डिब्रूगढ़ (तेज समाचार डेस्क). असम के डिब्रूगढ़ में देश के सबसे लंबे रेल-रोड पुलि बोगीबील का उद्घाटन सोमवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के हाथों किया गया. इस पुल का निर्माण अटल बिहारी बाजपेयी के शासन काल में शुरू हो गया था, लेकिन बाजपेयी जी की सरकार जाने के बाद यूपीए के शासन काल में इस पुल का निर्माण काफी धीमी गति से होता रहा. इसके बाद 2014 में भाजपा की सरकार बनने के बाद इस पुल के निर्माण को एक बार फिर गति मिली और सोमवार को यह पुल प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देश को समर्पित किया.
– ब्रह्मपुत्र पर बना है 4.94 किलोमीटर लंबा पुल
ब्रह्मपुत्र नदी के उत्तर और दक्षिण तट को यह पुल जोड़ेगा. पुल की लंबाई 4.94 किमी है. एक अफसर के मुताबिक 25 दिसंबर को सरकार गुड गवर्नेंस दिवस मना रही है. इसी मौके पर प्रधानमंत्री ने देश की जनता को पुल की सौगात दी. पुल से मिलिट्री टैंक गुजर सकते हैं. जरूरत पड़ने पर लड़ाकू विमान भी पुल पर लैंड कर सकते हैं.
– अटलजी सरकार दोबारा आई होती, तो 2007-08 में ही बन जाता पुल
मोदी ने कहा, ”यहां कुछ लोग ऐसे होंगे,जो 16 साल पहले भी यहां आए होंगे, जब अटलजी ने इसका शिलान्यास किया था. दुर्भाग्यवश 2004 में सरकार जाने के बाद कई प्रोजेक्टों की तरह यह भी अटक गया. अटलजी की सरकार को दोबारा मौका मिलता तो यह ब्रिज 2007-08 में ही बन जाता. 2014 में सरकार बनने के बाद हमने सारी बाधाओं को दूर किया और गति दी. करीब 6 हजार करोड़ की लागत से बना यह पुल आज अटलजी के जन्मदिवस के मौके पर समर्पित किया गया. आज यहां के लोगों के चेहरों पर खुशी देखकर अटलजी की आत्मा को खुशी मिलेगी.”
– 1997 में देवेगौड़ा ने किया था शिलान्यास
1997 में संयुक्त मोर्चा सरकार के प्रधानमंत्री एचडी देवेगौड़ा ने पुल का शिलान्यास किया था, वहीं 2002 में अटल बिहारी वाजपेयी सरकार ने इसका निर्माण शुरू किया था. पुल के पूरा होने में 5920 करोड़ रुपए की लागत आई. बीते 16 साल में पुल के पूरा होने की कई डेडलाइन चूकीं. इस पुल से पहली मालगाड़ी 3 दिसंबर को गुजरी. बोगीबील पुल को अरुणाचल से सटी चीन सीमा तक विकास परियोजना के तहत बनाया गया है. भारत-चीन सीमा करीब चार हजार किमी लंबी है.
– असम-अरुणाचल के बीच की दूरी 10 घंटे घटी
बोगीबील पुल इंजीनियरिंग का अद्भुत नमूना बताया जा रहा है. यह असम के डिब्रूगढ़ से अरुणाचल के धेमाजी जिले को जोड़ेगा. इससे असम के डिब्रूगढ़ से अरुणाचल के धेमाजी के बीच दूरी 700 किलोमीटर घटकर करीब 180 किलोमीटर रह जाएगी. इस सफर में लगने वाला वक्त 19 घंटे कम हो जाएगा. नॉर्थईस्ट फ्रंटियर रेलवे के सीपीआरओ प्रणब ज्योति सरमा के मुताबिक, “ब्रह्मपुत्र नदी पर पुल बनाना चुनौतीपूर्ण था. इस इलाके में बारिश ज्यादा होती है. सीस्मिक जोन में होने के चलते यहां भूकंप का खतरा भी होता है. पुल कई लिहाज से खास है.
– सेना के लिए भी उपयोगी होगा पुल
रेलवे द्वारा निर्मित इस डबल-डेकर पुल से ट्रेन और गाड़ियां दोनों गुजर सकेंगी. ऊपरी तल पर तीन लेन की सड़क बनाई गई है. नीचे वाले तल (लोअर डेक) पर दो ट्रैक बनाए गए हैं. पुल इतना मजबूत बनाया गया है कि इससे मिलिट्री टैंक भी निकल सकेंगे. बोगीबील एशिया का दूसरा सबसे लंबा रेल-रोड ब्रिज है. पुल का जीवनकाल 120 साल बताया गया है. पुल को बनाने में 30 लाख सीमेंट की बोरियों का इस्तेमाल किया गया. इतनी सीमेंट से 41 ओलिंपिक स्वीमिंग पूल बनाए जा सकते हैं. वहीं, पुल को बनाने में 12 हजार 250 मीटर लोहे (माउंट एवरेस्ट की ऊंचाई से दोगुने) का इस्तेमाल किया गया.