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पर्यावरण मंत्रालय दो महीने में RO Purifier पर प्रतिबंध लगाये: NGT

Tez Samachar by Tez Samachar
January 16, 2020
in Featured, देश
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पर्यावरण मंत्रालय दो महीने में RO Purifier पर प्रतिबंध लगाये: NGT

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पर्यावरण मंत्रालय दो महीने में RO Purifier पर प्रतिबंध लगाये: NGT

एनजीटी को सौंपी रिपोर्ट में कहा गया-आरओ के पानी में गायब हो जाते हैं मिनरल 

नई दिल्ली (तेज समाचार डेस्क): नेशनल ग्रीन ट्रिब्युनल (एनजीटी) ने केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय को निर्देश दिया है कि वो दो महीने के अंदर नोटिफिकेशन जारी कर उन स्थान पर रिवर्स ऑस्मोसिस सिस्टम (आरओ) पर रोक लगाए जहां के पानी में टीडीएस की मात्रा प्रति लीटर 500 मिलीग्राम से कम है।
एनजीटी चेयरपर्सन जस्टिस आदर्श कुमार गोयल की अध्यक्षता वाली बेंच ने आरओ से संबंधित उसके आदेश के अनुपालन में हो रही देरी की वजह से लोगों के स्वास्थ्य और पर्यावरण को काफी नुकसान हो रहा है। एनजीटी ने इस आदेश की अनुपालन रिपोर्ट 23 मार्च के पहले दाखिल करने का निर्देश दिया। मामले की अगली सुनवाई 23 मार्च को होगी। सुनवाई के दौरान वन और पर्यावरण मंत्रालय ने इस आदेश के अनुपालन के लिए चार महीने का समय मांगा था। पर्यावरण मंत्रालय ने कहा कि आदेश के प्रभावी अनुपालन के लिए 4 महीने का वक्त चाहिए। मंत्रालय ने कहा कि व्यापक प्रचार-प्रसार और नोटिफिकेशन के फाइनल करने में समय लगेगा। 6 नवंबर 2019 को आरओ से पानी के शुद्धिकरण के दौरान होने वाली पानी की बर्बादी पर पहले के आदेश का पालन नहीं करने पर एनजीटी ने वन और पर्यावरण मंत्रालय को फटकार लगाई थी। एनजीटी ने वन और पर्यावरण मंत्रालय को आदेश का पालन करने के लिए 31 दिसंबर तक का अंतिम मौका दिया था।
एनजीटी ने 20 मई 2019 को आदेश दिया था कि जहां के पानी का टीडीएस 500 मिलीग्राम प्रति लीटर तक हो वहां आरओ की जरुरत नहीं। इससे ज्यादा होने पर ही आरओ का इस्तेमाल किया जाए। लेकिन इस संबंधी नोटिफिकेशन अभी तक वन और पर्यावरण मंत्रालय ने जारी नहीं किया था। एनजीटी ने कहा था कि इस नोटिफिकेशन को जारी करने में देरी से लोगों के स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है।
दरअसल एनजीटी की ओर से गठित विशेषज्ञों की कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि नगर निगमों या जल बोर्ड की ओर से घरों में जो पानी की आपूर्ति की जाती है उसके शुद्धिकरण के लिए आरओ लगाने की कोई जरुरत नहीं है। विशेषज्ञ कमेटी ने एऩजीटी को सौंपी अपनी रिपोर्ट में कहा था कि नगर निगमों के पानी को अगर आरओ के जरिये पीते हैं तो यह हमारे सेहत को खराब करता है क्योंकि इससे मिनरल गायब हो जाते हैं। कमेटी के मुताबिक नदी, तालाबों और झील के सतह पर मौजूद पानी के स्रोतों से निगम द्वारा पाइप के जरिए सप्लाई किए जाने वाले पानी के लिए आरओ की कोई जरूरत नहीं है। कमिटी के मुताबिक आरओ की जरूरत उन्हीं इलाकों में पड़ती है, जहां टीडीएस का लेवल 500 मिलीग्राम प्रति लीटर से ज्यादा हो।
याचिका फ्रेंड नामक एक एनजीओ ने दायर की है। याचिका पर सुनवाई करते हुए एनजीटी ने 21 दिसंबर 2018 को एक कमेटी का गठन किया था। इस कमेटी में केंद्रीय पर्यावरण विभाग, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड, आईआईटी दिल्ली और नेशनल एनवायरमेंटल इंजीनियरिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट दिल्ली के प्रतिनिधि शामिल थे।
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