दिल्ली. अमेरिकी सेना ने अब आर-पार की लड़ाई का पूरी तरह से मन बना लिया है. अपनी इसी मंशा के तहत अमेरिका ने पर्सो आईएसआईएस को निशाना बनाते हुए पाकिस्तानी सीमा के पूर्वी अफगानिस्तान पर दुनिया का अब तक का सबसे बड़ा 10 हजार किलोग्राम का बम MOAB गिराया. आइए जानते है कि ‘जीबीयू 43:बी मैसिव ऑर्डिनेंस एयर ब्लास्ट’ बम यानी ‘मदर ऑफ ऑल बॉम्ब्स’ दुश्मन को कैसे मारता है.
- GBU-43, को मदर ऑफ ऑल बॉम्ब्स या MOAB के नाम से जाना जाता है. पहले धमाके में ये बम एक विध्वंसकारी आग का गोला छोड़ता है, जो 30 फीट के दायरे में सबकुछ जला देता है.
- शुरुआती ब्लास्ट के मिली सेकेंड्स में ही, आसपास सैंकड़ो फीट तक में मौजूद ऑक्सिजन खत्म हो जाता है. इसके बाद वहां मौजूद इंसान का दम घुटना शुरू हो जाता है और फिर आखिर में फेफड़े फट जाते हैं.
- इसके बाद, ध्वनि की रफ्तार से होने वाला धमाका अपने रास्ते में आने वाले शख्स को भीषण रूप से घायल कर देता है और फिर उसे मार देता है. रास्ते में आने वाले पेड़ और इमारतों को भी ध्वस्त कर देता है.
- कानों से खून बहना शुरू हो जाता है और आंतरिक अंग धमाके के शक्ति से फट जाते हैं. 19 हजार पाउंड का अत्यधिक जटिल विस्फोटक प्राणघातक साबित होता है.
- अगर इस धमाके में कोई जीवित बच भी गया तो भी वह जिंदगी भर ब्लास्ट की भयंकरता के डर में जीता है और उसके साथ इसके साइकॉलोजिकल निशान हमेशा के लिए जुड़ जाते हैं.
- इस बम से होने वाला ज्वालामुखी जैसा धमाका 300 फीट चौड़ा होता है और यह धरती से 6 फीट ऊपर होता है. ब्लास्ट स्थल में मौजूद इंसान इससे वाष्पीकृत हो जाता है. 19 हजार पाउंड का अत्यधिक जटिल विस्फोटक बैरोमीटरिकल शॉक वेव की वजह बनता है जिसे ‘ओवरप्रेशर’ भी कहा जाता है.
- थर्मोबेरिक बम के दर्जे का अर्थ है- थर्मो- हीट के लिए औह बेरिक- प्रेशर के लिए. MOAB में दो स्तर पर धमाके होते हैं जो एच6 एक्सप्लोसिव्स से होते हैं जिसमें पावर्ड एल्युमिनियम होता है.
- पहला धमाका अत्यंत ज्वलनशील अल्युमिनियम डस्ट को फैला देता है और दूसरा बैरिक ब्लास्ट करता है जो ऑक्सिजन को खींच लेता है. इस वजह से शरीर में इंटरनल डैमेज होता है. सबसे ज्यादा नुकसान कान, फेफड़े और पेट को पहुंचता है. धमाकास्थल में मौजूद किसी भी शख्स की मौत इससे निश्चित है.