बगदाद (तेज समाचार डेस्क). एक समय था जब इराक के तानाशाह सद्दाम हुसैन ने अपने आपको सर्वशक्तिमान करनेवाले देश अमेरिका की नाक में दम कर रखा था. लेकिन आखिरकार अमेरिकी सैनिकों ने लंबे युद्ध के बाद सद्दाम को गिरफ्तार कर लिया और बाद में 2006 में उसे फांसी दे दी गई. फांसी देने के बाद सद्दाम की लाश को दफन करने के लिए इराक भेज दिया गया था. लेकिन 2006 में दफन करने के 12 सालों बाद अचानक कब्र से सद्दाम हुसैन की लाश रहस्यमयी तरीके से गायब हो गई है. उसकी कॉन्क्रीट की टूटी-फूटी कब्र खाली पड़ी हुई है और उसके शव का कोई अवशेष मौजूद नहीं है.
– 20 सालों तक इराक पर किया राज
सद्दाम हुसैन एक ऐसा तानाशाह था, जिसने 20 साल तक इराक की सत्ता पर राज किया. लोग उसका नाम लेते ही कांपने लगते थे. आज उस तानाशाह की कब्र गायब है. रिपोर्ट के मुताबिक, पूर्व यूएस प्रेसिडेंट जॉर्ज बुश ने खुद 30 दिसंबर 2006 को तानाशाह की डेडबॉडी यूएस मिलिट्री हेलिकॉप्टर से बगदाद रवाना की थी. बगदाद से ये डेडबॉडी अल-अवजा ले जायी गई, जहां उसे दफनाया गया. उसकी डेडबॉडी को सुबह होने से पहले दफना दिया गया. बाद में ये जगह तीर्थस्थल में तब्दील हो गई.
– हर साल जन्मदिन पर जमा होते है लाखों समर्थक
सद्दाम दुनिया के लिए भले ही एक क्रूर तानाशाह था, लेकिन दूसरी ओर सद्दाम के चाहनेवालों की भी कमी नहीं थी. इसी कारण युद्ध के दौरान अमेरिकी सेना को उसे ढूंढ निकालने में महीनों लग गए थे. आज भी उसके जन्म दिन पर उसकी कब्र पर लाखों समर्थक जुटते है. लेकिन खबर के मुताबिक अब यहां आने के लिए सरकार की इजाजत लेनी पड़ती है.
– जितने मुंह, उतनी बातें, आखिर कहां गया तानाशाह?
सद्दाम के वंशज शेख मनफ अली अल-निदा का दावा है कि किसी ने सद्दाम की कब्र को खोदा और उसके शव को जला दिया गया है. कब्र की सिक्योरिटी में लगे शिया पैरामिलिट्री फोर्स का दावा है कि आतंकी संगठन ISIS ने अपने फाइटर तैनात किए थे. इराकी आर्मी ने यहां उन पर हवाई हमले किए तो ये कब्र बर्बाद हो गई. वहीं, सद्दाम के लिए काम कर चुके एक फाइटर ने दावा किया कि तानाशाह की निर्वासित बेटी हाला अपने प्राइवेट जेट से इराक आई थी और चुपचाप डेडबॉडी लेकर जॉर्डन चली गई. एक इराकी प्रोफेसर के मुताबिक, सद्दाम की बेटी हाला कभी इराक लौटी ही नहीं है. दरअसल, डेडबॉडी को एक सीक्रेट जगह ले जाया गया है.
– क्या अभी भी जिन्दा है सद्दाम हुसैन?
कोई भी नहीं जानता कि उसे कौन और कहां लेकर गया है. वहीं, स्थानीय लोगों का मानना है कि सद्दाम हुसैन अभी भी जिंदा है. जिसे फांसी दी गई थी, वह उनके हमशक्लों में से एक था.