पुणे (तेज समाचार डेस्क). ‘पाकिस्तान ने अपने देश को पूरी तरह से इस्लामी राष्ट्र बना दिया है. अगर उन्हें भारत के साथ शांति वार्ता करनी है, तो पाकिस्तान को स्वयं को पहले धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र के रूप में विकसित करना होगा. हम एक धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र हैं. पाकिस्तान अगर ‘शांति’ की राह पर चलना है, तो पहले धर्म निरपेक्ष बनना होगा. अगर वे हमारे जैसे धर्मनिरपेक्ष बनने के इच्छुक हैं, तो कहीं जाकर बात करने का अवसर नज़र आता है. पाकिस्तान के ‘शांति’ वाली ढकोसलेबाज़ी को दो टूक में यह जबाब जनरल बिपिन रावत ने दिया. जनरल ने यह बात शुक्रवार को राष्ट्रीय रक्षा अकादमी के 135 वें पासिंग आउट परेड़ के दौरान पत्रकारों से बातचीत करते हुए कही.
-‘आतंकवाद और बातचीत’ एक साथ नहीं हो सकते
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान के बयान ‘अगर भारत शांति के लिए एक कदम उठाएगा, तो पाकिस्तान दो कदम उठाएगा’ के बारे में जनरल से सीधे तौर पर कहा कि, इमरान खान की कथनी और करनी में बहुत फर्क है. भारत कई बार एक कदम उठा चुका है, लेकिन पाकिस्तान की ओर से उठाया गया एक भी सकारात्मक कदम नहीं नजर आता. जमीनी तौर पर कोई परिवर्तन नहीं दिखता, हकीकत बिलकुल विपरीत है. हम देखेंगे कि उनके प्रयास जमीन पर क्या प्रभाव डालते हैं. हमारे देश की स्पष्ट नीति है कि आतंक और बातचीत एक साथ नहीं जा सकती है.
-सेना में आने वाले समय में बढ़ेगी महिलाओं की भूमिका
सेना में महिलाओं की बढ़ती भूमिका को लेकर ‘जनरल रावत ने बताया कि सेना में आने वाले समय में महिलाओं की भूमिका बढ़ेगी. सेना में कई क्षेत्र ऐसे है जहां महिला बेहतर सेवाएं दे सकतीं है. जल्द ही सशस्त्र बलों में महिलाओं की भूमिका में वृद्धि होगी. रावत ने कहा, हमने अभी तक उन्हें आगे की लड़ाई में शामिल नहीं किया है. हमें लगता है कि हम अभी तक तैयार नहीं हैं. पश्चिमी राष्ट्र की सेनाओं में महिलाएं है, क्योंकि वहां लोग ज्यादा खुले हैं. यहां बड़े शहरों में लड़के और लड़कियां एक साथ काम कर रहे हैं, लेकिन सेना में लोग केवल बड़े शहरों से नहीं आते हैं. उनमें से अधिकांश ग्रामीण क्षेत्रों से हैं. जहां पुरुषों और महिलाओं के बीच मिलना अभी भी खुला नहीं है. हम इस पर विचार कर रहे हैं कि महिलाओं को कैसे स्थायी रूप से सेवा में रखा जा सकता है. महिलाएं कुछ क्षेत्रों में पुरुष अधिकारियों से ज्यादा अच्छी सेवाएं देने में सक्षम हैं. ऐसे में महिलाओं को भाषा इंटरप्रेटर, सैन्य कूटनीति, सूचना, साइबर और मनोवैज्ञानिक युद्ध जैसे क्षेत्रों में महिला अधिकारियों को रखना फायदेमंद है. सेना के शिक्षा और कानून विभागों में पहले से ही मौजूद हैं.