नई दिल्ली ( तेजसमाचार प्रतिनिधि ) – जस्टिस शरद अरविंद बोबडे सोमवार को देश के 47वें प्रधान न्यायाधीश (CJI) पद की शपथ लेंगे. उन्होंने कई ऐतिहासिक फैसलों में अहम भूमिका निभाई और हाल ही में अयोध्या के विवादित स्थल पर राम मंदिर बनाने का रास्ता साफ करने के फैसले में भी वह शामिल रहे हैं. 63 वर्षीय जस्टिस बोबडे मौजूदा चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की जगह लेंगे.
नामित प्रधान न्यायाधीश बोबडे ने अपने एक साक्षात्कार में कहा कि लोगों की प्रतिष्ठा को केवल नागरिकों की जानने की इच्छा पूरी करने के लिए बलिदान नहीं किया जा सकता. देश की अदालतों में जजों के खाली पड़े पदों और न्यायिक आधारभूत संरचना की कमी के सवाल पर जस्टिस बोबडे ने अपने पूर्ववर्ती CJI गोगोई की ओर से शुरू किए गए कार्यों को तार्किक मुकाम पर पहुंचाने की इच्छा जताई. जस्टिस गोगोई ने अदालतों में भर्तियों और आधारभूत संरचनाओं की कमी पर संज्ञान लिया और सभी राज्यों तथा संबंधित उच्च न्यायालयों को जरूरी कदम उठाने के निर्देश देने के साथ खुद निगरानी भी की थी.
महाराष्ट्र के नागपुर में हुआ था जस्टिस बोबडे का जन्म
न्यायमूर्ति बोबडे का जन्म 24 अप्रैल 1956 में महाराष्ट्र के नागपुर में हुआ. उन्होंने नागपुर विश्वविद्यालय से कला एवं कानून में स्नातक की उपाधि हासिल की. वर्ष 1978 में महाराष्ट्र बार परिषद में उन्होंने बतौर अधिवक्ता अपना पंजीकरण कराया. बंबई उच्च न्यायालय की नागपुर पीठ में 21 साल तक अपनी सेवाएं देने वाले न्यायमूर्ति बोबडे वर्ष 1998 में वह वरिष्ठ अधिवक्ता बने. न्यायमूर्ति बोबडे ने 29 मार्च 2000 में बंबई उच्च न्यायालय के अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में शपथ ली. 16 अक्टूबर 2012 को वह मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस बने. 12 अप्रैल 2013 को उनकी पदोन्नति सुप्रीम कोर्ट के जज के रूप में हुई.
जस्टिस बोबडे के पिता भी मशहूर वकील थे
न्यायमूर्ति बोबडे महाराष्ट्र के वकील परिवार से आते हैं और उनके पिता अरविंद श्रीनिवास बोबडे भी मशहूर वकील थे. वरिष्ठता क्रम की नीति के तहत निवर्तमान चीफ जस्टिस गोगोई ने उनका नाम केंद्र सरकार को अपने उत्तराधिकारी के तौर पर भेजा था. न्यायमूर्ति बोबडे को सीजेआई पद पर नियुक्त करने के आदेश पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने दस्तखत किए जिसके बाद विधि मंत्रालय ने उन्हें भारतीय न्यायपालिका के शीर्ष पद पर नियुक्त करने की अधिसूचना जारी की.
अयोध्या मामले के फैसले में भी रहे शामिल
अयोध्या राम जन्मभूमि विवाद पर फैसला देकर 1950 से चल रहे विवाद का पटाक्षेप करने वाली 5 जजों की बेंच में जस्टिस बोबडे भी थे. अगस्त 2017 में तत्कालीन CJI जेएस खेहर की अध्यक्षता में 9 जजों की पीठ ने एकमत से, निजता के अधिकार को भारत में संवैधानिक रूप से संरक्षित मूल अधिकार होने का फैसला दिया था. इस पीठ में भी जस्टिस बोबडे शामिल थे. जस्टिस बोबडे 17 महीने तक सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस पद पर रहेंगे और 23 अप्रैल 2021 को रिटायर होंगे.
CJI गोगोई को जस्टिस बोबडे ने दी थी क्लीन चिट
न्यायमूर्ति बोबडे की अध्यक्षता में ही सुप्रीम कोर्ट की तीन सदस्यीय समिति ने CJI गोगोई को, उन पर न्यायालय की ही पूर्व कर्मी द्वारा लगाए गए यौन उत्पीड़न के आरोप में क्लीन चिट दी थी. इस समिति में न्यायमूर्ति इंदिरा बनर्जी और न्यायमूर्ति इंदु मल्होत्रा भी शामिल थीं. न्यायमूर्ति बोबडे 2015 में उस तीन सदस्यीय पीठ में शामिल थे जिसने स्पष्ट किया कि भारत के किसी भी नागरिक को आधार संख्या के अभाव में मूल सेवाओं और सरकारी सेवाओं से वंचित नहीं किया जा सकता.
BCCI पर सुनाया था बड़ा फैसला
हाल ही में न्यायमूर्ति बोबडे की अध्यक्षता वाली दो सदस्यीय पीठ ने भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड BCCI) का प्रशासन देखने के लिए पूर्व नियंत्रक एवं महालेखाकार विनोद राय की अध्यक्षता में बनाई गई प्रशासकों की समिति को निर्देश दिया कि वे निर्वाचित सदस्यों के लिए कार्यभार छोड़े.
माना जा रहा है कि उच्च न्यायपालिका में न्यायाधीशों की नियुक्ति या उनके नाम को खारिज करने संबंधी कोलेजियम के फैसलों का खुलासा करने के मामले में वह पारंपरिक दृष्टिकोण अपनाएंगे.