पुणे (तेज समाचार डेस्क). पुणे के निजी हॉस्पिटलों में काम करनेवाली नर्सें कोरोना के भय से नौकरी छोड़ रही हैं. उसी में जब से प्रवासी मजदूरों के लिए विशेष श्रमिक ट्रेनें शुरू की गई हैं तब से रोजाना औसतन सात नर्सें नौकरी से इस्तीफा दे रहीं हैं. अधिकांश नर्सें केरल राज्य से होने के कारण जब से श्रमिक ट्रेने शुरू हुई है, अनेक नर्सें नौकरी छोड़ कर केरल जा चुकी है.
– प्रशासन का कानूनी दबाव
जिला प्रशासन के साथ निजी हॉस्पिटलों के निदेशकों की दो दिन पहले हुई एक बैठक में इस मुद्दे को उठाया गया था. इसमें पुणे में निजी हॉस्पिटलों के निदेशकों ने कहा है कि, कोरोना वायरस संकट के बीच बड़ी संख्या में नर्सें इस्तीफा देकर जा रही हैं जिससे इस महामारी से मुकाबला करने के प्रयासों में भारी दबाव का सामना करना पड़ रहा है. प्रवासी मजदूरों को उनके ग्रामगृह भेजने के फैसले के बाद से नर्सों के नौकरी छोड़ने का प्रमाण बढ़ गया है. नौकरी छोड़कर जाने वाली नर्सों में अधिकांश केरल की हैं. जिला प्रशासन का कहना है कि नर्सों को यह बताया जाना चाहिए कि महाराष्ट्र में आवश्यक सेवा कानून लागू है जिसके तहत अस्पताल नर्सों का “गैर जरूरी” इस्तीफा नामंजूर कर सकते हैं.
– अब तक करीब 100 नर्सें दे चुकी इस्तीफा
पुणे में कोविड-19 के मरीजों के लिए निर्दिष्ट अस्पतालों में से शामिल एक निजी अस्पताल के कार्यकारी निदेशक कहा कि, केंद्र व राज्य सरकार के आदेश के बाद प्रवासी मजदूरों के लिए जब से विशेष ट्रेनें चालू की गई हैं, तब से कम से कम सात नर्सें प्रतिदिन इस्तीफा दे रही हैं. लगभग सौ नर्सें पहले ही छोड़ कर चली गई हैं जिनमें से अधिकांश केरल से हैं. एक ओर मरीजों की संख्या बढ़ने से निजी अस्पतालों पर चिकित्सा का भार बढ़ रहा है. दूसरी ओर बड़े पैमाने पर नर्सों के नौकरियां छोड़ने से अस्पतालों की दिक्कतें बढ़ रही है.