नई दिल्ली (तेज समाचार डेस्क). 4 नवंबर से अमेरिका ने ईरान पर प्रतिबंध लगा दिया है. इस प्रतिबंध के तहत ईरान से तेज आयात सहित किसी भी प्रकार का व्यवहार नहीं किया जा सकता. लेकिन अमेरिका ने भारत-चीन समेत आठ देशों को ईरान से तेल आयात करने की छूट दे दी है. बाकी छह देश जापान, इटली, ग्रीस, दक्षिण कोरिया, ताईवान और टर्की हैं. यह जानकारी अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पियो ने दी.
पोम्पियो ने बतया कि ईरान के पेट्रोलियम और बैंकिंग सेक्टर पर अमेरिकी प्रतिबंध सोमवार से लागू हो गए. ये ईरान पर लगे अब तक के सबसे कड़े प्रतिबंध हैं. उम्मीद है कि इस प्रतिबंध से ईरान सरकार के बर्ताव में बदलाव आएगा.
– भारत तीसरा बड़ा क्रूड खरीददार
चीन के बाद ईरान का दूसरा सबसे बड़ा क्रूड खरीदार भारत है. 2017-18 में इसने ईरान से 2.26 करोड़ टन क्रूड खरीदा था. इस साल तेल का आयात 3 करोड़ टन तक ले जाने का लक्ष्य था, लेकिन प्रतिबंध लगने के खतरे के चलते भारत 1.5 करोड़ टन पर सहमत हो गया था. भारत अपनी जरूरत का 80% तेल आयात करता है. भारत के लिए ईरान तीसरा बड़ा क्रूड सप्लायर है. पहला नंबर इराक और दूसरा नंबर सऊदी अरब का है.
– अमेरिका ने दी थी कार्रवाई की धमकी
मई 2015 के मल्टीनेशनल परमाणु समझौते से अमेरिका को अलग करने के बाद ट्रम्प ने ईरान के बैंकिंग और पेट्रोलियम सेक्टर पर प्रतिबंध लगाया था, जो 4 नवंबर से लागू हो गया. ट्रम्प ने चेतावनी दी थी कि प्रतिबंध के बाद ईरान से तेल खरीदने वाले देशों पर भी कार्रवाई होगी. ट्रम्प के मुताबिक, प्रतिबंध के माध्यम से वे साइबर हमले, बैलिस्टिक मिसाइल परीक्षण, पश्चिम एशिया में आतंकी समूहों के समर्थन जैसी ईरान की ‘घातक’ गतिविधियों को रोकना चाहते हैं. वे परमाणु समझौते के लिए ईरान को दोबारा बातचीत के लिए बुलाना चाहते हैं.
– निर्यातकों पर हैं कड़ी नजर
ऊर्जा क्षेत्र के विशेषज्ञ रिकार्डो फैबिआनी के मुताबिक, इस वक्त सभी की नजरें ईरान के निर्यातकों पर हैं. अब देखना यह है कि ईरान के निर्यातक अमेरिकी प्रतिबंध से बचने के लिए क्या कदम उठाते हैं या फिर अपना उत्पादन कम करते हैं.