मुंबई (तेज समाचार डेस्क) मशहूर फिल्म कलाकार और संवाद लेखक कादर खान को ऐसे शख्स के तौर पर जाना जाता है, जिनके हास्य से भरे संवाद किसी भी उदास व्यक्ति के चेहरे पर मुस्कुराहट ला सकते थे. लेकिन दुनिया को हंसानेवाला यह शख्स भी अपनी जिंदगी में दर्द और दु:ख के लंबे दौर से रू-ब-रू हुआ.
कादर खान की मां की मौत एक अप्रैल को हुई. जब कादर खान ने लोगों को मां के निधन की जानकारी दी तो लोगों ने इसे अप्रैल फूल समझा. मां की मौत भी बेहद दर्दनाक थी. जब कादर स्टेट प्ले कंप्टीशन से वापस लौटे तो उन्होंने देखा कि मां खून की उल्टियां कर रही हैं. मां की हालत देख वह डॉक्टर को बुलाने गए तो उसने मना कर दिया. इसके बाद कादर फिल्मी अंदाज में डॉक्टर को जबरन उठाकर घर ले आए और कहा अब देख मेरी मां को. हालांकि तब तक उनकी मां गुजर चुकी थीं. बहुत सालों तक वे कहते रहे कि ये दर्द तकलीफ के साए मुझे पूरी जिंदगी सालते रहे.
– काफी गरीबी में गुजरा था कादर खान का बचपन
कादर खान का बचपन बेहद परेशानी के दौर में गुजरा. उनके माता पिता अफगानिस्तान की राजधानी काबुल से थोड़ी दूर रहते थे. कादर खान के जन्म के बाद उनके मां-बाप मुंबई आ गए. यहां वे लोग स्लम एरिया में रहने लगे. यहां शराब, जुआखाने तो थे ही, इसके साथ-साथ वहां हत्याएं भी होती थीं. इससे कलाप्रेमी मन के कादर काफी विचलित रहते थे. इसी समय उनके मां-बाप में झगड़ा भी होने लगा और फिर उनका तलाक हो गया.
– 3 दिन में एक बार ही मिल पाता था खाना
पाकिस्तान से आए कादर खान के नाना और मामा ने उनकी मां की दूसरी शादी करा दी. कादर खान का सौतेला बाप उन पर बहुत अत्याचार करता था. वह उन्हें अपने पहले बाप से जबरन पैसे मांगने भेजता. दो रुपए की भीख मांगने कादर कमाठीपुरा से सड़क तक पैदल चलकर जाते. एक बार एक इंटरव्यू में कादर ने उल्लेख किया था कि कैसे वह और उनकी मां एक रुपये के दाल-आटा और घासलेट में गुजारा करते थे और पूरे हफ्ते में सिर्फ 3 दिन खाना खाकर काम चलाते थे. बाकी दिन भूखे पेट ही पड़े रहते थे. पैसे कमाने कादर ने मजदूरी शुरू कर दी, लेकिन मां ने केवल पढ़ाई करने को कहा. मां की सीख के बाद पढ़ाई ही उनकी जिंदगी बन गई. अभिनय और दूसरों की नकल का उन्हें शौक था, जिसका अभ्यास वह घर के पास बने एक कब्रिस्तान में करते थे और वहीं उन्होंने अपनी एक्टिंग को निखारा.