सदाचार शाकाहार के प्रणेता,श्री वर्धमान स्थानकवासी जैन श्रावक संघ जलगांव के कार्याध्यक्ष श्री रतनलालजी सी. बाफना जी के स्वर्गवास पर विशेष श्रद्धांजलि
जलगांव शहर के कुसूंबा परिसर में अहिंसा तीर्थ के नाम से बनाये गये गो सेवा अनुसंधान केंद्र की ख्याती आज देश विदेश में शाकाहार के संकल्प के साथ फैलती दिखाई दे रही है। आभुषण व्यवसाय से जुडे रतनलाल सी बाफना उर्फ़ भाईसाहब द्वारा १९५४ में जलगांव में रतनलाल सी बाफना स्वर्ण तीर्थ का निर्माण करते हुए सराफा व्यवसाय प्रारंभ किया गया। परिपक्वता, विश्वसनीयता के चलते श्री बाफनाजी द्वारा सराफा व्यवसाय के अलावा सामाजिक क्षेत्र व खास तौर से शाकाहार सदाचार क्षेत्र में अच्छी ख्याती प्राप्त की गयी। व्यवसाय व समाज सेवा कार्य को अलग रखते हुए रतनलाल बाफनाजी द्वारा अपने व्यवसाय की बागडोर अगली पीढी को सौंपते हुए स्वयं को गौ माता के सेवा कार्य में झौंक दिया गया।
जिसके परिणाम स्वरुप जलगांव से औरंगाबाद जानेवाले मार्ग पर स्थित कुसूंबा परिसर में अहिंसा तीर्थ के रुप में रतनलाल सी बाफना गो सेवा अनुसंधान केंद्र की स्थापना की गयी। इतना ही नहीं इस ईश्वरिय कार्य के प्रसार के लिए श्री बाफनाजी को जब भी अवसर प्राप्त हुआ तो उन्होने शाकाहार, सदाचार के संकल्प के साथ गौ-माता की रक्षा व संवर्धन का देशभर में प्रचार प्रारंभ कर दिया। अहिंसा तीर्थ के रुप में श्री बाफनाजी की जीवनभर की सामाजिक सोच व मेहनत दिखाई देती है। जिसके परिणाम स्वरुप इस पवित्र स्थल को देखने के लिए देशभर के नामी-गिरामी नामों के अलावा मीडिया क्षेत्र से जुडे दिग्गज, सामाजिक कार्यकर्ता, राज्यस्तरीय व केंद्रीय मंत्री, आदि सभी के द्वारा अपनी उपस्थिती दर्ज करायी गयी। जिसके अंतर्गत जैन संत तरुण सागरजी महाराज, विजय रत्न सुंदर सुरीजी महाराज, प्रिती सुधा महाराज साहब, भैय्युजी महाराज, श्रीश्री रविशंकर, विश्व हिंदू परिषद के अशोक सिंघल, प्रवीण तोगडीया, सुभाष गोयल दैनिक भास्कर समूह के संचालक अमित अग्रवाल आदि नाम प्रमुख है। इतना ही नहीं गौशाला व यहां चल रहे संवर्धन के कार्यों को देखने पाकिस्तान से लगभग १५० लोगों का एक पर्यटन दल भी अहिंसा तीर्थ आया था। श्री बाफना जी द्वारा पूर्व में अपने एक साक्षात्कार में जानकारी दी गई थी कि पाकिस्तान से आये पर्यटन दल की यह विशेषता रही कि, अहिंसा तीर्थ आकर गाय से जुडी अधिकतम जानकारी के चलते इस दल में से लगभग 100 लोगों द्वारा मांसाहार छोड़ा । भाईसाहब उर्फ़ बाफना जी बताते थे कि उस पाकिस्तानी पर्यटन दल ने अहिंसा तीर्थ आकर जब मूक जानवरों को काटे जाने के चलचित्र देखे, शाकाहार के महत्व को समझा, मनुष्य के भोजन व खान की रचना को समझा तो उन्होंने स्वयम ही मांसाहार छोड़ने का संकल्प लिया । रतनलाल बाफनाजी ने खुद उस पाकिस्तानी पर्यटन दल का समुपदेशन किया था ।
यह लोग आज भी समय-समय पर पत्र या इंटरनेट के माध्यम से अपने इस संकल्प की जानकारी देते रहते है। शाकाहार के प्रणेता माने जाने वाले रतनलालजी बाफना द्वारा निर्माण किये गये इस गो रक्षा संपर्क केंद्र अहिंसा तीथ में आज में लगभग 3000 गाय मौजूद है। इन प्राणियों के पालन व देखरेख के लिए 250 कर्मचारी निरंतर सेवारत रहते है। कुसूंबा परिसर में गौ शाला के भीतर ही प्राणियों के उपचार के लिए एक उपचार केंद्र भी निर्माण किया गया है। जिसमें 4 उच्च शिक्षित डाक्टरों द्वारा तनमन से गौ सेवा कार्य किया जाता है। अहिंसा तीर्थ के अंतर्गत गौ मूत्र से लेकर गाय के विभिन्न गुणों से जुडी एक दवाई का भी निर्माण किया जा रहा है। इसके अलावा गोबर पर आधारित खाद का निर्माण करते हुए किसानों को उनकी भूमि के लिए अमृतबाण उपलब्ध कराया जा रहा है। अहिंसा तीर्थ में किसानों को गौ खाद बनाये जाने के लिए प्रशिक्षण भी दिया जाता है। ताकि आनेवाले समय में गौ पालन, गौ संवर्धन, गौ रक्षा के साथ-साथ भारतमाता की उपजाऊ भूमि को उर्वरा बनाया जा सके।
श्री बाफनाजी ने साक्षात्कार में मांसाहार को लेकर चैकाने वाले आंकडे प्रस्तुत करते हुए गौ रक्षा के लिए जागृत होने का आवाहन किया था । श्री बाफनाजी ने बताया था कि, वर्ष 2006 – 2007 से लगभग 5 लाख मेट्रिक टन गौ मास निर्यात किया गया था। जबकी भारतीय संस्कृति के जागृत होने व दबाव के चलते 2007-08 में 4 लाख 83, वर्ष 2008-09 में 4 लाख 62 एवं वर्ष 2009-10 में 3 लाख 11 मेट्रिक टन एवम् वर्ष 2012 में 3.265 मिलियन टन गौ माँस का निर्यात किया गया। प्रति वर्ष इन आंकड़ों में तेज़ी के साथ बढ़ोत्तरी होती जा रही है , वर्ष 2017 – 18 में अब भारत से बीफ का 13,48,225 मीट्रिक टन निर्यात हुआ । यह आंकडे भारत की बहुमूल्य गौ संपदा की विनाश की कहानी कह रहे है। इन्हे रोकने के लिए ही देश भर के कोनों में जलगांव के रतनलाल सी बाफना जैसे लोग निर्माण करने होंगे।
यह शाकाहार अनुयायियों के लिए बेहद कठिन व दुखद समय है कि 16 नवम्बर 2020 को देश भर में शाकाहार की अलख जगाने वाले यह गृहस्थ संत, सदाचार शाकाहार के प्रणेता,श्री वर्धमान स्थानकवासी जैन श्रावक संघ जलगांव के कार्याध्यक्ष श्री रतनलालजी चुनिलालजी बाफना हमारे बीच नहीं रहे। वह 86 वर्ष के थे ।
