(नरेंद्र इंगले) संवाददाता जामनेर – जलगाँव जिले की राजनीति में जामनेर तहसील का हमेशा से बड़ा योगदान रहा है. यही कारण है कि पूर्वकाल से जामनेर के दिग्गजों को महाराष्ट्र की उच्च स्तरीय राजनीती भी कभी नज़रअंदाज नहीं कर पाई. महाराष्ट्र कि राजनीती मे जामनेर से विधान परीषद के उपसभापती के रुप मे पहली बार वैभव प्राप्त हुआ था.
शेंदुर्नी के आचार्य श्री गजाननराव गरुड को यह राज्यस्तरीय सम्मान प्राप्त हुआ ! आचार्य गरुड जानते थे की जामनेर तहसील को राज्य के मानचित्र में स्थाई स्थान स्थापित करवाना है तो परिसर में शिक्षा की अलख जगानी होगी. तहसिल क्षेत्र के शेंदुर्नी समेत जिले के दुर्गम इलाको मे गरीबो को मुफ़्त शिक्षा मुहैय्या कराने हेतु उस समय आचार्य ने दी शेंदुर्नी एजुकेशन सेकंडरी सोसायटी कि नींव रखी !
आज उन्ही कि बदोलत संस्था ने अपनी करीब 18 इकाइयों के माध्यम से हजारो छात्रो के जीवन को प्रकाशमान करने का अविरल व्रत जारी रखा है ! आचार्य के बाद 1997 मे संस्था की बागडोर उनके भतीजे श्री संजय गरुड ने संभाली !
आजादी के बाद से अब तक शेंदुर्नी जिला परीषद गुट पर गरुड परीवार के लोकस्नेह के कारण लहराते काँग्रेस के तिरंगे की शान आज भी संजय गरुड इनके कुशल राजनैतिक प्रबंधन और व्यापक जनाधार के कारण राष्ट्रवादी काँग्रेस की मजबूत स्थिति के रूप मे बरकरार है ! दादा इस जन उपाधी से परीचित संजय गरुड आज तहसिल मे मुख्य विपक्षी नेता के तौर पर आम लोगो की आवाज बनकर उभरे है !
2004 मे विधानसभा के आम चुनाव मे निर्दलिय प्रत्याशी के रुप मे मैदान मे उतरे संजयदादा को तब जनता ने 43 हजार वोट देकर अपना जननायक चुन लिया था ! 2009 मे काँग्रेस के टिकट पर लडने वाले दादा उर्फ़ संजय गरुड़ को 83 हजार वोट मिले लेकिन महज 7 हजार वोटो के अभाव से उन्हे हार का सामना करना पडा ! इसी दौरान आम लोगो मे दादा के व्यक्तीत्व को संघर्ष के प्रतिक के रुप मे पहचाना जाने लगा !
राष्ट्रीय काँग्रेस के जिलाध्यक्ष रहते उन्होने काँग्रेस को नवसंजिवनी देने का नित्य प्रयास किया ! क्षेत्र की राजनीती मे पनपे तत्कालिन हालातो के चलते 1995 का वह एक पडाव ऐसा भी रहा जो परीवर्तन का दौर बना था ! 2004 से अब तक 15 सालो मे गरुड कि व्यक्तीरेखा ने जनता के बीच अपनी अलग छाप छोडी है ! जिसे बीते पांच सालो मे उनके द्वारा किए गए जनआंदोलनो ने लोगो को एक आश्वासक दिशा देने का काम किया !
राज्य की मौजूदा फडनवीस सरकार की किसान विरोधी नितीयो के खिलाफ़ बेखौफ़ बेबाक होकर बुलंदी से आवाज उठाने की अपनी शैली से गरुड आज लोगो के बीच निडर वक्ता मजबुत नेता के रुप मे पहचाने जाते है ! कहा जाता है कि राजनिती मे पर्याप्त संसाधनो का अभाव सशक्त विपक्ष कि कमजोरी रहा है लेकिन इस मामले मे गरुड ने कभी भी इसकी परवाह भी नहीं की.
प्रतिकुल परीस्थितीयो मे पदाधिकारीयो के साथ पार्टी संगठन को मजबुती प्रदान करते जनसमस्याओ को लेकर वह सरकार का मुखर विरोध करते रहे उन्होने लोकतंत्र को मजबुती प्रदान कि ! उनके अंदर कि प्रशासनीक खुबीयो तथा सच्चे स्वभाव गुण मे छिपी अनंत संभावनाओ के कारण 2019 कि आगामी विधानसभा के लिए आज जनता और सभी पिडीत तबको कि पहली और आखिरी पसंद केवल संजय गरुड है !
दादा के जन्मदिवस की पुर्वसंध्या पर संवाददाता द्वारा उन्हे फ़ोन पर बधायी देने के बाद आम जनता तथा पार्टी कार्यकर्ताओ को उनके द्वारा दिए गैर राजनितीक संदेश को प्रसारीत करने के सार्वजनिक अनुरोध स्वरुप उन्होने कहा कि ” आज सुबे के साथ पुरे तहसिल कि आवाम भीषण अकाल का सामना कर रहि है , सैकडो गांवो मे पानी के टैंकर चल रहे है ऐसे मे सालगिराह का हर्ष मनाना मानवता के विपरीत है ! मै अपने सभी चाहने वालो से यहि अनुरोध करता हु कि मुझे बधाई देने के लिए अनावश्यक खर्च न करे ! सुखाग्रस्तों की सहायता , पक्षियो के लिए पीने के पानी तथा भोजन सामग्री का प्रबंध करे !