“ऐ मौत तूने मुझको ज़मींदार कर दिया,” नहीं रहे राहत इंदौरी
इंदौर (तेज समाचार डेस्क) : मशहूर शायर डॉ राहत इंदौरी का कोरोना वायरस के कारण निधन हो गया है।। वे कोरोना वायरस से भी संक्रमित थे, उनका उपचार के लिए उन्हें मध्य प्रदेश के इंदौर में 10 अगस्त की देर रात अरविंदो अस्तपाल में भर्ती कराया गया था।दिल का दौरा पड़ने से निधन अरविंदो अस्पताल के डॉक्टर विनोद भंडारी ने बताया कि उर्दू कवि राहत इंदौरी का निधन हो गया है। उन्हें आज दो बार दिल का दौरा पड़ा और उन्हें बचाया नहीं जा सका। हाथ खाली हैं तिरे शहर से जाते जाते जान होती तो मिरी जान लुटाते जाते ’मशहूर शायर राहत इंदौरी का ये शेर उनके जाने के बाद उन्हीं पर कितना मौजूं बैठता है। अपना आखिरी ट्वीट करने के महज कुछ ही घंटों बाद उन्होने दुनिया को अलविदा कह दिया। उनके जाने से अदब की दुनिया में एक जगह और ख़ाली हो गई है।‘बीमार को मरज़ की दवा देना चाहिए मैं पीना चाहता हूं पिला देनी चाहिए’आज उनके यूं यकायक चले जाने से फिर ये अहसास सिरे से जागा है कि जिंदगी को जिंदगी रहते ही भरपूर जी लेना चाहिए। कोई भरोसा नहीं कि आने वाला पल क्या लेकर आएगा। आज जब सारी दुनिया कोरोना के कहर से जूझ रही है ऐसे में तो उनकी ये बात और मौजूं हो जाती है।‘आंख में पानी रखो होंटो पे चिंगारी रखो ज़िंदा रहना है तो तरकीबें बहुत सारी रखो’शायरी की दुनिया में आने से पहले राहत साहब उर्दू के प्रोफेसर और चित्रकार भी रह चुके हैं।
उनकी ज़िंदगी के साथ कई विवाद भी जुड़ते रहे, लेकिन ये भी सच है कि उनकी कलम लाखों लोगों के दिलों को सुकून पहुंचाती रही, आग भी जलाती रही और सवाल भी उठाती रही। अभी उनको बहुत लिखना था, लेकिन 70 साल की उम्र में दुनिया को विदा कह चुके राहत इंदौरी के जाने से लोग स्तब्ध हैं। कवि कुमार विश्वास ने उनको श्रद्धांजलि देते हुए कहा है “हे ईश्वर, बेहद दुखद। इतनी बेबाक जिंदगी और ऐसा तरंगित शब्द सागर इतनी खामोशी से विदा होगा, ऐसा सोचा न था।”इंदौर से उन्हें कितनी मुहब्बत थी, ये उनके नाम से ही पता चलता है। कम ही लोग जानते होंगे कि उनका असली नाम कामिल था, लेकिन उन्होने अपने लिए राहत इंदौरी नाम चुना और इसी नाम से सारी दुनिया में परचम लहराया। वो अक्सर महफिलों में एक शेर सुनाया करते थे जिसमें उनका इंदौर से इश्क साफ झलकता था-‘सुखनवर ओटलों पर बैठते हैं मेरी दिल्ली मेरी रानीपुरा है’उनके इंतकाल पर न सिर्फ इंदौर, न सिर्फ भारत बल्कि दुनिया भर में शोक की लहर है। उनका मोहल्ला गुमसुम है और शायरी की दुनिया बेचैन। इंदौर के ही कवि और उनके दोस्त अतुल ज्वाला ने गहरा दुख व्यक्त करते हुए राहत साहब को कुछ इस तरह याद किया-