जलगाँव ( प्रवीण गायकवाड ) – जलगांव जिले के रावेर विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र में चुनाव को लेकर काफी दिलचस्प स्थिति निर्माण हुई है. रावेर विधानसभा के लिए दो पूर्व विधायकों के पुत्रों का डेब्यू यानी लॉन्चिंग होने जा रहा है. राजनीति में सक्रिय लेकिन अब तक विधायक या ऐसे किसी बड़े पद पर न पहुंचने वाले इन पूर्व विधायक के पुत्रों को लेकर लोगों में उत्सुकता बनी हुई है.
रावेर विधानसभा में इस बार त्रिकोण मुकाबला देखा जा रहा है, लेकिन इसमें किन्नर समाज से आए प्रत्याशी की उपस्थिति ने चुनाव को और अधिक रोचक बना दिया है. रावेर विधानसभा के विद्यमान विधायक शिरीष मधुकर राव चौधरी अपने बेटे धनंजय चौधरी की लॉन्चिंग के लिए कमर कसे हुए हैं, वहीं इसी विधानसभा से पूर्व में विधायक व रावेर लोकसभा सीट के लिए सांसद रह चुके स्वर्गीय हरि भाऊ माधव जावड़े के बेटे अमोल जावड़े का भी लॉन्चिंग होने जा रहा है. भारतीय जनता पार्टी की ओर से अमोल जावड़े को रावेर विधानसभा के लिए अपना अधिकृत उम्मीदवार बनाया गया है. दो पूर्व विधायक के पुत्रों के बीच में होने वाली इस परंपरागत लड़ाई में तीसरे उम्मीदवार अनिल छबिलदास चौधरी दूसरी बार अपना भाग्य आजमा रहे हैं.
रावेर विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र रावेर लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र का एक हिस्सा है.विगत 2019 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी के शिरीष मधुकरराव चौधरी ने 77,941 वोट हासिल कर भाजपा के हरिभाऊ माधव जावले को 15,609 वोट के अंतर से हराया था. भाजपा के हरि भाऊ जावले को 62,332 वोट मिलेthe. दो दिग्गजों के इस मुकाबले में स्वतंत्र उम्मीदवार अनिल छबिलदास चौधरी ने अच्छी टक्कर दी थी. उन्हें कुल 44,841 वोट मिले थे.
इससे पहले वर्ष 2014 के विधानसभा चुनाव में भाजपा के हरिभाऊ माधव जावले ने 65,962 वोट हासिल कर 10,000 वोट के अंतर से जीत हासिल की थी.
इस बार के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के धनंजय शिरीष चौधरी, भाजपा के अमोल हरिभाऊ जावड़े के अलावा विगत चुनाव में कड़ी टक्कर देने वाले अनिल छबिलदास चौधरी के बीच त्रिकोणीय मामला बनता दिखाई दे रहा है. जहाँ एक ओर पूर्व व विद्यमान विधायकों के पुत्रों को सूबे में नौसिखिया माना जा रहा है, वहीँ अनिल चौधरी को तहसील की राजनीति में दबंग नेता की छवि के रूप में देखा जा रहा है. वैसे भी रावेर विधानसभा सीट का हर चुनाव में परिवर्तन का रिवाज़ रहा है. विगत चुनाव में निर्दलीय चुनाव लड़कर टक्कर देने वाले अनिल चौधरी इस बार प्रहार जनशक्ती पार्टी के उम्मीदवार के रूप में अपना भाग्य आजमा रहे हैं.
एक अन्य उम्मीदवार शमिभा पाटिल को वंचित बहुजन आघाडी की ओर से रावेर विधानसभा क्षेत्र के लिए अपना उम्मीदवार बनाया है. शमिभा महाराष्ट्र में पहली किन्नर उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ेंगी. शमिभा पाटिल एक किन्नर हैं और 2008 से जलगांव में एक सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में काम कर रही हैं. वह आदिवासी वन अधिकारों, स्वास्थ्य के साथ-साथ फ़ैज़पुर सहित ग्रामीण क्षेत्रों में झुग्गी पुनर्वास, राशन अधिकार कार्रवाई समिति, केला व्यापार संघ, किसानों के अधिकार, बेघर अधिकार आश्रय सहित किन्नरों के अधिकारों के लिए लड़ रही हैं. शमिभा उच्च शिक्षित हैं और उन्होंने मराठी में एमए किया है. फिलहाल कवी ग्रेस की साहित्य समीक्षा पर पीएचडी कर रही हैं. उन्होंने अपनी स्नातक की पढ़ाई धनाजी नाना कॉलेज, फैजपुर से पूरी की है. जमीनी कार्य होने के कारण शमिभा तीनो उम्मीदवारों के वोट बैंक में सेंध लगा सकती हैं.
रावेर विधानसभा क्षेत्र जलगाँव जिले में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. यह परिसर केले के उत्पादन के लिए प्रसिद्ध है. रावेर से केले न केवल पूरे भारत में वितरित किए जाते हैं, बल्कि विदेशों में भी निर्यात किए जाते हैं. रावेर तहसील में लगभग 80% से अधिक केले का उत्पादन होता है. इसी कारण से यहाँ पर किसानो की बहुत सारी समस्याएं बनी रहती हैं. विद्यमान विधायक शिरीष चौधरी पर किसानो की समस्याएं न सुलझा पाने के आरोप विरोधियों द्वारा लगाये जाते रहे हैं. ऐसे में प्रहार जनशक्ती पार्टी का किसान मुद्दों के लिए लड़ना रावेर में दोनों विधायक पुत्रों की लॉन्चिंग में खलल डाल सकता है. धनजय हों यां अमोल ! इन दोनों को अपनी पैत्रिक विरासत की वैतरणी का सहारा ही पार करा पायेगा. बरहाल रावेर में किसी की भी राह आसान नहीं दिखाई दे रही है.