कश्मीर (तेज समाचार डेस्क). आतंकवाद और अराजकता का सर्वनाश कैसे किया जाता है, ये वैश्विक नेताओं को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी सरकार से सीखना चाहिए, क्योंकि अलगाववादियों से भ्रमित हो चुके अराजकतावादी लोगों और पाकिस्तान समर्थित आतंकवादियों को भारत सरकार अनुच्छेद-370 के नाश के बाद प्रत्येक मोर्चे पर झटका दे रही हैं। जम्मू-कश्मीर की बेटियों से शादी कर राज्य में आतंकवाद का कारण बनने वाली जिस डोमिसाइल नीति से पाकिस्तानी आतंकियों को लाभ होता था, पहले उप-राज्यपाल मनोज सिन्हा ने उसको कूड़े के डिब्बे में डालकर बाहरी आतंकियों को झटका दिया। वहीं अब अलगाववाद के बहकावे में आकर जो लोग स्थानीय स्तर पर आतंकियों की मदद करते हैं या उनके संगठनों में शामिल होते हैं, अब उनके लिए भी जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने नए नियम बना दिए हैं। इसमें सबसे महत्वपूर्ण पहलू पत्थरबाजों का है, क्योंकि उनकी एक बार की पत्थरबाजी उनका जीवन सत्यानाश कर सकती है, और वे देशद्रोही घोषित हो जाएंगे।
– पत्थरबाजों की पहचान के बाद छीन लिए जाएंगे सभी सरकारी अधिकार
उप-राज्यपाल मनोज सिन्हा के नेतृत्व में काम कर रहे केन्द्रशासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर के प्रशासन ने अपने नए आदेश में स्पष्ट कहा है जिस भी व्यक्ति को एक बार पत्थरबाजी करते हुए पहचान लिया गया, उसके लिए सरकारी नौकरी तो दूर की बात; अनेकों सरकरी अधिकार भी छिन जाएंगे। प्रशासन का स्पष्ट कहना है कि जिन लोगों से भी राज्य को ख़तरे की आशंका है, उन सभी पर सीआईडी की पैनी नजर रहेगी, जो कि जम्मू-कश्मीर की सुरक्षा के लिए सकारात्मक माना जा रहा है। वहीं सबसे महत्वपूर्ण बात ये भी है कि नारेबाजी और पत्थर फेंकने वालों के पासपोर्ट तक रद्द कर दिए जाएंगे, और इन्हें आधिकारिक रूप से देशद्रोही घोषित कर दिया जाएगा।
– डिजिटल साक्षों और पुलिस की ली जाएगी मदद
जम्मू-कश्मीर प्रशासन द्वारा कहा गया है कि अराजकतावादी लोगों पर कार्रवाई के दौरान डिजिटल साक्ष्यों और पुलिस रिकॉर्ड की भी विशेष मदद ली जाएगी। आदेश में कहा गया, “जब किसी व्यक्ति की जांच की जाए तो इस बात का ध्यान रखा जाए कि वह किसी तरह की पत्थरबाजी, देश और राज्य की सुरक्षा के लिए खतरा करने वाले या कानून भंग करने वाली किसी गतिविधि में शामिल न रहा हो।” स्पष्ट है कि जो पत्थरबाजी करेगा उसके पासपोर्ट के रद्द होने से उसके विदेश भागने के सोच पर भी चोट होगी।
– आतंकवादियों को मदद करनेवाले सरकारी कर्मचारियों पर भी नकेल
ये सभी नियम केवल पत्थरबाजों के लिए ही नहीं; बल्कि सेवारत सरकारी कर्मचारियों के लिए भी कुछ विशेष नियम बनाए गए हैं। इनके अनुसार, “सेवारत कर्मचारियों को भी सीआईडी से दोबारा सत्यापन की आवश्यकता होने पर अनेकों जानकारियां देनी होंगी, जिसमें नियुक्ति की तारीख से किसी की पोस्टिंग और पदोन्नति का विवरण तक प्रस्तुत करना होगा। इसके अलावा किसी के माता–पिता, पति या पत्नी, बच्चों और सौतेले पिता की नौकरी का भी वितरण देना अनिवार्य होगा।” ऐसे में ये आदेश का एक अहम बिंदु भी है क्योंकि कुछ सरकारी अधिकारी भी कई बार आतंकियों की मदद करने में शामिल पाएं गए हैं।
सरकारी कर्मचारियों को देनी होगी यह जानकारी
इतना ही नहीं, लोगों को ये भी बताना होगा कि उनका किन-किन संगठनों से जुड़ाव है। उन्हें बताना होगा कि क्या उनके परिवार के सदस्य या कोई करीबी रिश्तेदार किसी राजनीतिक दल एवं संगठन से जुड़ा है। क्या उन लोगों ने कभी राजनीतिक गतिविधि में भाग लिया है और क्या किसी विदेशी मिशन या संगठन के साथ भी उनका संबंध है। इसके साथ ही लोगों से जमात-ए-इस्लामी जैसे किसी निर्धारित/प्रतिबंधित/प्रतिबंधित संगठन से संबध की जानकारी तक मांगकर एकत्र की जाएगी, जो कि स्थानीय स्तर पर आतंकवाद के विरुद्ध एक बड़ी चोट होगा।
पाकिस्तान को मोदी सरकार का झटका
जम्मू-कश्मीर प्रशासन द्वारा स्थानीय लोगों और पत्थरबाजी करने वालों के लिए लाए गए ये नए नियम महत्वपूर्ण माने जा रहे हैं, क्योंंकि इनका मुख्य उद्देश्य अलगाववादियों के बहकावे में आकर आतंकवाद की चपेट में जा रहे युवाओं को बचाना तो है ही; साथ ये उनके देश की मुख्य धारा में आने का एक बड़ा विकल्प भी बनेगा। माना जा रहा है कि ये पाकिस्तान के लिए मोदी सरकार द्वारा दिया गया एक और झटका है। इससे पहले डोमिसाइल के मुद्दे पर नए नियम बनाकर मोदी सरकार पाकिस्तानी आतंकियों के जम्मू-कश्मीर में दाखिल होने के आसान रास्ते को बंद कर चुकी है, और अब पत्थरबाजी पर लगाम और युवाओं को मुख्य धारा में लाने के प्रयास में लिया गया ये नया फैसला पाकिस्तान के लिए दोहरी मार साबित होने वाला है।