पटना रैली , बिहारी बाबू और अटल बिहारी
साल था 1991 । पटना के गांधी मैदान में भाजपा की जन सभा थी। मुख्य वक्ता थे अटल बिहारी वाजपेयी। तभी भाजपा से जुड़े फिल्म अभिनेता शत्रुघ्न सिन्हा मंच पर पहुंच गए। उनसे पहले अटल जी मंच पर बैठ चुके थे। और अपना भाषण शुरू कर ही रहे थे।
अटल जी की उपस्थिति की परवाह किए बिना अभिनेता शतुघ्न मंच के अगले हिस्से की खाली जगह में चहल कदमी करने लगे।मंच के एक सिरे से दूसरे सिरे तक पहुंच कर हाथ हिला -हिला कर उपस्थित भीड़ से मुखातिब होते रहे। इस क्रम में मंच का अनुशासन बिगड़ गया।
नीचे खड़ी भीड़ में से भी कुछ मनचले लोग “शत्रुघ्न – शत्रुघ्न” चिल्लाने लगे । इससे सभा अव्यस्थित हो गयी । मंच पर अटलजी सहित और उपस्थित नेतागण बहुत खिन्न हो गये। उसमें बहुत से प्रबुद्ध लोग जो अटल जी को सुनने आये थे , वे ऐसे हरकत से स्तब्ध रह गये। ऐसी ओछी घटनाओं से औसत दर्जे के अभिनेता शत्रुघ्न सिन्हा को पार्टी में अपने वजन का गुमान हो गया जो 2019 के लोकसभा चुनाव के पूर्व तक बना हुआ रहा।
शालीन अटल बिहारी जी चुपचाप यह दृश्य देखते रहे।उन्हें यह अच्छा नहीं लगा कि एक राजनीतिक सभा मे शत्रुघ्न सिन्हा ऐसी नौटंकी करें ।
तब अटलजी ने माइक थाम कर उपस्थित जनता से थोड़ा तल्खी में कहा, “मैं जानता हूं कि यह मंच बिहारी बाबू के लिए है। लेकिन बिहारी बाबू भी जानते हैं कि ये मंच अटल बिहारी के लिए है।” इसके बाद वहां सन्नाटा छा गया। अटलजी के इस वनलाइनर ने भीड़ की बोलती बंद कर दी। शत्रुघ्न सिन्हा ने अटलजी से माफी मांगी और अपने समर्थकों से शांत रहने की अपील की। उसके पश्चात अटलजी ने शांतिपूर्वक अपनी स्पीच पूरी की। लेकिन उनके लिए यह अनुभव बहुत ही बुरा था।
सभा की समाप्ति के बाद अटल जी ने राज्य के पूर्व स्वास्थ्य मंत्री लाल मुनी चैबे से सिर्फ इतना ही कहा कि ‘ये फिल्मी अभिनेता मंच की गरिमा को नष्ट कर देते हैं।’
दरअसल कहीं किसी सभा में भीड़ जुटाने के लिए अटल बिहारी वाजपेयी जी को किसी फिल्मी अभिनेता की जरूरत नहीं होती थी। और उस दिन पटना की सभा मे भी अटल बिहारी जी ने इस बात को बता दिया था।