फिलहाल लेह का दौरा टाले संसदीय समिति-रक्षा मंत्रालय की सिफारिश
नई दिल्ली (तेज समाचार डेस्क): रक्षा मंत्रालय ने संसदीय समिति की अगले महीने होने वाली लेह यात्रा को फिलहाल टालने की सिफारिश की है। सूत्रों के मुताबिक मंत्रालय ने संसदीय समिति को बताया कि अभी वहां जाना ठीक नहीं है। समिति ऊंचाई वाली चौकियों पर काम करने की स्थितियों, सैनिकों को दी जा रहीं सुविधाओं की समीक्षा करने के लिए नवंबर में लेह का दौरा करने वाली थी।लोक लेखा समिति (पीएसी) के सदस्य चीन-भारत सीमा पर सड़कों को लेकर कैग की एक रिपोर्ट की जांच कर रहे हैं। साथ ही वहां तैनात सैनिकों को दिए जाने वाले कपड़ाें, उपकरणों, राशन और उनके आवास की स्थितियों से जुड़ी एक रिपोर्ट की भी जांच की जा रही है।
सूत्रों के मुताबिक लोकसभा में कांग्रेस दल के नेता अधीर रंजन चौधरी की अध्यक्षता वाली समिति के समक्ष सीडीएस जनरल बिपिन रावत समेत सरकार के शीर्ष अधिकारियों ने अभी यात्रा टालने की सिफारिश की है। उन्होंने कहा, मौसम के साथ साथ सीमा पर तनाव के बीच इस यात्रा से सेना पर अतिरिक्त तनाव बनेगा। संसदीय समिति ने पेटीएम में चीनी निवेश के बारे में पूछा पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर जारी सैन्य तनाव के बीच संसद की एक स्थायी समिति ने पेटीएम के प्रतिनिधियों से कंपनी में चीनी निवेश और डेटा स्टोरेज से जुड़े सवाल पूछे। पेटीएम के वरिष्ठ अधिकारी बृहस्पतिवार को पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन बिल पर संसद की संयुक्त समिति के समक्ष पेश हुए।
सूत्रों ने बताया, पेटीएम के अधिकारियों ने प्रस्तावित कानून को लेकर कुछ महत्वपूर्ण सुझाव दिए। समिति ने पेटीएम के अधिकारियों से कहा, उपभोक्ताओं के निजी डेटा भारत में स्टोर होने चाहिए।समिति में शामिल विभिन्न दलों के नेताओं ने पेटीएम से पूछा कि भारतीय उपभोक्ताओं की संवेदनशील और निजी जानकारी उसके विदेश स्थित सर्वर में क्यों स्टोर की जाती है, जबकि वह खुद को भारतीय कंपनी होने का दावा करती है।समिति ने कहा, सर्वर भारत में होना चाहिए।
समिति ने डिजिटल लेनदेन की सुविधा देने वाली कंपनी में चीनी निवेश की जानकारी मांगी। पेटीएम ने कहा, संवेदनशील और व्यक्तिगत डेटा को प्रसंस्करण के उद्देश्य से भारत से बाहर स्थानांतरित किया जा सकता है, जब इस तरह के हस्तांतरण के लिए ‘डेटा प्रिंसिपल’ द्वारा स्पष्ट सहमति दी जाती है।बता दें कि फेसबुक, ट्विटर, अमेजन जैसी अमेरिकी कंपनियों के प्रतिनिधि डेटा स्टोरेज को लेकर संसदीय समिति के सामने अपने बयान दर्ज करा चुके हैं। जबकि रिलायंस जियो, एयरटेल, ओला, उबर जैसी कंपनियों के प्रतिनिधियों को भी समिति केे सामने पेश होना है।