वाॅशिंगटन. अमेरिका ने न्यूक्लियर सप्लायर्स ग्रुप (एनएसजी) में भारत की मेंबरशिप का समर्थन करते हुए ग्रुप के अन्य सभी सदस्यों से भारत की अर्जी को सपोर्ट करने को कहा है. लेकिन ग्रुप में शामिल चीन भारत को एनएसजी का सदस्य बनाने को लेकर सदैव विरोध करता आ रहा है. बता दें कि भारत ने 48 मेंबर वाले इस ग्रुप की मेंबरशिप के लिए अर्जी दी है. यह ग्रुप इंटरनेशनल लेवल पर न्यूक्लियर मटेरियल की सप्लाई को कंट्रोल करता है.
अमेरिका की डिफेंस और फॉरेन मिनिस्ट्री की एक साझा रिपोर्ट में कहा गया है, ‘अमेरिका ने भारत के एनएसजी में शामिल होने की अर्जी का स्वागत किया है और वह फिर इस बात की पुष्टि करता है कि भारत इसकी मेंबरशिप पाने का अधिकारी है. अमेरिका ने एनएसजी मेंबर्स से भारत का सपोर्ट करने को कहा है.’
नेशनल डिफेंस अथॉरिटी एक्ट (एनडीएए)-2017 के तहत जरूरी यह रिपोर्ट अमेरिकी पार्लियामेंट कांग्रेस को सौंप दी गई है. इसमें ट्रम्प एडमिनिस्ट्रेशन ने भारत के ऑस्पट्रेलिया ग्रुप और वासेनार अरेंजमेंट में मेंबरशिप में भी सपोर्ट देने की बात दोहराई है.
– चायना कर रहा विरोध
रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत-अमेरिका जनसंहार (mass destruction) के हथियारों के प्रसार को रोकने के लिए कमिटेड हैं. चीन एनएसजी में भारत की मेंबरशिप का लगातार यह कह कर विरोध कर रहा है कि भारत ने नॉन प्रॉलिफेरेशन ट्रीटी (एनपीटी) पर दस्तखत नहीं किए हैं. चीन के इस विरोध की वजह से भारत की एनएसजी तक पहुंच मुश्किल बनी हुई है. इस ग्रुप की मेंबरशिप के लिए इसके सभी मेंबर्स की मंजूरी जरूरी होती है. पिछले माह बर्न में हुई एनएसजी की बैठक में भारत की मेंबरशिप पर चर्चा नहीं हुई थी. यह भी तय हुआ था कि इस पर नवंबर में मीटिंग करके कोई फैसला किया जाएगा. भारत को एनएसजी के ज्यदातर मेंबर देशों का सपोर्ट है.