नई दिल्ली (तेज समाचार डेस्क). यूरोपियन यूनियन (EU) के राजदूत तोमाज कोज्लॉस्की एक प्रतिनिधिमंडल के साथ इन दिनों भारत के दौरे पर हैं. उन्होंने पाक जैसे आतंकवाद को समर्थन देनेवाले देशों को फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) ग्रे लिस्ट में डाले जाने का समर्थन किया है. उन्होंने भारत और EU के बीच मजबूत होते संबंध और EU-भारत की साझा संभावनाओं का भी जिक्र किया.
ज्ञात हो कि कि FATF एक अंतर-सरकारी संस्था है, जो धन शोधन और आतंकी वित्तपोषण समेत अन्य चीजों से मुकाबला करती है. ग्रे सूची वित्तीय मदद के जरिए आतंकवाद को बढ़ावा देने वाले देशों की निगरानी के बाद तैयार की जाती है.
– पाक पर फरवरी 2018 में लागू हुई FATF ग्रे लिस्ट
पाकिस्तान को ऐसे देशों की निगरानी सूची (FATF ग्रे लिस्ट) में रखने का फैसला फरवरी-2018 में ही लिया गया था. हालांकि, पाक को जून तक इस मुद्दे से मुकाबला करने का मौका दिया गया था. FATF में पाक को शामिल किए जाने पर कोज्लॉस्की ने कहा ‘FATF की हालिया बैठक में हमने भारत से इस विषय पर चर्चा की थी. दोनों पक्ष कुछ देशों को ग्रे सूची में रखे जाने पर सहमत थे. हमने कुछ साझा खतरों की पहचान भी की है.’ उन्होंने कहा कि चर्चा के बाद वे नीतियों से आगे बढ़ते हुए पुख्ता कार्रवाई करने में भी सक्षम हैं.
– भारत ने भी किया FATF की सूची का समर्थन
इससे पहले गत जून में भारतीय विदेश मंत्रालय ने वित्तीय कार्रवाई कार्यदल (FATF) द्वारा पाकिस्तान को अपनी जमीन पर आतंकी वित्तपोषण रोकने में विफल रहने खातिर ‘ग्रे सूची’ में डालने के कदम का स्वागत किया था.
– भारत के साथ ट्रिपल-S की साझेदारी
भारत दौरे पर आए EU के राजदूत तोमाज कोज्लॉस्की ने कहा कि EU भारत के साथ तीन S का संबंध बनाना चाहते हैं. उन्होंने S का अर्थ बताते हुए कहा कि Strong, Sustainable and Strategic (मजबूत, सतत और रणनीतिक) साझेदारी की बात कही.
दरअसल, चीन की महत्वाकांक्षी कनेक्टिविटी परियोजनाओं के बीच रूस की दृढ़ता और व्यापारिक मोर्चे पर अमेरिकी रवैया देखते हुए भारत और ब्रसेल्स राजनीतिक रूप से आपसी हित से जुड़े मुद्दों पर करीब आए हैं. भारत दौरे पर आए यूरोपियन यूनियन के प्रतिनिधिमंडल ने EU-भारत की साझेदारी का खाका पेश किया. EU में शामिल 28 देशों के साथ दिसंबर में संयुक्त संवाद होगा. ब्रसेल्स स्थित EU मुख्यालय में संवाद पर सहमति जताई गई. इसमें भारत के साथ साझेदारी मजबूत करने पर जोर दिया गया है.
– भारत की प्राथमिकताएं अहम
वर्तमान साझा संवाद 2004 में हुए भारत के संवाद की जगह लेगा. ये भारत के बढ़ते भौगोलिक और राजनीतिक प्रभाव के बाद हुआ है. EU के राजदूत तोमाज कोज्लॉस्की ने कहा कि संवाद तैयार करने में भारत की प्राथमिकताओं और अपेक्षाओं को ध्यान में रखा गया है. तोमाज कोज्लॉस्की ने कहा ‘विदेश संबंध के संदर्भ में भारत हमारे एजेंडा के शीर्ष पर है. इसका प्रमाण बढ़ती द्विपक्षीय यात्रा है. EU और भारत अब एक दूसरे को पहले से बेहतर समझते हैं. हमारे ख्याल 25 साल पहले जैसे नहीं हैं. हम एक दूसरे के साथ आगे बढ़ने के लिए तैयार हैं.
– भारत में हैं काफी संभावनाएं
बकौल कोज्लॉस्की ‘भारत-EU की साझा जनसंख्या लगभग दो बिलियन है. अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत का एक अहम और सम्मानित स्थान है. हम इस बात पर भी सहमत हैं कि छिपी हुई काफी संभावनाओं को अभी तक टटोला नहीं गया है. दिसंबर के साझा संवाद पर भारत में आम चुनाव-2019 और EC से ब्रिटेन के बाहर जाने पर क्या असर होगा? इस सवाल पर कोज्लॉस्की ने कहा कि द्विपक्षीय संबंधों पर ब्रेक्जिट (EU से ब्रिटेन का बाहर निकलना) का असर नहीं होगा. उन्होंने कहा ‘दोनों पक्षों की सरकारें और नेतृत्व अपने दायित्व से जुड़े काम जारी रखेंगे.
– अक्टूबर में हुई थी पाक के आतंकवाद रोकने के प्रयासों की जांच
बता दें कि विगत अक्टूबर, 2018 में आतंकवाद के वित्तपोषण को रोकने के पाकिस्तान के प्रयासों की जांच के लिए अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों की एक टीम पाकिस्तान पहुंची थी. डॉन न्यूज के मुताबिक, पेरिस स्थित फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) की एक शाखा एशिया प्रशांत समूह (APG) की टीम ने जमीनी स्तर पर निरीक्षण के लिए पाक का 12 दिवसीय दौरा किया था. APG प्रतिनिधिमंडल में ब्रिटेन के स्कॉटलैंड यार्ड, अमेरिकी वित्त विभाग, मालदीव की वित्तीय खुफिया इकाई, इंडोनेशियाई वित्त मंत्रालय, पीपुल्स बैंक ऑफ चाइना और तुर्की के न्याय विभाग के विशेषज्ञ शामिल थे. मीडिया रिपोर्ट्स में इस टीम के पाक में स्थित विभिन्न संस्थानों और एजेंसियों के सिस्टम, नेटवर्क और मैकेनिज्म की समीक्षा करने की बात कही गई थी. टीम ये आकलन करती है कि FATF की ग्रे सूची से बाहर निकलने के प्रति देश अपनी वैश्विक प्रतिबद्धता के लिए उचित काम कर रहा है या नहीं.
– अफगानिस्तान भी FATF के समर्थन में
इससे पहले मार्च-2018 में अफगानस्तिान ने भी आतंक विरोधी मोर्चे पर पाकिस्तान पर बढ़ते अंतरराष्ट्रीय दबाव का स्वागत किया था. अफगानिस्तान ने पाक को FATF ग्रे लिस्ट में शामिल करने पर सहमति जताते हुए उसे मिलने वाली अमेरिकी सहायता में कटौती का भी स्वागत किया था.
– अमेरिका की भूमिका
अमेरिका ने पाकिस्तान को ‘ग्रे लिस्ट’ में शामिल करने के लिए FATF के सदस्यों को राजी कर लिया था. यह निगरानी आतंकवाद के वित्त पोषण और धन शोधन को रोकने के मामले में पर्याप्त रूप से ठोस कार्रवाई नहीं करने पर की जाती है. जनवरी, 2018 में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पाकिस्तान द्वारा आतंकवादी संगठनों की मदद करने और इनका समर्थन करने पर उसे दी जाने वाली सैन्य सहायता और करीब 1.2 अरब डॉलर की वित्तीय सहायता रोक लेने आदेश दिए थे.
– चीन सहमत नहीं
हालांकि, गत जून में चीन ने पाकिस्तान पर आतंकवाद के मोर्चे पर बदनाम न करने व दबाव न डाले जाने की वकालत की थी. चीन के विदेश मंत्रालय ने कहा कि वह फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) के पाकिस्तान के ग्रे सूची में रखने के फैसले पर टिप्पणी नहीं करेगा. चीन ने दुनिया को पाकिस्तान द्वारा ‘निष्पक्ष’ तरीके से किए गए प्रयासों को देखने का परामर्श भी दिया. चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लू कांग ने कहा, ‘हम टास्क फोर्स के फैसले पर टिप्पणी नहीं करेंगे. पाकिस्तान ने आतंकवाद के मुकाबले के बहुत से प्रयास किए हैं और बड़ी कुर्बानी दी है. अंतरराष्ट्रीय समुदाय को इस निष्पक्ष तरीके से देखना चाहिए और पाकिस्तान को ज्यादा समर्थन व मान्यता देनी चाहिए.’