जीवन सार्थक करने वाले आदरणीय धर्माधिकारी साहब के कार्यकर्तृत्व की प्रेरक ज्योत सदैव प्रज्वलित रहेगी। उन्हें कृतज्ञतापूर्वक विनम्र अभिवादन करता हूँ। उनके सत्वशील व्यक्तित्व, जीवनमूल्यों के तत्व के लिए रेखांकित करने जैसी सबसे महत्त्वपूर्ण बात है उनके आचरण के आगे नतमस्तक होना। आदर्श जीवन की तरह धर्माधिकारी साहब ने प्रेरणादायी जीवन व्यतित किया।
महात्मा गांधीजी के जीवनव्रत का, देश के लिए त्याग देने का, जीवमूल्यों का आचरण करते हुए कठिन परिश्रम करने का, यातनाएँ सहन करने का संस्कार धर्माधिकारी परिवार पर था। घर-घराने के मातृपितृ संस्कारों का कृतिशील विद्यापीठ था। दादा धर्माधिकारी के तेजस्वीता का तपस्वितता का, तत्परता का संस्कार रक्त में ही था। वक्तृत्व को ज्ञानपरायण साधना की निरंतर जोड लाभान्वित हुई। एक-एक शब्द आचरणशील, विचार दीपस्तंभ की तरह मार्गदर्शक।
गांधीजी के प्रेरक कार्य को प्रात:स्मरणीय माननेवाले बड़े भाऊ को गांधीजी का साहित्य, गांधीजी का मनुष्य को घटित करने वाले मूल्यात्मक प्रयोग, गांधीजी की ग्रामीण भारत विकास संकल्पना ऐसे अनेक संदर्भ में संस्थात्मक कार्य साकार करना था। बड़े भाऊ के अंत:करण के इस संकल्पों को मूर्तस्वरूप गांधी रिसर्च फाउण्डेशन के माध्यम से प्राप्त हुआ। गांधी विचारों का सदैव जागरण और आचरण करने वाले गांधीतीर्थ को संपूर्णत: सुयोग्य-परिपूर्ण-सदसद्विचार-विवेकी श्रेष्ठ व्यक्ति अध्यक्ष के नाते प्रमुख मार्गदर्शक होनी चाहिए, यह भाऊ की मन:पूर्वक सद्भावना था। गांधीजीं के विचार आचरण में लायी गई संकल्पना के कारण कान्हदेश-जलगांव में गांधी रिसर्च फाउण्डेशन के माध्यम से राष्ट्रीय-अन्तर्राष्ट्रीय स्तर के मल्टिमीडिया ऑडिओ गाइडेड अस्तित्व मे लाया गया।
धर्माधिकारी साहब वाचन-अभ्यास का एक अखंड यज्ञ ही था। उनके साहित्य, संपदा से, समय-समय पर किये हुए लेखन-भाषण द्वारा प्राप्त होने वाले विचारधन, उदाहरण, द्रष्टान्त मनुष्य को कृतिप्रवण करते। धर्माधिकारी साहब की ‘माणूसनामा’ यह किताब युवापिढी के लिए अत्यंत दिशादर्शक। स्पर्धकों ने इस किताब का बार-बार पठन किया। विशेष यह कि, महिलाओं के बारे में उन्होंने समय-समय पर व्यक्त किया हुआ आदर संस्कृतिशील.. इन्हीं विचारों की फलश्रुती स्वरूप गांधी रिसर्च फाउण्डेशन के संचालक मंडल पर सौ. ज्योति अशोक जैन इनके नाम का आग्रहण धर्माधिकारी साहब ने किया। घर की स्त्रिया-माता-भगिनी परिवार संस्कृति को बनायें रखती है। उनके विविध समाजिक राष्ट्रीय कार्य में सहभाग होना ही चाहिए, ऐसी धर्माधिकारी साहब की व्यापक भूमिका… माता-भगिनी का, उनके के कार्यकर्तृत्व का उचित समय पर योग्य पद्धति से सम्मान करना चाहिए ऐसी उनकी व्यापक दृष्टि। घर में नये से पदार्पण की हुई बड़े भाऊ की पौत्रवधू अंबिका को भी गांधीजी के कार्य के बारे में उन्होंने अवगत कराया। उनकी यह आचार-विचरों की शुद्धता, संस्कारशीलता अविस्मरणीय है।
गांधी तीर्थ द्वारा बा बापू 150 वी जयंती के उपलक्ष्य में भारत के 150 गावों का पानी, स्वच्छता, स्वास्थ्य, शिक्षा, स्वावलंबन इन कृतिकार्यक्रम का संकल्प करते समय धर्माधिकारी साहब ने माँ कस्तुरबा को समर्पित जीवन का बार-बार आदरपूर्वक उल्लेख किया था। धर्माधिकारी साहब कार्य-कर्तृत्त्व के आगे हम जैन परिवार, जैन उद्योग समूह के सहयोगी, गांधी रिसर्च फाउण्डेशन के सहयोगी, उन्होंने तैयार किये हुए कार्यकर्ता हमेशा नतमस्तक और कृतज्ञ रहेंगे। उनकी प्रेरणा से हाथों में लिए हुए कार्य की निश्चित रुप से संकल्पपूर्ति होगी…यहीं उन्हें सार्थक श्रद्धांजलि!