नई दिल्ली (टीम तेजसमाचार ) – ओरेवा समूह, मोरबी के प्रबंध निदेशक जयसुख भाई पटेल ने विगत वर्ष झूलता पुल टूटने की घटना के संबंध में मंगलवार को मोरबी की एक अदालत में आत्मसमर्पण कर दिया ।
पुलिस द्वारा 27 जनवरी को दाखिल किये गए आरोप पत्र में जयसुख पटेल को घटना के एक आरोपी के रूप में नामजद किया था ।
जयसुख पटेल ने मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत के सामने आत्मसमर्पण कर दिया, जिसने उनके खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया था ।
विदित हो कि अजंता मैन्युफैक्चरिंग लिमिटेड (ओरेवा ग्रुप) मोरबी में मच्छू नदी पर ब्रिटिश काल के झूलता पुल के संचालन और रखरखाव के लिए जिम्मेदार था, जो मरम्मत के कुछ दिनों बाद विगत वर्ष 30 अक्टूबर को टूट गया था। इस हादसे में 135 लोग मारे गए थे ।
आरोपी पटेल समेत और नौ अन्य आरोपियों के खिलाफ आपराधिक लापरवाही का मामला दर्ज किया गया था, जो पहले से ही न्यायिक हिरासत में जेल में हैं पुलिस ने हाल ही में गिरफ्तारी वारंट जारी किया गया था । जिन अन्य नौ आरोपियों पर आरोप लगाया गया है। उनमें कॉन्ट्रैक्टर प्रकाश परमार (61) और देवांग परमार (31), मरम्मत कार्य करने वाले उप-ठेकेदार, ओरेवा समूह के प्रबंधक दीपक पारेख और दिनेश दवे, मनसुख टोपिया, महादेव सोलंकी, अल्पेश गोहिल, सिक्योरिटी गार्ड अल्पेशभाई , दिलीपभाई और मुकेश भाई शामिल हैं । मंगलवार मामले में पीड़ितों का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील दिलीप अगेचानिया ने कहा, ”जयसुख पटेल ने मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (सीजेएम) एम जे खान की अदालत में आत्मसमर्पण कर दिया, जिसने उनके खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया था।”
सीजेएम की अदालत में पुलिस उपाधीक्षक पी एस जाला द्वारा दाखिल 1,200 से अधिक पन्नों के आरोप पत्र में, पटेल का जिक्र दसवें आरोपी के रूप में किया गया था। उन्होंने गिरफ्तारी की आशंका के मद्देनजर अग्रिम जमानत याचिका भी दायर की थी।इससे पहले जयसुख पटेल ने अपने वकील के माध्यम से उच्च न्यायालय में पुल ढहने में मारे गए 135 पीड़ितों को मुआवजे की पेशकश की थी.