ये है मामला
शिकायतकर्ता देवेन्द्र श्रीवास तनय सुंदरलाल श्रीवास निवासी ग्राम सौंरा थाना ओरछा रोड ने बताया कि विगत रोज वह अपने छोटे भाई दीपेन्द्र के साथ गौतमनगर कॉलोनी सौंरा रोड पर दूध लेने जा रहे थे तभी सामने से एक बाइक पर कोतवाली में पदस्थ आरक्षक संतराम अहिरवार के दोनों पुत्र सिद्धार्थ अहिरवार, सचिन अहिरवार एवं उनकी बहू तीनों आ रहे थे। एक बाइक पर सवार उक्त तीनों लोगों का संतुलन बिगड़ा और इनकी गाड़ी मेरी बाइक में जाकर टकरा गई। टक्कर के बाद संतराम अहिरवार के दोनों बेटों ने हम लोगों के साथ गाली-गलौच शुरू कर दी और मारपीट करने लगे। इसके तुरंत बाद अपने पिता संतराम अहिरवार को फोन लगा दिया। पिता संतराम वर्दी पहनकर अपने आरक्षक साथी तोमर के साथ घटना स्थल पर पहुंचे और हम लोगों के साथ बुरी-बुरी गालियां देते हुए मारपीट करने लगे।
हम लोगों ने माफी मांगी और यह भी कहा कि यदि एक्सीडेंट में कोई नुकसान हुआ है तो उसका हर्जाना भी भर देंगे फिर भी संतराम अहिरवार वर्दी का रौब दिखाते रहे और गाड़ी जब्त कर कोतवाली ले गए। देवेन्द्र ने पुलिस अधीक्षक को बताया कि हादसा दो बाइकों के बीच हुआ है और संतराम अहिरवार के दोनों बेटे एवं बहू तीन लोग बाइक पर सवार थे तो यातायात नियमों के हिसाब से कार्यवाही उनके विरूद्ध होनी चाहिए। इस बीच हमारे साथ मारपीट की गई हमने इस बात की भी रिपोर्ट दर्ज करानी चाही लेकिन कोतवाली में पदस्थ एसआई जेपी प्रजापति ने भी हमें गालियां दीं और कहा कि संतराम कोतवाली में पदस्थ हैं उनके खिलाफ कोई एफआईआर नहीं हो सकती। वर्दी की आड़ में संतराम अहिरवार ने न सिर्फ सरेराह मारपीट कर गुण्डागर्दी की बल्कि हमारे विरूद्ध झूठी एफआईआर भी दर्ज करा दी। अब पीडि़त परिवार ने पुलिस अधीक्षक से मामले की निष्पक्ष जांच कराने और सिपाहियों के विरूद्ध कार्यवाही करने की मांग उठाई है।