पुणे (तेज समाचार डेस्क). पश्चिमी महाराष्ट्र के कई जिलों में बुधवार को निसर्ग चक्रवाती तूफान के चलते भारी बारिश हुई और राज्य के रायगढ़ जिले में तूफान के टकराने से लैंडफॉल हुआ है. वहां पर मंगलवार की रात से ही भारी बारिश हो रही है. पिंपरी चिंचवड़, पुणे समेत समस्त जिले के कई क्षेत्रों में कल शाम से ही भारी बारिश हो रही है. पुणे, मावल, मुलशी और वेल्हे तालुकों के अलावा सातारा, कोल्हापुर और सांगली में भी भारी बारिश हो रही है. कई जगहों पर पेड़ और बिजली के खंभे जड़ों से उखड़ गए. कई जगहों पर सुबह से ही बत्ती गुल होने की खबर है. बताया जाता है कि पुणे में तूफान का केन्द्र वेल्लार तहसील के आतुर में था, जहां से यह नाशिक की ओर बढ़ गया है. हालांकि बुधवार की रात तक तेज हवाओं के साथ बारिश होती रही.
– अधिकतर लोग घरों में ही रहे
पुणे और पिंपरी चिंचवड़ शहर के कई हिस्सों में भारी जल-जमाव हो गया है. सरकार और प्रशासन द्वारा पहले से ही अलर्ट दिए जाने से लोगों ने घर पर ही रहना सुरक्षित समझा. बाजारों में भी सुबह से इक्का दुक्का ही भीड़ देखी गई. चूंकि कल शाम से जिले में मूसलाधार बारिश ने दस्तक दी थी अतः दमकल, आपदा प्रबंधन, बिजली विभाग की टीमें पहले से ही मुस्तैद थी. आज सुबह से आंधी तूफान के साथ जोरदार बारिश की वजह से पुणे और पिंपरी चिंचवड़ समेत जिले में पेड़ उखड़ने की कई घटनाएं घटी है. कई जगहों पर वाहनों पर पेड़ गिरने से लोगों को काफी नुकसान उठाना पड़ा है.
– अगले तीन दिनों तक जारी रहेगी मूसलाधार बारिश
मौसम विभाग ने कहा कि पिछले 24 घंटे के दौरान बुधवार की सुबह तक पुणे के शिवाजीनगर में 44 एमएम जबकि लोहगांव में 97 एमएम और पाषाण में 51 एमएम बारिश दर्ज की गई है. आईएमडी के पुणे के डायरेक्टर अनुपम कश्यपी ने कहा कि अगले तीन दिनों तक महाराष्ट्र के ज्यादातर हिस्सों में बारिश होगी.
– ऊंचे इलाकों में जारी किया अलर्ट
पुणे के जिलाधिकारी नवलकिशोर राम ने कहा, हमने ऊंचे इलाकों के लिए अलर्ट जारी किया है, जैसे- आंबेगांव, जुन्नर, मावल, भोर, वेल्हे और मुलशी जहां पर तूफान का बड़ा असर देखने मिल सकता है. अगर जरूरत पड़ी तो हमने इन इलाकों के लिए लोगों को हटाने की प्लान भी बनाया है. लोगों से कहा गया है कि वे अपने घरों से बाहर न निकलें. मौसम विभाग के अनुसार निसर्ग तूफान के चलते रायगढ़ के अलीबाग में सुबह साढ़े ग्यारह बजे 120 से 140 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से हवा के साथ लैंडफॉल शुरू हुआ. यह 1961 में आए चक्रवाती तूफान के बाद दूसरा अब तक का सबसे बड़ा तूफान है.