जामनेर : CEO की चौपाल मे सभी ठेकेदार लाइन हाजिर : कार्रवायीयो के निर्देशनिर्देश
जामनेर (नरेंद्र इंगले):छोटी मोटी समस्याए आप स्थानीय स्तर पर सुलझाने मे असफ़ल रहे हो , आखिरकार मुझे स्वयम यहा मीटिंग को आना पडा इस तरह पंचायत प्रशासन पर अपनी गहरी नाराजगी जताते हुए जिला परीषद के CEO श्री शिवाजी दिवेकर ने जलापूर्ति समीक्षा बैठक मे अधिकारीयो को लताडा वहि संबंधित ठेकेदारो को लाइन हाजिर किया . सोमवार दोपहर पंचायत समिती सभागार मे लंबीत जलापूर्ति योजनाओ के लिए CEO कि अध्यक्षता मे समीक्षा बैठक का आयोजन किया गया . काले कोट मे पधारे CEO ने तहसिल क्षेत्र के सुखाग्रस्त गांवो मे चलायी जा रहि पेयजल आपूर्ति योजनाओ का ब्योरा लिया . किन्ही , कापूसवाडी , महुखेडा , मुंदखेडा , नवीदाभाडी , फत्तेपुर , शहापुर , तोरनाला , वडगांव , शेंदुर्नी समेत अन्य दर्जनो गांवो मे बिते कयी बरसो से खटायी मे पडी सरकारी पेयजल आपूर्ति योजनाओ पर CEO ने सिलसिलेवार ढंग से संबंधित ठेकेदारो के समक्ष बकायदा कैलेंडर सामने रखकर लंबीत योजनाओ के पूर्तता के लिए स्थानीय अधिकारीयो को दिसंबर 2018 तक का टाईम लिमीटस सुनिश्चित कर दिया . यहि नहि समीक्षा के दौरान CEO ने कुछ मामलो मे वांछीतो पर फ़ौजदारी दायर करने के भी निर्देश दिए .
वहि मुंदखेडा के सुनील जोशी और पालधी निवासी ग्रामीनो ने तो अपना दुखडा सुनाते सिधे CEO के सामने अधिकारीयो के भ्रष्टाचार कि पोल खोल दि . पालधी प्रकरण मे CEO ने प्रशासन को उनके सामने सुनवायी के आदेश दिए . 3 बजे आरंभ हुयी इस मीटिंग के लिए करीब 40 से 50 ठेकेदार उपस्थित रहे तो ग्रामसेवक बिल्कूल नदारद पाए गए . मंच पर डिप्युटी CEO श्री अलकांडे , कार्यकारी अभियंता श्रीमती नरवाडे , BDO श्री अजय जोशी मौजुद रहे . शायद यह पहला वाकया तथा दिलचस्प बात होगी कि किसी तहसिल के स्थानीय विषय को लेकर जिला परीषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी जो जिला ग्रामीण प्रशासन का मुखिया होता है उन्हे खुद समीक्षा बैठक करना पडी हो . और वह भी उन लंबीत पेयजल आपूर्ति योजनाओ को लेकर जो सुबे के जलसंसाधन मंत्री और तहसिल के जनप्रतिनीधी गिरीश महाजन के मंत्रालयो का हिस्सा है .
बहरहाल औसत से कम बारीश के कारण तहसिल के कुल 180 गांवो मे से लगभग 100 गांव ऐसे है जिन्हे वैशाख के पहले हि टैंकर से पेयजलापूर्ति कि जानी तय है . करीब आधे से ज्यादा गांवो कि करोडो कि लागत वाली पेयजलापूर्ति योजनाए या तो भ्रष्टाचार कि भेंट चढ चुंकि है या फ़िर कथित आर्थिक लेनदेन के बेमेल से प्रशासनिक फ़ाइलो मे अटक पडी है . वहि अगर इन मे से अमुमन 70 फीसद योजनाए भी इमानदारी से पूरी हो जाती तो यकिनन सुखे का सामना करने कि जनमानस कि क्षमता काफ़ि विकसित हो पाती इस तरह के विचार बुद्धिजिवीयो मे व्यक्त किए जा रहे है .