जलगांव (नरेंद्र इंगले ):भाजपा कि महाजनादेश यत्रा के महिने बाद बारामती जैसे विकास कि चाह रखने वाले जामनेर शहर कि मुख्य सडके फ़िर से चमक रहि है ! निगम के अस्थायी सफ़ाई कर्मी दिवाली के बोनस और दिहाडी मे कुछ रुपयो कि बढोतरी के आस से दिन रात शहर कि साफ सफ़ाई मे जुट गए ! सभी कालोनियो मे एलइडी लाइटस लगाने का काम जोरो पर है , सरकार का प्लास्टिक निरोधी आदेश अचानक से शहर मे लागु हो गया है , दुकानदारो ने प्रशासन द्वारा जारी कि गयी प्लास्टिक बैन वाली नोटीस को अपने दुकानो मे चिपका दिया है बैन से मंझौले दुकानदारो के व्यापार पर बुरा असर हुआ है जो GDP कि गिरावट और मार्केट मे छायी व्यापक मंदी कि तुलना मे यकिनन कोई खास मायने नहि रखता होगा !
इस बार जामनेर कि सडको कि चमक कि वजह बनी है केंद्र सरकार से पधारी स्वास्थ विभाग कि औचक निरीक्षण टीम कि मौजुदगी ! वैसे इसी तरह कि टीम इससे पहले कब आयी थी इसके बारे मे लोगो को ठीक ठीक याद नहि होगा तब कुछेक अखबारो मे प्रकाशित खबरो से टीम के शाहि ठाठ और टीम कि रिपोर्ट के बाद मिलनेवाले फंड का महिमामंडन जरुर किया गया था मगर इस बार खबर यह आ रहि है कि प्रोटोकाल के हवाले से मिडीया को निरीक्षण टीम की अगवानी का मौका नहि मिल सका है !
पत्रकारो ने प्रशासन के इस पक्षपात पर मौनव्रत रख लिया असहमती का यह तरीका इस लिए नायाब है क्यो कि इसमे असहमती तो है लेकिन किसी के प्रती सम्मानजनक प्रेम से सनी हुयी ! राज्य विधानसभा के चुनाव घोषित हो चुके है ऐसे मे इस इवेंट को लेकर स्पेस गंवा चुके माध्यम आचारसंहिता के नियमो को ध्यान मे रखकर आनेवाले दिनो मे करोडो रुपयो के निधी के संभावनाओ को लेकर जनता का मनोरंजन कर सकते है जैसा कि हमेशा से होता आया है ! कमेटी के विषय मे मुख्याधिकारी से आधिकारीक रुप मे संपर्क किया गया जो असफ़ल रहा , स्वच्छता अभियान या अन्य सार्वजनिक विषयो के निरीक्षण के लिए आते रहे उच्च अधिकारीयो कि आंखो मे प्रशासन कि ओर से किस तरह विकास का काजल लगाया जाता है इसे विस्तार से बताने कि आवश्यकता नहि है ! सुरंगी नालियो के निर्माण के लिए उखाडी गयी पुरे शहर कि सडके बारीश से दलदल बन चुकि है अब बारीश रुक गयी है तो दलदल कि जगह सडको पर गड्ढे है , कचरा प्रोसेसिंग यूनिट नहि होने से डंपिंग ग्राऊँड मच्छर पैदावार केंद्र बने है , इसी ग्राऊँड के बगल मे गरीबी के नाम पर झुग्गी झोपडीया बन चुकि है जो कैसे बनी यह भी सर्वपरीचित है , पिने का पानी फिल्टर है भी या नहि इसे लेकर नागरीको मे संदेह इस लिए बना है क्यो कि अस्पताल मरीजो से पटे पडे है , सडको पर आवारा पशुओ कि लामबंदी किसी आंदोलन से कम नहि आंकि जा सकती !
कमेटी कि मौजुदगी मे इतना सब कुछ हो रहा है लेकिन प्रोटोकाल के कारण कमेटी जनता तक नहि पहुच रहि या जनता कमेटी तक ! जहा देश कि न्याय पालिका अपने कामकाज को जनताभिमुख बनाने के लिए लाइव कवरेज जैसी पहल के विचाराधीन है वहा सार्वजनिक योजनाओ कि गुणवत्ता नापने वाली सरकार कि कमेटीया आखिर मिडीया से क्यो बच रहि है ? क्या ऐसी कमेटीया किसी विशेष सिवील कोड कंडक्ट के दायरे मे आती है ? कवरेज के कथित मनाहि से मिडीया के अधिकारो के हुए हनन कि भावना इतनी कमजोर क्यो ? है जो इस विषय पर चंद सच्ची लाईने भी न लिख सके , इन जैसे तमाम सवालो के जवाब कि जवाबदेहि मुकम्मल होगी या नहि यह भी एक सवाल है ! सुत्रो के मुताबीक कमेटी ने तीन दिन तक शहर मे ठहरकर वर्तमान स्थिती का जायजा लिया जिसके बाद कमेटी जामनेर से निकल गयी है ! अब अदभुद विकास नगरी जामनेर के लिए सरकारी कमेटी ने कौनसे पैमाने लगाए है यह तो कमेटी कि रिपोर्ट मे हि छीपा है जो हो सकता है विधानसभा चुनाव के बाद सिधे किसी फंड कि घोषणा के रुप मे उजागर हो जाए !