साल था 2017 । आईपीएल के इस सीजन से भी चेन्नई सुपरकिंग्स बाहर थी । महेंद्र सिंह धोनी को पुणे सुपर जाइयंट्स ने खरीदा था । लेकिन इस सीजन की शुरुआत से पूर्व धोनी को कप्तानी से हटाकर ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ी स्टीव स्मिथ को कप्तानी सौंप दी गयी ।
यह धोनी के लिए बहुत बड़ा झटका था। लेकिन धोनी को अपमानित करने के सिलसिले को आगे बढ़ाते हुए पुणे टीम के मालिक संजीव गोयनका के भाई हर्ष गोयनका ने एक ट्वीट किया जिसमें उन्होंने स्मिथ को जंगल का राजा और धोनी पर भारी बताया। गोयनका ने कहा कि धोनी को हटाकर स्मिथ को कप्तानी दी गयी है और यह फैसला सही है। हालांकि बाद में उन्होंने उस ट्वीट को डिलीट कर दिया। अगले ट्वीट में उन्होंने पुणे के खिलाड़ियों मनोज तिवारी, रहाणे, क्रिस्टन को बेहतरीन स्ट्राइक रेट वाला खिलाड़ी बताया था। साथ ही धोनी के मेंशन करते हुए उन्हें फिसड्डी बताया गया।
लेकिन इसके बाद धोनी ने इस आईपीएल में गजब का खेल दिखाया। पुणे टीम को अकेले अपने दम पर फाइनल तक पहुंचाया । धोनी के चमत्कारिक प्रदर्शन ने हर्ष गोयनका को भी यह मानने पर मजबूर कर दिया कि “धोनी जैसा कोई नहीं ।” इसके बाद पुणे की टीम आईपीएल से ही बाहर हो गयी। धोनी का जलवा आज भी जारी है ।
असल मे धोनी सदैव से ऐसे ही रहे हैं । एक दौर था जब तमाम टीमों के पास बेहतरीन विकेटकीपर बल्लेबाज थे, लेकिन भारतीय टीम में विकेटकीपर द्वारा बीस रन बना लेना भी एक बेहतरीन प्रदर्शन माना जाता था। शायद यही वजह थी कि महान भारतीय कप्तान सौरभ गांगुली ने 2003 विश्वकप में कोई भी विशेषज्ञ विकेटकीपर खिलाने की बजाये राहुल द्रविड़ से पूरे विश्वकप में विकेटकीपिंग करा दी थी।
नयन मोंगिया के बाद पांच साल तक दीप दास गुप्ता, अजय रात्रा, पार्थिव पटेल और दिनेश कार्तिक जैसे कई असफल प्रयोगों के बाद चयनकर्ताओं ने रांची से आये महेंद्र सिंह धोनी को मौका दिया। और देखिये धोनी ने पहले ही साल में पाकिस्तान और श्रीलंका के खिलाफ दो घोषणात्मक पारियों (Daddy Hundreds) द्वारा बता दिया था कि वे मात्र प्रयोग का हिस्सा बनने नहीं बल्कि इतिहास लिखने आये थे। और यह इतिहास धोनी ने लिखा भी । वे क्रिकेट खेलने वाले सभी देशों की टीमों के एकमात्र ऐसे कप्तान हैं जिन्होंने अपने देश की टीम को क्रिकेट के हर फॉरमेट में विश्व विजेता बनाया है ।
मुझे अभी भी याद है 2 अप्रैल 2011 का दिन। अपन तो शिद्दत से यही चाहते थे कि मोहल्ला क्रिकेट से रिटायर होने से पहले एक वर्ल्ड कप का जश्न मना लें। 2003 के फाइनल में दर्शकों की जो पीढ़ी ग्रेजुएट हुई थी, उसके पास अभी भी एक दो साल बचे थे लौंडेपने के, और अपनी टीम ने इस बार निराश नहीं किया। 23 मार्च 2003 को रिकी पोंटिंग ने जो दर्द दिया था, वो अब ख़त्म हो चुका था, और रवि शास्त्री का डायलॉग “Dhoniiiiii finishes off in style” दिल दिमाग पे हमेशा के लिए छप गया। अब कुछ नहीं चाहिए था टीम से । धोनी ने मानो सब कुछ दे दिया था।
महेंद्र सिंह धोनी का भारतीय क्रिकेट में पदार्पण और उत्थान, सफलता की ऐसी कहानी है जो भारतीय क्रिकेट में पहले बहुत कम देखी गई है, एक छोटे शहर से उठकर लम्बे समय तक क्रिकेट की दुनिया को डॉमिनेट करना केवल क्रिकेटर्स ही नहीं बल्कि हर उस युवा के लिए प्रेरणा है, जो दूरदराज से बड़े शहर में आया हो. एक खालिस देसी लौंडा जिसे “ऑर्थोडॉक्स” चीज़ों से कोई लेना देना ना था, वो UPSC निकालनेवाले उन लौंडों जैसा था जो सस्ती कोचिंग से निकलकर सीमित साधनों के साथ बिना किसी ताम झाम के एग्जाम निकाल लेते थे. लेकिन अक्सर भौकाल ऐसे ही लौंडों का होता था। और धोनी का भौकाल पूरे विश्व ने देखा है।
एक बल्लेबाज के तौर पर भी धोनी पिछले दस सालों में सबसे सफल बल्लेबाजों में एक रहे हैं। लक्ष्य का पीछा करते हुए जीते गए मैचों में उनकी सौ से ज्यादा की औसत इसका प्रमाण है। नंबर 6 पर खेलते हुए सबसे ज्यादा रन बनानेवालों में भी धोनी पहले नंबर पर हैं। वो भले ही ऑर्थोडॉक्स ना हों, उनके शॉट भले ही ए बी डीविलीयर्स या विराट कोहली की तरह दिलकश और खूबसूरत ना लगें लेकिन उनका असर कतई कम नहीं है।
उम्मीद है जब अपनी जीवनी मार्केट में लाएंगे तो लास्ट बॉल से अपने ऑब्सेशन को क्लेरीफाई करेंगे. किताब का नाम यही होगा, “The Bottom hand coming into play”
आज महेंद्र सिंह धोनी अपना 38 वां जन्मदिन मना रहे हैं। उन्हें बहुत बहुत बधाई ।
“हैप्पी बर्थडे माही” 😍👍
सादर/साभार
सुधांशु