नई दिल्ली (तेज समाचार डेस्क). हैदराबाद में महिला डॉक्टर से गैंगरैप और बाद में इस मामले के सभी चार आरोपियों का एनकाउंटर में मारा जाना, इस घटना के बाद से ही निर्भया के दोषियों को फांसी कब? यह सवाल पूरा देश उठा रहा था. लेकिन अब दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने निर्भया के दुष्कर्मियों का डेथ वॉरंट जारी कर दिया है. निर्भया के माता-पिता की याचिका पर मंगलवार को फैसला सुनाते हुए पटियाला हाउस कोर्ट ने कहा कि चारों दोषियों अक्षय कुमार सिंह (31), पवन गुप्ता (25), मुकेश (32) और विनय शर्मा (26) को 22 जनवरी को सुबह 7 बजे तिहाड़ जेल में ही फांसी दी जाए.
– एडिशनल जज सतीश अरोड़ा ने सुनाया फैसला
फैसला एडिशनल सेशन जज सतीश कुमार अरोड़ा ने सुनाया. जिन दोषियों को फांसी की सजा सुनाई जाती है, उनका डेथ वॉरंट अदालत ही जारी करती है. चारों दोषियों को जेल नंबर 3 में फांसी दी जाएगी. तीन दोषी जेल नंबर 2 में रखे गए हैं और एक को जेल नंबर 4 में रखा गया है.
– 2578 दिन के बाद डेथ वॉरंट
निर्भया के केस में वारदात के 2578 दिन बाद डेथ वॉरंट जारी हुआ है. 16 दिसंबर 2012 को निर्भया गैंगरेप का शिकार हुई थी. नौ महीने बाद यानी सितंबर 2013 में निचली अदालत ने दोषियों को फांसी की सजा सुनाई थी. मार्च 2014 में हाईकोर्ट और मई 2017 में सुप्रीम कोर्ट ने फांसी की सजा बरकरार रखी थी.
– ऐसा होता है डेथ वॉरंट
डेथ वॉरंट में फांसी का वक्त, जगह और तारीख का जिक्र होता है
डेथ वॉरंट को ब्लैक वॉरंट भी कहते हैं. इसमें फॉर्म नंबर-42 होता है. इसमें फांसी का वक्त, जगह और तारीख का जिक्र होता है. फांसी पाने वाले सभी अपराधियों के नाम भी लिखे जाते हैं. ये भी लिखा होता है कि दोषी को फांसी पर तब तक लटकाया जाएगा, जब तक उसकी मौत न हो जाए.
– अपने बचाव के लिए दोषियों के अधिकार
दोषियों के पास 14 दिन का वक्त और 4 तरह की मोहलत : जेल मैनुअल के मुताबिक, दोषी डेथ वॉरंट के खिलाफ 14 दिन में हाईकोर्ट में अपील कर सकते हैं, नहीं तो दोषियों को तय तारीख पर फांसी दे दी जाएगी. हाईकोर्ट भी डेथ वॉरंट बरकरार रखे, तो दोषी सुप्रीम कोर्ट जा सकते हैं. दोषी मई 2017 के सुप्रीम कोर्ट के उस फैसले के खिलाफ भी क्यूरेटिव पिटीशन लगा सकते हैं, जिसमें फांसी की सजा बरकरार रखी गई थी. दोषियों के वकील एपी सिंह ने कहा भी है कि हम एक-दो दिन में क्यूरेटिव पिटीशन दाखिल करेंगे. जजों की बेंच इस पर सुनवाई करेगी. दोषी राष्ट्रपति के पास दया याचिका भी लगा सकते हैं.
– 6 लोगों ने बस में किया था सामूहिक बलात्कार
16 दिसंबर, 2012 की रात दिल्ली में पैरामेडिकल छात्रा से 6 लोगों ने चलती बस में दरिंदगी की थी. गंभीर जख्मों के कारण 26 दिसंबर को सिंगापुर में इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई थी. इस मामले में पवन, अक्षय, विनय और मुकेश को फांसी की सजा सुनाई गई. ट्रायल के दौरान मुख्य दोषी राम सिंह ने तिहाड़ जेल में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी. एक अन्य दोषी नाबालिग होने की वजह से 3 साल में सुधार गृह से छूट चुका है.