LGBTQ समुदाय को गरीमामय जीवन जीने का संवैधानिक अधिकार : डॉ. मनिषा महाजन
चालिसगांव / जलगांव (नरेंद्र इंगले). जलवायु परिवर्तन के कारण बढता तापमान, प्रदूषण, पानी की किल्लत जैसी कई समस्याओं से मानवी समाज को संकटों से जूझना पड़ रहा है. इन महाविनाशकारी आपदाओं से निपटने के लिए सरकारी स्तर से हजारों पर्यावरण पूरक योजनाएं चलाई जा रही हैं, जिनकी सफ़लता कागजों पर ही आंकी जाती रही है. महाराष्ट्र में करीब 20 हजार गांवों और 200 से ज्यादा तहसीलों मे सूखा घोषित किया जा चुका है. शायद इसी अदभुत सरकारी कामकाज से प्रसन्न होकर सीने अभिनेता आमिर खान द्वारा संचालित पानी फ़ाऊंडेशन जन सहभागिता से मानसून पूर्व अकाल प्रबंधन के कार्य में काफ़ी अहम भूमिका का निर्वहन कर रहा है.
गांवों और देहातों में ग्रामीण लोग स्वयंस्फूर्ति से श्रमदान करने में जुटे हैं. इसी कडी में एक और NGO निरभ्र निर्भय फ़ाऊंडेशन ने पानी फ़ाऊंडेशन के समन्वय से जरा सा अलग करने का सोचा और समाज की उपेक्षा का शिकार रहे उस उपेक्षित तबके जिसे थर्ड़ जेंडर कहा जाता है, इनके सहयोग से चालिसगांव के निर्जल कबिलों में श्रमदान कर मिट्टी के बांधों का सफ़ल निर्माण कर दिखाया है. निरभ्र निर्भय की यह पहल इसलिए भी अनूठी है, क्योंकि इससे सूखे के साथ साथ LGBTQ समुदाय को लेकर जनता के दिल और दिमाग में पैदा हुए रूखेपन को लेकर बेहतर सकारात्मक सोच का सृजन होगा.
NGO की प्रमुख डॉ. श्रीमती मनिषा महाजन की अगुवाई में महाराष्ट्र दिवस के मौके पर अंभोने गांव पहुंचे थर्ड जेंडर्स समुदाय ने ग्रामीणों के साथ मिलकर मिट्टी के बांध बनाए. निर्भय की संस्थापक डॉ. मनिषा ने बताया कि समाज की हिकारत के कारण उपेक्षित जीवन व्यतित कर रहे, थर्ड जेंडर समुदाय के लोग मानसिक तौर पर भयभीत और शारीरिक रूप से सशक्त होते है, उनकी इसी व्यक्तिरेखा को रेखांकित करने के लिए हमने निरभ्र निर्भय की नींव रखी है. LGBTQ समुदाय ने अपने अधिकारों को लेकर कुछ हद तक कानूनी लड़ाई जीत ली है, लेकिन आज भी समाज की विशेष सोच से पनपे कलुषित नजरिए के चलते उन्हें सम्मान से जीने का मौलिक आधिकार नहीं मिल सका है, जिसके लिए हम प्रयास कर रहे है. डॉ. मनिषा ने कहा कि मैं खुद डॉक्टर हूं. हम लोग हर बात आखिर सरकार के भरोसे कैसे छोड़ सकते हैं. जब मैं संघ लोकसेवा आयोग कि तैयारियों में लगी थी, तभी समाज के इन उपेक्षितों को लेकर ऐसा एहसास हुआ कि इनके लिए मुझे कुछ करना चाहिए. फिर हम सभी समविचारियों ने मिलकर निरभ्र निर्भय की नींव रखी, जिसका काम अब पूरे भारत में चलाया जाएगा. अपने संदेश में डॉ. मनिषा कहती है कि LGBTQ समुदाय को समाज बतौर इंसान स्वीकार करे, उनके साथ आम लोगो जैसा व्यवहार करे, उनके प्रति किसी विशेष नकारात्मक सोच को बढ़ावा ना दे, अपने दृष्टिकोण को सकारात्मकता प्रदान करे.
आखिर LGBTQ भी समाज का ही एक ऐसा अभिन्न अंग है, जिसे प्रकृति ने ही बनाया है. इन्हें संविधान ने गरीमामय जीवन जीने का पूरा हक दिया है. सूखा प्रबंधन सार्वजनिक श्रमदान कार्यक्रम से हमारा यहीं प्रयास रहेगा कि थर्ड जेंडर्स और जनता के बीच में बनी गलतफ़हमी की खाई पाट दी जाए.