जामनेर( तेज समाचार प्रतिनिधि ):9 सितंबर कि रात करीब 8 बजे निगम तिराहे और गांधी चौक मे बैल पोला ( महाराष्ट्र मे मनाया जाता कृषि संस्कृति का प्रतीक ) वाला त्योहार स्थानीय किसानो मे पारंपारीक ढंग से मनाया जा रहा था . पुराने जामनेर के निवासी पुश्तैनी किसान अपने पशुओ को सजाकर ढोल नगाडो कि गुंज के साथ निकली बारात मे तल्लीन थे . कि अचानक गांधी चौक से निगम तिराहे तक पहुचे सब इंस्पेक्टर विकास पाटील किसी शख्स के पीछे पाचोरा सडक पर तेज दौडने लगे और उन्होने उस शख्स को महज 100 मीटर के अंतराल मे हि झपटकर पकड लिया . और उस तत्व को कब्जे मे लेकर थाने कि ओर बढे . मौके पर मौजुद सैकडो चश्मदीतो को पुरा वाकया पता भी न था कि कुछ जानकार तमाशबीनो से कि गयी पुछताछ से पता चला कि किसी नेताजी के सेवादार रहे कथित शख्स ने नेताजी के नाम का दुरुपयोग कर सराफ़ा बाजार से कुछ जेवरातो कि सिलसिलेवार तरीके से व्यक्तीगत खरीदारी कि थी जिसका भंडाफ़ोड होने के बाद संदेह के चलते उसे पुलिस ने दबोचा था .
पुलिस इसी मामले कि जांच मे जुटी थी कि तभी यह महोदय जो रफुचक्कर होना चाहता था वह सब इंस्पेक्टर कि मुश्तैदी के कारण भागने के प्रयास मे असफ़ल रहा .1970 कि दशक मे बनी हिंदी फील्मो मे फील्माए गए ऐसे कयी दृश्य तब के दर्शको ने यकिनन परदे पर देखे होगे और आज कल वर्तमान पिढी शायद हि टी वी पर देखती होगी .जो आज प्रैक्टिकली जामनेर के लोगो को दिखायी दिया . इस मामले को लेकर कोतवाली मे प्राथमिकि दर्ज होने कि कोई जानकारी नहि मिल सकि है . रहि बात मिडीया द्वारा इस मामले के न्यूज कवरेज कि तो उसे संबंधित एजंसीयो मे किस तरह तरजीह दी जाएगी यह पाठको के अनूसंधान का विषय होगा . वैसे तो कानुन कि किताबो से समाज को यहि वचनामृत दिया जाता रहा है कि अपराधी का कोई फीरका – जाती – धर्म या मजहब नहि होता जो कुछ हद तक कहने सुनने और लिखने को अच्छा लगता है . बहरहाल इस विषय को लेकर जनता मे कयी चर्चाए गर्मा रहि है और पुलिस से यह उम्मीद कि जा रहि है कि वह इसी तरह उन मामलो मे भी अपनी फूर्ती का परीचय देती रहेगी जो कलमबद्ध करवाए जा चुके है .