मुंबई (तेज समाचार डेस्क). जब से केन्द्र में और राज्य में भाजपा की सरकार बनी है, ऐसा लगता है कि सभी वर्ग के लोगों को आंदोलन करने का यहीं मौका मिला है. चाहे फिर वे किसान हो, दलित हो, मराठा हो, व्यापारी हो या अन्य कोई वर्ग. पिछले चार सालों में महाराष्ट्र में लगातार आंदोलन हो रहे हैं. इसी कड़ी में अब आदिवासी किसानों ने अपनी विभिन्न मांगों को लेकर मुंबई का रुख किया, लेकिन मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस नेआदिवासी किसानों की सभी मांगे मानते हुए उन्हें समस्याओं के समाधान का लिखित आश्वासन दिया है. गुरुवार को मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने किसान प्रतिनिधिमंडल के साथ उनकी मांगों पर चर्चा की. तीन महीने में किसान आदिवासियों की सभी समस्याओं का हल निकालने का सरकार ने लिखित आश्वासन दिया है. इसके बाद आजाद मैदान पर बैठे किसानों ने अपना आंदोलन खत्म कर दिया.
– मुख्य मांग जमीन पट्टे को लेकर
जल संसाधन मंत्री गिरीष महाजन ने बैठक के बाद पत्रकारों से बातचीत में कहा कि मुख्य मांग जमीन पट्टे को लेकर हैं. इस मामले में सभी जिलों के अधिकारियों को सख्ती से निर्देश दिए जाएंगे कि वे अगले तीन महीने में इसका हल निकालें. साथ ही उन्होंने कहा कि आदिवासी जमीन पट्टाधारकों को भी सूखा राहत से जुड़ी सभी सुविधाएं दी जाएंगी. साथ ही कृषि अनुदान देने से जुड़ा फैसला भी किया गया है. मोर्चे में शामिल लोग गैरआदिवासी और आदिवासियों की तीन पीढ़ियों के रहिवासी होने से जुड़ी शर्त भी रद्द करने की मांग कर रहे हैं. इस बारे में केंद्र सरकार के पास प्रस्ताव भेजे जाने का आश्वासन सरकार ने दिया है.
– जमीन के दावेदारों पर पुनर्विचार
सरकार ने लगभग 80 फीसदी दावों को नकार दिया था लेकिन अब इस पर फिर से विचार करने का आश्वासन दिया है. साथ ही दावेदारों के नाम एक ही सातबारह की बजाय अलग-अलग सातबारह पर चढ़ाए जाएंगे. पहले वन अधिकार कानून पर अमल के लिए आदिवासी इलाकों के गांवों के 50 फीसदी लोगों की उपस्थिति अनिवार्य थी लेकिन अब गांव की जगह पाडे को घटक माना जाएगा. बता दें कि अपनी मांगों को लेकर हजारों किसान आदिवासी आजाद मैदान धरने पर बैठे थे.
– ये थी आदिवासी किसानों की प्रमुख मांगें
किसानों ने सरकार के सामने जो मांगें रखी हैं, उनमें समर्थन मूल्य में किसानों को 50 फीसदी लाभ, कृषि पंप ट्रांस्फॉर्मर के 48 घंटे में मरम्मत, शीतकाल में सिंचाई के लिए बिजली, स्कूल के पोषक आहार में केला शामिल करना भी शामिल है.
* किसानों के लिए संपूर्ण कर्जमाफी.
* कृषि उत्पाद को दोगुना भाव मिले.
* स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों पर अमल हो.
* वन अधिकार कानून पर अमल हो.
* जिस जमीन पर आदिवासी खेती कर रहे हैं, उसे आदिवासियों के नाम पर किया जाए.
* नदी जोड़ो परियोजना से सिंचाई के लिए पानी मिले.
* बिजली के बिल में छूट मिले.
– सरकार ने मार्च में समिति बनाई, लेकिन मांगें पूरी नहीं हुईं
मार्च में 40 हजार किसानों ने नासिक से मुंबई तक रैली निकाली थी. तब सीएम देवेंद्र फडणवीस ने किसानों की मांगों को पूरा करने के लिए समिति गठित की थी. किसानों ने संपूर्ण कर्जमाफी, असिंचित जमीन के लिए 50 हजार और सिंचित जमीन के लिए एक लाख रुपए प्रति एकड़ सूखा राहत, कृषि उपज को दोगुना भाव, स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों और मुफ्त बिजली सहित कई मांगें सरकार के सामने रखी थीं.