हाल ही, भोपाल में एक प्रसिद्ध हृदय रोग चिकित्सक ने विनोदवश टिप्पणी की- ‘कोरोना की हालत अनवांटेड डाटर-इन-लॉ सरीखी है, जिसके साथ ससुराल वालों को एडजस्ट करना पड़ता है।‘ कोरोना वायरस से बचाव को लेकर आ रहे सुरक्षा सुझावों पर गौर करें तो लगता है कि उपर्युक्त टिप्पणी वास्तविकता के काफी करीब है। इस समय आप कोरोना के साथ एडजस्ट नहीं करेंगे तो जीवन में कष्ट और तनाव को तय मानिए। कारण यह कि इसका कोई इलाज फिलहाल नहीं है। वैक्सीन पर काम चल रहा है। यहां एडजस्ट से अभिप्राय बचाव संबंधी ऐहतियात बरते जाने से लेना सही होगा। सोशल डिस्टेंसिंग, पौष्टिक खान-पान और संतुलित रहन-सहन कोरोना वायरस से बचाव में मददगार साबित हो सकते हैं। एक रिपोर्ट में कहा गया है कि यदि सभी लोग मास्क लगाएं तो कोरोना संक्रमण से 90 प्रतिशत तक बचाव संभव है। इसके साथ रोग प्रतिरोधात्मक शक्ति यानी प्रतिरक्षा तंत्र (इम्युनिटी) को बढ़ाने के लिए दवाओं और विटामिन्स के साथ योग, प्राणायाम और ध्यान का सहारा लिया जा सकता है। इम्युनिटी बढ़ाने के लिए इनकी भूमिका को दुनिया भर में स्वीकार किया जा रहा है। बहुत से लोगों के लिए उत्सुकता का विषय यह हो सकता है कि कोरोना से लडऩे में ध्यान अर्थात् मेडिटेशन से कैसे मदद मिल सकती है?
ध्यान क्या है? दूसरा सवाल, कोरोना से बचाव में ध्यान किस तरह मदद करता है? इस संबंध में सहजयोग से जुड़े प्रसिद्ध नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ.ललित श्रीवास्तव कहते हैं, ‘ध्यान की अनेक विधियां बताई जाती हैं। लोग योग और प्राणायाम को ध्यान से जोड़ते देखे गए हैं जबकि ध्यान मस्तिष्क से भी ऊपर का विषय है। मस्तिष्क के द्वारा ध्यान नहीं किया जा सकता। विभिन्न धर्मगुरुओं ने ध्यान धारणा की बात अनादिकाल से कही है। ध्यान से चैतन्य शक्ति जागृत होकर परम चैतन्य से संलग्र होकर शारीरिक, मानसिक, सामाजिक एवं आध्यात्मिक शक्ति का उत्थान करती है।‘ डॉ. श्रीवास्तव आगे कहते हैं, सहजयोग पद्धति से किया गया ध्यान मेडिकल साइंस से भी प्रभावित है। इस पद्धति से ध्यान करने में तंत्रिका तंत्र स्वस्थ और संतुलित हो जाता है। तंत्रिका तंत्र संतुलित होने पर हम आनंद, प्रेम और शांति की अवस्था को प्राप्त कर लेते हैं। स्नायु तंत्र, आहार तंत्र, कार्डियोवेस्कुलर तंत्र और श्वसन तंत्र सहित सभी तंत्र स्वस्थ हो जाते हैं। शरीर में हार्मोंस और एंजाइम्स का स्राव संतुलित तरीके से होने लगता है। परिणाम स्वरूप जीवन प्रणाली स्वस्थ और संतुलित हो जाती है। व्यक्तित्व में सकारात्मकता और सृजनशीलता बढ़ती है। नवीन विचारों का सृजन प्रारंभ हो जाता है। देखा गया है कि ध्यान करने वालों का मन प्रसन्न रहता है। काम, क्रोध, मद, लोभ और ईष्र्या जैसे रिपुओं से मुक्ति मिलती है। आत्मज्ञान प्रकाशित होने लगता है।
एक प्रसिद्ध आध्यात्मिक गुरु के अनुसार ‘भीतर से जाग जाना ध्यान है, सदा निर्विचार की दशा में रहना ही ध्यान है। इससे मन और शरीर दोनों को लाभ होता है।‘ ध्यान से उच्च रक्तचाप को काबू में लाया जा सकता है। तनाव से जुड़े दर्द कम होते हैं। मनोदशा और व्यवहार में सुधार आता है। उर्जा का स्तर बढ़ता है। खास बात यह कि ध्यान से प्रतिरक्षा तंत्र मजबूत होता है। भावातीत ध्यान आंदोलन से जुड़े रहे और वैकल्पिक चिकित्सा पर जोर देने वाले प्रसिद्ध चिकित्सक दीपक चोपड़ा के विचार इस विषय में बहुत स्पष्ट और तर्कसंगत हैं। उनके अनुसार मन और शरीर के बीच संबंध में प्रतिरक्षा तंत्र सर्वाधिक नाजुक और लुभावना तथ्य है। लंबे समय तक माना जाता रहा है कि आक्रमणकारी कीटाणुओं, जीवाणुओं और विषाणुओं पर प्रतिरक्षा कोशिकाओं की जवाबी
कार्रवाई क्षमता पूरी तरह शारीरिक है। कालांतर में पाया गया कि प्रतिरक्षा तंत्र एक चतुर प्रणाली होती है। मस्तिष्क द्वारा पूरे शरीर में भेजे गए रासायनिक संदेश को पकड़ कर उस पर प्रतिक्रिया की क्षमता इन्हीं प्रतिरक्षा कोशिकाओं में होती है। आपके विचार, मनोदशा, अपेक्षाएं और अन्य संदेश प्रतिरक्षा कोशिकाओं द्वारा पकड़े जाते हैं। ध्यान करने पर इन संदेशों में महत्वपूर्ण बदलाव होता है। प्रतिरक्षा तंत्र सकारात्मक और नकारात्मक दोनों तरह के विचारों पर प्रतिक्रिया करता है। ध्यान से प्रतिरक्षा तंत्र के लिए सकारात्मक मानसिक पर्यावरण उत्पन्न होता है। ध्यान से एंटी बॉडीज़ बढ़ती हैं। ध्यान से आई सकारात्मकता प्रतिरक्षा तंत्र(इम्युनिटी) को मजबूत करती है।
भारत में लाखों लोग कोरोना वायरस से अब तक संक्रमित हो चुके हैं। एक लाख से अधिक लोग कोरोना महामारी का शिकार हुए हैं। लेकिन, गौर करें कि भारत में स्वस्थ हो रहे लोगों का प्रतिशत अन्य देशों की तुलना में काफी अच्छा है। वैसे अपुष्ट रिपोर्टों में दावा किया जाता है कि भारत में दस प्रतिशत आबादी कोरोना संक्रमण से ग्रस्त रही है लेकिन समुचित टेस्टिंग के अभाव में सही जानकारी सामने नहीं आ सकी। कहा यह भी जा रहा है कि ऐसे लोगों की संख्या कम नहीं होगी जिन पर कोरोना वायरस का संक्रमण हुआ हो लेकिन उन्हें पता ही नहीं चला और वे संक्रमण से मुक्त हो गए। इसके लिए श्रेय उनकी इम्युनिटी को दिया जाना चाहिए। कोरोना संकट से निजात पाने के लिए इम्युनिटी को अच्छा बनाये रखना बेहद आवश्यक माना जा रहा है। डा. श्रीवास्तव कहते हैं, सहजयोग ध्यान पद्धति से इम्युनिटी उत्कृष्ट स्तर की हो जाती है। यह पद्धति सहज और सरल है। कुल मिलाकर, कोरोना से बचाव में सभी विज्ञानी उपायों के साथ योग, प्राणायाम और ध्यान का सहारा लेकर स्वयं को सुरक्षित रखा जा सकता है। फिर, ध्यान तो शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के साथ पारलौकिक अनुभूतियों के आनंद की गारंटी तक देता है।