महाराष्ट्र में सुंदर हस्ताक्षर की अलख जगाते “किशोर कुलकर्णी”
‘विश्व हस्ताक्षर दिवस’ इस उपलक्ष्य में प्रस्तुत है यह लेख….
अच्छी लिखावट यानी सुंदर हस्ताक्षर के कारण सामने वाले व्यक्ति के मन में हमारे स्वभाव एवं व्यक्तित्व के बारे में सकारात्मक छवि बनती है, ऐसा जलगांव के सुंदर हस्ताक्षर मार्गदर्शक और प्रणेता, लेखक एवं पत्रकार किशोर कुलकर्णी का मानना है।
प्रत्येक व्यक्ति को अपने हस्ताक्षर सुंदर बनाने का प्रयास करना चाहिए, सुंदर हस्ताक्षर से हम अपनी छवि को निखार सकते है। हस्ताक्षर से व्यक्ति के स्वभाव और मन को जाना जा सकता है, ऐसा वे कहते है। हस्ताक्षर यह मनुष्य के व्यक्तित्व की पहचान होती है। जिस व्यक्ति का हस्ताक्षर सुंदर होता है उसकी ओर सफलता, सम्मान एवं समृद्धी बढ़ने लगती है। इसी दृढ़ भावना के चलते वर्ष 1995 से लेखक एवं पत्रकार किशोर कुलकर्णी कार्यरत है। किशोर कुलकर्णी को सभी आदरपूर्वक के.के. कहते है। सुंदर हस्ताक्षर के धनी के रुप में भी उन्हें जाना जाता है। उनका ‘सुंदर हस्ताक्षर’ यह उपक्रम विगत २3 वर्षो से निरंतर जारी है। कम्प्युटर एवं इंटरनेट के इस युग में भी लेखनकला का महत्व कम नहीं हुआ। बल्कि उस तकनीक के कारण हस्ताक्षर को और भी ज्यादा निखारने के लिए पत्रकार किशोर कुलकर्णी का कार्य जारी है।
किशोर कुलकर्णी ने अपने सुंदर हस्ताक्षर उपक्रम द्वारा लगभग ढाई हजार से अधिक विद्यार्थी एवं प्रौढ व्यक्तियों के हस्ताक्षर में बदलाव लाया है। कम्प्युटर-इंटरनेट के इस युग में भी लेखनकला में कोई कमी नहीं आयी है। बल्कि इस तकनीक के कारण हस्ताक्षर सुधारने में और भी मदद हासिल होगी इस विश्वास के साथ किशोर कुलकर्णी ने अपना यह काम जारी रखा है। वे कहते है कि, ‘गुगल हँण्डरायटिंग अॅप्लिकेशन’ के कारण मोबाईल के स्क्रीन पर अक्षर बनाने पर वे युनिकोड में अपनेआप टाइप होते है। जिससे यह तकनीक हस्ताक्षर लेखन के लिए पुरक साबित हो रही है।
किशोर कुलकर्णी जलगांव के“जैन इरिगेशन सिस्टम्स लिमिटेड’ के मीडिया विभाग में संपादक के रूप में कार्यरत है। जिले के अमलनेर तहसील स्थित करनखेडा के एक किसान परिवार में उनका जन्म हुआ। अपने गांव में ही उन्होंने प्राथमिक शिक्षा प्राप्त करने के पश्चात अमलनेर के प्रताप महाविद्यालय से छात्रवृत्ति लेते हुए वर्ष 1992-93 में अर्थशास्त्र विषय में स्नातक पदवी प्राप्त की। बुद्धिमान एवं संघर्षशील विद्यार्थी के रूप में उन्होने महाविद्यालय में अपनी पहचान बनाई। नासिक स्थित एचपीटी महाविद्यालय से पत्रकारिता की पदवी प्राप्त की। उसी दौरान अक्षर सुधारक आंदोलक नाना लाभे से वे प्रभावित हुए। फिर वर्ष 1995 से उन्होंने हस्ताक्षर के संदर्भ में कार्य शुरु किया। किशोर कुलकर्णी ने ‘सुंदर अक्षर’ यह उपक्रम तात्यासाहेब शिरवाडकर के प्रथम स्मृतिद्वस पर नासिक जिले के जिला परिषद स्कूल में शुरु किया।
‘जैन इरिगेशन’ के संस्थापक भवरलालजी जैन और विद्यमान चेअरमन अशोक जैनजी ने किशोर कुलकर्णी के सुंदर हस्ताक्षर उपक्रम को हमेशा प्रोत्साहन दिया। सुंदर हस्ताक्षर उपक्रम के लिए किशोर कुलकर्णी गांव-गांव जाकर स्कूल में सहज, स्वच्छ एवं सरल अक्षर कैसे अंकित करे इस बारे में प्रात्यक्षिक सहित मार्गदर्शन करत है। व्याख्यान तो देते ही है इसीके साथ-साथ छात्रों को तथा प्रौढ़, उच्चपदस्थ व्यक्तियों को भी हस्ताक्षर सुधारने में मदद करते है। इस उपक्रम के चलते अब तक तीन हजार से अधिक लोगों के हस्ताक्षर में सुधार हुआ है। आधुनिक युग में कम्प्युटर द्वारा शिक्षण देने के कई विकल्प है। लेखनद्वारा शिक्षण या शिक्षित करने की पद्धति अब कालबाह्य हो रही है। इसलिए लेखन कम होता रहा है और हस्ताक्षर बिगड़ता चला जा रहा है। टाइपरायटरद्वारा भी पहले अक्षर अंकित किया जाता था। टाइपरायटर की जगह अब कम्प्युटर ने ली है फिर भी हस्तलिखित का प्रमाण कम नहीं हुआ। अपना हस्ताक्षर यह अपनी एक पहचान होती है। हस्ताक्षर से मनुष्य का व्यक्तित्व प्रतिबिंबित किया जाने लगा। कहने का तात्पर्य यहीं कि, हस्ताक्षर को इतना महत्व प्राप्त हुआ है। जिसकी लिखावट, अक्षर सुंदर, रेखीव होता है वो व्यक्ति प्रसन्न, शिस्तप्रिय होता है ऐसा कहा जाता है। किशोर कुलकर्णी ने ‘घडवा सुंदर हस्ताक्षर’ यह बाईस पन्नो की पॉकेट बुक प्रकाशित की है। ‘पासवर्ड सुंदर अक्षराचा’ इस किताब का विमोचन 8 जनवरी 2016 को कवि अनिल अवचट के हाथों हुआ। उसी किताब की दूसरा एडिशन 2 सितंबर 2017 को भूतपूर्व राजस्व मंत्री एकनाथ खडसे के हाथों हुआ।
किशोर कुलकर्णी की अब तक ‘अर्धशतकी लग्नगाठ’, ‘घडवा सुंदर हस्ताक्षर’, ‘ज्ञानवाणी’,‘ब्लॉगवाल्या आजीबाई’, ‘पासवर्ड सुंदर अक्षराचा (दो एडिशन)’ यह किताबे प्रकाशित हुई हैऔर हालही में 12 दिसंबर 2018 को ‘आमची आई’इस किताब का भी भवरलालजी जैन की 81 वी जयंती पर विमोचन किया गया।
‘सुंदर हस्ताक्षर’ इस उपक्रम के अंतर्गत किशोर कुलकर्णी ने विद्यार्थियों को मार्गदर्शन करते है। यदि शालेय विद्यार्थियों को अक्षर सुधारने पर जोर दिया जाए तो ज्यादा परिणामकारण साबित हो सकता है ऐसा कुलकर्णी कहते है। विद्यार्थियों को वे शास्त्रोक्त पद्धति से सिखाते है। हस्ताक्षर सुंदर बनाने के लिए, रेखीव अक्षर बनाने के लिए क्या करना चाहिए, वर्ण की मुख्य रेखाए, सरल और सीधी, बड़ी होनी चाहिए, अक्षरों के बीच का अंतर, उंचाई, लिखते समय पेन कौन-से प्रकार का होना चाहिए, कागज़ पर कैसे चलाये, पेन कौन सी दिशा में कितनी रफ्तार से कैसे कब कहा रोकना है आदि मुद्दोसहित किशोर कुलकर्णी मार्गदर्शन करते है। जलगांव जिले के प्राथमिक, माध्यमिक तथा महाविद्यालयों में जाकर सुंदर हस्ताक्षर कैसे निकाले इसके संबंध में प्रात्यक्षिकसहित व्याख्यान दिया है।
किशोर कुलकर्णी ने निरंतर, निरपेक्ष भावना के चलते किये हुए कार्य के प्रति उन्हें कई पुरस्कारों से कई संस्थाओं ने गौरवान्वित भी किया है। हस्तलेखन के भुर्जपत्र से लेकर हाल के पत्र लगभग ढाई सौ से अधिक विरल अक्षरों के नमुने भी उन्होंने संजोये रखे है। इसके लिए उन्होंने एक प्रदर्शनी भी आयोजित की थी। किशोर कुलकर्णी द्वारा चलाये जा रहे इस ‘सुंदर हस्ताक्षर’ उपक्रम की समुचे महाराष्ट्र में सराहना की गई। अक्षर सुधार का यह उपक्रम प्रशंसनीय है और किसी लाभ की अपेक्षा के बजाये वे निरपेक्ष भावना से यह कार्य कर रहे है। अपने इस उपक्रम को राष्ट्रीय स्तर तक बढ़ाने का किशोर कुलकर्णी ने मानस व्यक्त किया है।
“स्वयं लिखे, दूसरों को भी लिखने के लिए प्रेरित करें और निंरतर लिखते रहिये, लिखने से आपके व्यक्तित्व में निखार आता है, अपने भाव प्रकट करने का लिखावट यह उत्तम माध्यम है।” ऐसा संदेश आज हस्ताक्षर दिवस के उपलक्ष्य में, सुंदर हस्ताक्षर के प्रणेता किशोर कुलकर्णी ने दिया है।
– आरिफ आसिफ शेख, जलगांव, मो. 9881057868