नई दिल्ली (तेज समाचार डेस्क) : खबर है कि चंद्रमा पर लैंडर विक्रम पूरी तरह से सुरक्षित है और आगामी कुछ दिनों में ही उससे संपर्क हो सकता है. इसरो के वैज्ञानिकतों के अनुसार 2.1 किलोमीटर की ऊंचाई से विक्रम ने सॉफ्टलैंडिंग की बजाया हार्ड लैंडिंग की है, इसके कारण उसका संतुलन बिगड़ गया है और वह उस पॉजिशन में लैंड नहीं कर सका, जिस पॉजिशन में उसे लैंड करना था. इसके अलावा इसरो के वैज्ञानिकों के अनुसार लैंडर विक्रम का एंटिना इस गलत लैंडिंग के दौरान दब गया है, जिसके कारण विक्रम तक सिग्नल नहीं पहुंच पा रहे हैं. वैज्ञानिकों के अनुसार हम लगातार विक्रम को कमांड देने की कोशिश कर रहे हैँ, जैसे ही विक्रम को हमारे सिग्लन मिलते हैं, वह अपनी पॉजिशन में आ जाएगा.
वैज्ञानिकों ने कहा कि विक्रम को इस प्रकार से प्रोग्राम किया गया है कि वह यदि चंद्रमा की असमतल जगह पर यदि गिर भी जाता है, तो उसे कंट्रोल रूम से कमांड देकर पुन: सीधा किया जा सकता है. इसके अलावा वैज्ञानिकों ने यह भी कहा है कि यदि आगामी कुछ दिनों में विक्रम तक हम सिग्नल नहीं पहुंचा पाते हैं, तो हमें और 11-12 दिन इंतजार करना होगा. क्योंकि चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव का तापमान -180 डिग्री से भी ज्यादा है. ऐसे में आशंका है कि विक्रम के सेंसर ब्लॉक हो गए हो. दूसरा यह कि इस समय चंद्रमा पर रात है. चंद्रमा पर एक दिन पृथ्वी के 14 दिनों का होता है. हमें उम्मीद है कि जैसे ही वहां सूरज की किरणे पहुंचेंगी, वैसे ही सोलर सिस्टम के माध्यम से सेंसर काम करने लगेगा और विक्रम तक हम सिग्नल पहुंचा सकेंगे. एक बार विक्रम तक सिग्नल पहुंचने लगे, तो हमारा यह मिशन शत-प्रतिशत सफल होगा.
– दिन-रात जुटे है इसरो के वैज्ञानिक
पूरे विश्व में चांद तक पहुंचने के जितने भी प्रयास किए गए है, उनमें भारत का यह प्रयास सबसे कठिन है. क्योंकि अभी तक किसी ने भी चांद के दक्षिण ध्रुव तक पहुंचने के बारे में नहीं सोचा. इसका कारण यह है कि चांद के दक्षिण ध्रुव पर तापमान -200 डिग्री से भी अधिक होता है और इस हिस्से की भौगोलिक स्थिति के बारे में भी वैज्ञानिकों को कुछ निश्चित मालूम नहीं है. शायद इसी कारण भारत का मिशन चंद्रयान-2 95 प्रतिशत पूरा होने के बाद भी अंतिम क्षणों में अनिश्चितता की ओर चला गया है. ऑर्बिटर द्वारा भेजी गई तस्वीरों से यह सुकून मिला है कि विक्रम चांद पर लैंड कर चुका है और वह साबूत है. उसमें कोई टूट-फूट नहीं देखी गई है. इससे मिशन के पूरा होने की उम्मीदे जाग गई है. ऑर्बिटर द्वारा भेजी गई इस तस्वीर के बाद से ही इसरो के वैज्ञानिक लगातार विक्रम से संपर्क बनाने के लिए दिन-रात कोशिशों में जुटे है. वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि जल्द ही हम संपर्क स्थापित करने में कामयाब होंगे.
– की जा रही पूजा-अर्चना, हवन आदि
चंद्रयान-2 मिशन को हमारे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जनता से जोड़ दिया था, इसी कारण 6-7 की दरम्यानी रात को पूरा हिन्दुस्तान जाग रहा था और विक्रम के चंद्रमा पर लैंडिंग के नजारे को देखने को उत्सुक था. लेकिन अंतिम क्षणों में विक्रम से संपर्क टूटने से पूरे देश में अफसोस का माहौल बन गया था. ऑर्बिटर द्वारा विक्रम के सुरक्षित होने की तस्वीरे भेजने और वैज्ञानिकों में विक्रम से संपर्क की उम्मीदों को देखते हुए पूरा देश इस समय इस मिशन के शतप्रतिशत सफल होने के लिए प्रार्थना कर रहा है. देश के विभिन्न हिस्सों में पूजा-अर्चना, हवना आदि किए जा रहे हैं और भगवान से विक्रम से संपर्क की प्रार्थना की जा रही है.
– 2.1 किलोमीटर दूर रहते टूटा था संपर्क
चाँद पर उतरते समय चाँद के सतह से 2.1 किलोमीटर की ऊँचाई पर विक्रम का नियंत्रण कक्ष से संपर्क टूट गया था। इसके बाद ७ सितंबर को के. सिवन ने कहा था कि १४ दिन हम विक्रम को खोजने की कोशिश करेंगे और १ ही दिन में विक्रम का पता चल गया। इस संदर्भ में उल्लेखनीय है कि ऑर्बिट उसके तय कार्यक्रमानुसार चंद्रमा की परिक्रमा कर रहा है।