया के अनुसार अगले तीन साल तक सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्र में सालाना 1.75 लाख से दो लाख के बीच रोजगार के अवसर में कटौती की जा सकती है। नई प्रौद्योगिकी अपनाने और उसकी तैयारी के चलते कंपनियां इस तरह के कदम उठा रही हैं। मैंकजीं एण्ड कंपनी की नॉस्कॉम इंडिया लीडरशिप फोरम में सौंपी गई एक रिपोर्ट के मुताबिक आईटी सेवा कंपनियों में अगले तीन से चार साल के दौरान करीब आधे कर्मचारी अप्रासंगिक हो जाएंगे।