बिना अनुमति के NSE ने कंपनियों में खरीदी हिस्सेदारी, SEBI ने लगाया छह करोड़ का जुर्माना
नई दिल्ली (तेज समाचार डेस्क): भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड ( SEBI ) ने छह कंपनियों में बिना अनुमति हिस्सेदारी खरीदने को लेकर नेशनल स्टॉक एक्सचेंज ( NSE ) पर छह करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया है। इनमें कैम्स और पॉवर एक्सचेंज इंडिया लिमिटेड शामिल हैं।
इन कंपनियों में NSE ने खरीदी हिस्सेदारी
नेशनल स्टॉक एक्सचेंज ने कैम्स और पॉवर एक्सचेंज इंडिया लिमिटेड के अलावा एनएसईआईटी लिमिटेड, एनएसडीएल ई-गवर्नेंस इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड (एनएसईआईएल), मार्केट सिंपलिफाइड इंडिया लिमिटेड (एमएसआईएल) और रिसीवेबल्स एक्सचेंज ऑफ इंडिया लिमिटेड (आरएक्सआईएल) में भी हिस्सेदारी खरीदी है।
नियामकीय नियमों के उल्लंघन मामले की जांच
सेबी ने एनएसई के नियामकीय नियमों के उल्लंघन मामले की जांच की थी। इस दौरान सेबी ने पाया कि एनएसई अपने पूर्ण स्वामित्व वाली अनुषंगी एनएसआईसीएल या सीधे तौर पर उपरोक्त छह कंपनियों में हिस्सेदारी लेने में शामिल रहा। इसके लिए उसने सेबी से अनुमति नहीं ली और यह एनएसई के एक शेयर बाजार के तौर पर काम करने के उसके मूल काम से संबद्ध नहीं है।
एसईसीसी के नियमों का उल्लंघन
इस तरह एनएसई ने प्रतिभूति अनुबंध (विनियमन) (स्टॉक एकसचेंजिज एण्ड क्लीयरिंग कार्पोरेशन) यानी एसईसीसी के नियमों का उल्लंघन किया। हालांकि इस मामले में किसी निवेशक ने शिकायत नहीं की थी। लेकिन सेबी ने ऐसे उल्लंघन को गंभीर प्रकृति का मानते हुए एनएसई पर छह करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया।
कई बार किया गया नियमों का उल्लंघन
इस संदर्भ में सेबी ने कहा कि एनएसई एक्सचेंज देश में अग्रणी एक्सचेंज है और इसे नियमों का पालन करके कंप्लायंस का एक उच्च स्टैंडर्ड स्थापित करना चाहिए। इतना ही नहीं, सेबी ने यह भी कहा कि नियमों का उल्लंघन एक बार नहीं, बल्कि कई बार किया गया है। यह लंबे समय तक किया गया।
1992 में हुई थी सेबी की स्थापना
मालूम हो कि भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) की स्थापना भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड अधिनियम, 1992 के प्रावधानों के अनुसार 12 अप्रैल, 1992 को हुई थी। सेबी का मूल कार्य प्रतिभूतियों (सिक्योरिटीज) में निवेश करने वाले निवेशकों के हितों का संरक्षण करना, प्रतिभूति बाजार (सिक्योरिटीज मार्केट) के विकास का उन्नयन करना तथा उसे विनियमित करना और उससे संबंधित या उसके आनुषंगिक विषयों का प्रावधान करना।