पुणे (तेज समाचार डेस्क). पति को छोड़कर प्रेमी के साथ रहने गई पत्नी द्वारा पारिवारिक हिंसा कानून के तहत पति और उसके परिवार वालों के खिलाफ केस दर्ज कराया गया. इसके बाद महिला ने पति से गुजारा भत्ता देने की मांग की थी. प्रथम वर्ग न्यायिक दंडाधिकारी कोर्ट ने महिला द्वारा दायर गुजारा भत्ता देने की याचिका को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि वह उच्च शिक्षित है. ऐसे में उसके भरण-पोषण की जिम्मेदारी पति पर नहीं है.
जानकारी के अनुसार समीर व स्नेहा (दोनों के बदले हुए नाम) की 2010 में शादी हुई थी. समीर नौकरी करता है, लेकिन वह मानसिक रोगी है. इसकी पूरी जानकारी शादी से पहले समीर ने स्नेहा को दी थी. उच्च शिक्षित स्नेहा ने शादी के बाद नौकरी या बिजनेस नहीं की. समीर के मानसिक रोगी होने का गलफ फायदा स्नेहा ने उठाया. उसने उसके प्रेमी से संबंध बना लिए. वह 2016 में समीर को छोड़कर अपने प्रेमी के साथ रहने चली गई. इसके बाद पारिवारिक हिंसा कानून के तहत समीर और उसके घर वालों के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई तथा कोर्ट में याचिका दायर कर गुजारा भत्ता की मांग की.
समीर की तरफ से कोर्ट में एड. मानसी जोशी और एड. प्रज्ञा वैद्य ने पक्ष रखा. सुनवाई के दौरान स्नेहा से पारिवारिक हिंसा के सबूत मांगे गए. लेकिन स्नेहा कोर्ट में इसके सबूत पेश नहीं कर पाई. यह भी जानकारी सामने आई कि शादी के बाद स्नेहा ने समीर से अलग-अलग कारण बताकर काफी सारे पैसे लिए. कोर्ट में साफ हो गया कि समीर से पैसे ऐंठने के लिए मामले को कोर्ट में लाया गया है. स्नेहा की इस मंशा पर गौर करने के बाद अदालत ने स्नेहा की याचिका खारिज कर दी.