बारामती (तेज समाचार डेस्क). पढ़ाई की कामना व सफलता उम्र की मोहताज नहीं होती और एक बालक भी अच्छा शिक्षक हो सकता है. ये दोनों बातें बारामती के एक परिवार में सत्य साबित हईं.
– मां को पढ़ाता था बेटा
बुधवार को दसवीं की परीक्षा का रिजल्ट घोषित होने के बाद उत्तीर्ण विद्यार्थियों में उल्लास छाया हुआ है, लेकिन बारामती तहसील के पारवड़ी गांव के गुरव परिवार को दोगुनी खुशी हुई है. यहां मां और बेटे ने एक साथ परीक्षा लिखी और दोनों पास हुए. इसमें खास बात यह रही कि 36 वर्षीय मां बेबी गुरव ने दोनों बेटों से कोचिंग ली और इसी के फलस्वरूप 64.40 प्रतिशत अंकों के साथ वे प्रथम श्रेणी में पास हो गईं. उनके सबसे बड़े बेटे को भी परीक्षा में 73.20 फीसदी अंक हासिल हुए. कभी-कभी लड़का अपनी मां को गणित, अंग्रेजी व विज्ञान विषय के कठिन सबक पढ़ाता था. बेटा सदानंद अपनी मां का शिक्षक बन गया. जब मां खाना बनाया करती तो दोनों बेटे बगल में बैठकर उनका मार्गदर्शन करते थे. बेबी गरव की महत्वाकांक्षा 12वीं कक्षा की परीक्षा उत्तीर्ण करने और डिग्री प्राप्त करने की है.
– सिलाई का काम करती है बेबी
बेबी गुरव बारामती टैक्सटाइल पार्क स्थित पायोनियर कैलिकोज़ कंपनी में सिलाई का काम करती हैं. बारामती तहसील का शिर्राफल गांव उनका मायका है, जहां पिता के पागलपन व पारिवारिक कारणों से उनकी दसवीं की परीक्षा पास होने की इच्छा अधूरी रह गई थी. उनका बेटा सदानंद गुरव रयत शिक्षण संस्था के नागेश्वर विद्यालय, शेटफलगढ़े, तहसील इंदापुर में दसवीं का छात्र था व छोटा बेटा आठवीं का विद्यार्थी था. पति के आग्रह पर उन्होंने दसवीं की परीक्षा लिखने का निर्णय लिया. बांदलवाड़ी स्थित बालविकास विद्यालय से उन्होंने एक्सटर्नल स्टूडेंट के रूप में फॉर्म भरा.