नंदुरबार ( तेजसमाचार प्रतिनिधि ) – समस्त समाज जीवन एवं विश्वभर का मानवीय जीवन अत्यधिक समस्याओं और अंतर्विरोधों से ग्रसित है. यदि सुख, समृद्धि, शांति ,सुरक्षा , प्रयावरण आदि की बात कि जाये तो जनजाति भाई ही भारत माता के सच्चे सपूत हैं. उक्त उदगार राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति अयोग के अध्यक्ष नंदकुमार साय ने नंदुरबार में आयोजित जनजाति चेतना परिषद के समापन समारोह के अवसर पर कहे.
अपने अध्ययन पूर्ण भाषण में राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति अयोग के अध्यक्ष नंदकुमार साय ने जनजाति कि भूमिका को स्पष्ट किया. भगवान इस शब्द के अर्थ एवं धरती माता के विभिन्न रूपों को स्पष्ट करते हुए श्री साय ने कहा कि जनजाति परंपराओं का पालन करने से पर्यावरण सहित पृथ्वी एवं मानव जाति का अपने आप संरक्षण होता है उन्होंने कहा कि धर्म का अर्थ विशेषज्ञों व जानकारों ने कितने सुंदर व सटीक शब्दों में प्रस्तुत किया है. इस विषय पर श्री सहाय ने अपने विचार व्यक्त करते हुए विषय को स्पष्ट किया. उन्होंने कहा कि धैर्य,क्षमा, त्याग, चोरी व धोखाधड़ी ना करना, स्वक्षता, इंद्रियों पर नियंत्रण, वीरता,विद्या ,सत्य आदि प्रकार के 10 गुणों का आत्मसाद ही धर्म होता है. धर्म की व्याख्या करते हुए उन्होंने संस्कृत श्लोक का विवेचन करते हुए उदाहरण भी प्रस्तुत किए.
नंदकुमार साय ने बताया कि शासकीय व प्राथमिक विद्यालयों में के प्रति अनास्था यह सभी समाज के विद्यार्थियों के लिए हानिकारक है. जिसे त्वरित खत्म करना चाहिए. जनजाति समाज के विद्यार्थियों में अच्छे क्रीड़ा कौशल्यगुणों का विकास हो सके, इसके लिए प्रयास करना चाहिए. ताकि वह देश के गौरव स्थापित हो सके. ऐसे में धर्मांतरण व अन्य अप्रिय घटनाओं को भी रोका जा सकता है. श्री साय ने कहा कि इसके लिए इस प्रकार की संस्थाएं प्रारंभ करने के लिए पचास करोड़ का खर्च करने की योजना भी हम लागू कर सकेंगे.
उन्होंने कहा कि जनजाति समाज के अनेक भूखंड , जमीन हड़प ली गई है वह किसी भी हालत में उन्हें वापस दिलाना है. जनजाति के उत्थान के लिए सभी समाज के लोगों द्वारा सहयोग दिया जाना चाहिए. जनजाति समाज के बच्चों को अधिक से अधिक खेल क्षेत्र में बढ़ावा मिलना चाहिए. इन्हें सेना में नियुक्तियां देनी चाहिए क्योंकि देश में सभी जगह राष्ट्रीय संस्कार का अभाव है. ऐसे में सिर्फ धर्मसूत्र का पालन करते हुए अर्थात धरती, राष्ट्र के प्रति समर्पण सिर्फ जनजाति समाज का ही रहा है. जनजाति समाज किसी से भी धोखा फरेब नहीं करता. इसीलिए पर्यावरण सुरक्षा, प्राकृतिक संपदा, कन्या भ्रूण हत्या , आत्महत्या आदि बातों की समस्या इस समाज में नहीं है. श्री साय ने कहा कि भोले भाले जनजाति भाइयों को धर्मांतरण वादी व नक्सलवादी ताकतों से दूर रखने के लिए सतर्कता बरतना आवश्यक है. तभी सारा देश एवं सीमाएं भी सुरक्षित रह सकेंगी. इस दौरान राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग के अध्यक्ष नंदकुमार साय ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का एक सुंदर भी प्रस्तुत किया.
“निर्माणों के पावन युग में,
हम चरित्र निर्माण न भूलें
स्वार्थ साधना की आंधी में
वसुधा का कल्याण ना भूलें !!”
इस पद को अपनी प्रखर आवाज में प्रस्तुत करते हुए नंदकुमार साय ने जनजाति समाज के लोग ही श्रेष्ठ हिंदू किस प्रकार से हैं यह स्पष्ट किया. उन्होंने एक कविता “मैं वही प्रतापी हिंदू हूं” गाते हुए उसका अर्थ स्पष्ट कर लगभग 1 घंटे के अपने भाषण में जनजाति समाज के लोगों को ही भारत माता का सच्चा सपूत स्पष्ट किया.
दूसरे सत्र में सामूहिक गीत प्रस्तुत कर कार्यक्रम की शुरुआत हुई. इस दौरान जनजाति समाज के प्रेरणास्पद व्यक्तियों का सम्मान भी किया गया. जिसके अंतर्गत पारंपरिक कला संचयन क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए ओल्या रुपा पाडवी (काठी), रावलापाणी परिसर में सामाजिक प्राकृतिक देखभाल के लिए रतिलाला कामा पावरा (रावलापाणी), प्रशासन सेवा में मेधावी एवं विशेष सेवा पदक से सम्मानित ट्राईबल टैलेंट फाउंडेशन के अजय खर्डे ( तलोदा ), वैज्ञानिक खेती एवं पशुपालन में योगदान के लिए रशीद वलवी (धनराट), अर्चना वलवी (पालीपाडा) को स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया गया.
इस दौरान ‘जनजाती का संघटन कर, ध्येय मार्गपर चलते है हम….’ यह सामूहिक पद्य उत्साह के साथ प्रस्तुत किया गया.
कार्यक्रम के अंतिम सत्र में नागपुर की निलिमाताई पट्टे (नागपूर) ने आदिवासी संस्कृति की स्त्री को संस्कारित होने का दावा करते हुए उदाहरण प्रस्तुत किए. उन्होंने कहा कि समाज में व्यापक बदलाव के लिए वनवासी संस्कृति की महिलाओं का समावेश होना चाहिए. जनजाति चेतना परिषद के सचिव डॉ. विशाल वलवी ने बताया कि 1995 से नकली आदिवासी के रूप में एक बहुत बड़ी बीमारी सामने आई है. डॉ. वलवी ने उदाहरण व साक्ष्य प्रस्तुत करते हुए जानकारी दी कि बेग, कोलम, अन्सारी आदी प्रकार के नकली जाति प्रमाण पत्र उपलब्ध कराए गए हैं. औरंगाबाद के वी. एस. पाटिल भ्रष्ट कर्मचारी ने प्रत्येक परिवार से तीन लाख लेते हुए 7500 नकली जाति प्रमाण पत्र वितरित किए हैं.
उन्होंने कहा कि कुल 47 जनजाति होते हुए आज की स्थिति में 84 जनजातियां किस प्रकार से हो गई? इन नकली जाति प्रमाण पत्र पर कार्रवाई की लटकती तलवार देखकर संबंधित लाभार्थियों ने किस प्रकार से एक करोड़ 7लाख रुपय दंड भरा इसका उदाहरण भी डॉ. वलवी ने दिया. उन्होंने कहा कि उच्चतम न्यायालय ने 4500 नकली आदिवासी नौकरी धारकों को निलंबित करने का आदेश भी दिया है. इस प्रकार की ठगी व धोखाधड़ी टालने के लिए शासन ने कठोर निर्णय जारी करने चाहिए. अन्यथा देवगिरी कल्याण आश्रम की ओर से राज्य भर में आंदोलन किए जाएं. बारीपाड़ा के प्रख्यात समाजसेवी चैतराम पवार ने सामूहिक वन अधिकार गांव को मिले इस प्रकार के प्रयास करने की आह्वान भी किया. उन्होंने कहा कि जंगल, वन, जल , गो-धन आदि का चक्र यदि टूटा तो कुल मिलाकर मानवीय समाज समृद्धि से दूर हो जाएगा. उन्होंने पानी की किल्लत बेरोजगारी स्थानांतरण एवं सूखा आदि समस्याओं को इस चक्र से जोड़ते हुए भविष्य में ऐसी समस्याएं व्यापक प्रमाण पत्र व पैमाने पर बढ़ने के संकेत भी दिए.
आयोजकों की ओर से सचिव डॉ. विशाल वलवी ने आभार व्यक्त करते हुए कहा कि नंदुरबार में आयोजित इस जनजाति चेतना परिषद में नंदुरबार जिले के अलावा आसपास के जिलों से भी जनजाति समाज के लोगों ने उपस्थित रहकर भरपूर लाभ लिया है. डॉ. वलवी ने कहा कि आगामी वर्ष में भी इस प्रकार की परिषद का आयोजन किया जाएगा. कार्यक्रम का समापन जनजाति समाज के भाइयों द्वारा भारत माता की जय के गुंजायमान वातावरण के साथ हुआ.