” बैन कल्चर ” से प्रभावीत रह पाएंगे अवैध धंधे ?
जामनेर (तेज़ समाचार प्रतिनिधि ):जिला पुलिस अधिक्षक दत्तात्रय कराले के तबादले के बाद उनकि जगह पदभार स्विकार चुके दत्तात्रय शिंदे ने हमेशा कि तरह अन्य अधिकारीयो जैसे अपनी अनूशासनात्मक अनूकरण प्रियता को अवैध धंधे बंद कराकर दोहराया है . पुरे जिले मे जुआ , सट्टा , मटका , अवैध शराब जैसे लगभग सभी गैरकानूनी व्यवसाय दार्शनीक ढंग से बंद कराए गए है . कहि कहि स्थानीयो के आशिष से चोरी छिपे चलाए भी जा रहे है . जामनेर मे भी नूतन पुलिस निरीक्षक प्रतापसिंह शिकारे कि नियुक्ती के दो सप्ताह बाद अवैध धंधो को लेकर अमल मे लायी गयी सख्ती से सभी गैरकानूनी व्यवसाय सोमवार यानी आज से बंद किए गए है .
अब इसे भले हि संजोग कहे या व्यंगात्मकव विपरीटता या फीर कुछ और इस बैन के पूर्वसंध्या पर हि रवीवार कि रात शहर के शापिंग मौल्स मे स्थित अस्थापनो से अंजान तत्वो ने 70 हजार रुपये कि सेंधमारी कि वारदात को सफलतापूर्वक अंजाम देकर पुलिस कि मुश्तैदी को परखने का प्रयास किया हो . वैसे तो अवैध व्यवसायो पर प्रासंगिक बैन कि यह कोई पहली पहल नहि है अभी तो इस तरह के बैन वाले फैसले बैन के कुछ अंतराल के बाद लतिफ़ा बनते नजर आते रहे है . जब कि साधारण अर्थव्यवस्था से जुडे कयी ऐसे पहलु इन अवैध धंधो से प्रभावीत होने कि क्षमता रखते हो तब भला उक्त तरीके कि प्रासंगिक सख्ती का मतलब क्या निकाला जाना चाहिए जब कि यह सभी बैन कि गयी गतविधीया बाद मे सुचारु हो जाती है ऐसा तर्क बुद्धिजिवीयो मे व्यक्त किया जाने लगा है .
यहि सवाल आम लोगो को सता रहा है की आखिर प्रशासन का “बैन कल्चर” कब तक केवल प्रासंगिक बना रहते हुए चर्चा का विषय बनता रहेगा . बहरहाल अब के बैन से कथित बाजारो कि उन गलियो मे फीर से सन्नाटा पसारा है जहा कल तक गहमागहमी थी .