अल्बर्ट आइंस्टाइन जैसे मशहूर वैज्ञानिक की यादाश्त कुछ ज्यादा अच्छी नहीं थी। उन्हें डेट्स और टेलीफोन नंबर भी याद रखने में प्रॉब्लम होती थी। उन्हें उनका खुद का नंबर भी याद नहीं रहता था। आइंस्टाइन के एक सहकर्मी ने उनसे उनका टेलीफोन नंबर पूछा तब आइंस्टाइन अपने पास रखे डायरी में अपना टेलीफोन नंबर ढूंढने लगे। सहकर्मी चकित होकर बोला आपको अपना खुद का टेलीफोन नंबर भी याद नहीं है।
अल्बर्ट आइंस्टाइन बोले नहीं मैं किसी ऐसे चीज को भला क्यों याद रखूं, जो मुझे किताब में ढूंढने से मिल जाती है।
अल्बर्ट आइंस्टाइन कहा करते थे कि वह कोई भी ऐसी चीज याद नहीं रखते जिसे दो मिनट में ढूंढा जा सकता हो। उनके अनुसार ऐसी चीजों को य्याद रखना मूर्खता होगी।
आइंस्टीन की पत्नी आइंस्टीन की लापरवाही से अधिक परेशान थी वह उन्हें अक्सर ठीक से कपड़े पहनने व अच्छी तरह तैयार होने की सलाह देती थी।
इस पर आइंस्टीन का सदैव यही जबाब होता था “मैं ऐसा दिखावा क्यों करूँ” मुझे तो हर कोई वहां जानता है”।
एक बार जब अल्बर्ट आइंस्टीन अपने पहले प्रमुख सम्मेलन में भाग लेने जा रहे थे तो उनकी पत्नी ने उन्हें फिर से अच्छे तरीके से तैयार होने के लिए कहा।
आइंस्टीन का जबाब था “मैं ऐसा क्यों करूं वहां मुझे कोई नहीं जानता”।
एक बार अल्बर्ट आइंस्टीन ट्रेन से यात्रा कर रहे थे। ट्रेन कंडक्टर प्रत्येक व्यक्ति का टिकट चेक करते हुए आइंस्टीन के पास आया। आइंस्टीन ने अपनी कमीज, पैंट की जेब को देखना शुरू कर दिया, ब्रीफ़केस में देखा और आखिर में अपनी सीट के आसपास टिकट ढूंढना शुरू कर दिया लेकिन टिकट उन्हें नहीं मिला। कंडक्टर ने कहा कि “आप चिंता मत करें डॉ आइंस्टीन। मुझे पता है कि आप कौन हैं? और मुझे यकीन है कि आपने टिकट जरूर खरीदा होगा।” आइंस्टीन ने धीरे से हामी भरी।
कंडक्टर ने गलियारे में अन्य व्यक्तियों के टिकट चेकिंग को जारी रखा। कुछ समय बाद वह फिर से वापस आया। उसने देखा कि आइंस्टीन अपने घुटने के बल झुक कर अपनी सीट के नीचे टिकट खोज रहे हैं। कंडक्टर ने वापस मुड़ते हुए कहा “डॉ आइंस्टीन आप चिंता न करें आपको टिकट की जरूरत नहीं है। मैं आपको अच्छी तरह जानता हूँ। मुझे पता है कि आपके पास टिकट हैं।”
आइंस्टीन ने कंडक्टर को देखते हुए कहा “ये तो मुझे भी अच्छी तरह पता है की मेरे पास टिकट है। लेकिन मुझे ये नहीं पता कि मैंने टिकट कहां के लिए लिया है। यही पता करने के लिए मैं अपने टिकट खोज रहा हूं।”
वैसे तो अलबर्ट आइंस्टाइन कि सभी खोजें विश्व प्रसिद्ध है, लेकिन उनकी सबसे ज्यादा प्रसिद्धि तब हुई थी जब उन्होंने सबसे प्रसिद्ध खोज सापेक्षतावाद का सिद्धांत अर्थात E = mc2 पर पत्र प्रकाशित किया था, अर्थात इसकी खोज की थी।
जब आइंस्टाइन प्रिंसटन यूनिवर्सिटी में कार्यरत थे, तो एक दिन यूनिवर्सिटी से घर वापस आते समय वह अपने घर का ही पता भूल गए। यद्यपि प्रिंसटन के अधिकतर लोग आइंस्टाइन को पहचानते थे किंतु वह जिस टैक्सी में बैठे थे, उस टैक्सी का ड्राइवर उन्हें नहीं पहचानता था। आइंस्टाइन ने ड्राइवर से कहा कि क्या तुम्हें आइंस्टाइन का पता मालूम है? तो ड्राइवर ने जवाब दिया प्रिंसटन में भला कौन उनका पता नहीं जानेगा। यदि आप उनसे मिलना चाहते हो तो मैं आपको उनके घर तक पहुंचा सकता हूं। तब आइंस्टाइन ने ड्राइवर को बताया की वही अल्बर्ट आइंस्टाइन है, और अपने घर का पता भूल गए हैं। यह जानकर टैक्सी ड्राइवर ने उन्हें उनको घर तक पहुंचाया ।
- सुधांशु