प्रयागराज: पाण्डवों ने की थी ‘पाण्डेश्वर महादेव’ की स्थापना
प्रयागराज (तेज समाचार डेस्क): त्रिवेणी संगम से लगभग बारह किलोमीटर दूर स्थित पाण्डेश्वर महादेव मंदिर में श्रद्धालुओं की गहरी आस्था है। श्रावणमास में शिवभक्तों की काफी भीड़ रहती है। इस बार कोरोना महामारी के कारण दर्शनार्थियों में कमी है। ऐसी मान्यता है कि इस मंदिर की स्थापना महाभारत काल खण्ड में वनवास के दौरान पांच पांडवों ने की थी।
मान्यता है कि वनवास के दौरान जब अज्ञातवास का समय आया तो पाण्डव यहां रात्रि विश्राम के लिए रुके और सफाई करते समय अतिप्राचीन शिवलिंग जमीन से बाहर निकला हुआ दिखाई दिया। शिवलिंग की प्रथम पूजा करने का श्रेय पाण्डवों को प्राप्त हुआ। जिसके बाद से पाण्डेश्वर महादेव के नाम से प्रसिद्ध हो गया। अपनी मनोकामना पूर्ण करने के लिए दूर दूर से श्रद्धालु जलाभिषेक करने के लिए आते हैं।
एक और मान्यता है कि शिवजी के अग्रज ब्रह्मा जी के मानसपुत्र सनक, सनन्दन, सनातन और सनत्कुमार चारों ब्रह्मर्षियों की तपस्थली है। इतिहासकारों और विद्वानों का मानना है कि पड़िला महादेव मंदिर का शिवलिंग स्वंभू है और बाबा बैजनाथ धाम में स्थापित शिवलिंग के समान है। पड़िला महादेव मंदिर के अतिरिक्त बाबा बैजू नाथ का मंदिर तालाब के किनारे स्थापित है। इसके साथ ही हनुमान मंदिर समेत कई देवी-देवताओं के मंदिर है।
तीन वर्ष में पुरषोत्तममास में लगता है मेला
पड़िला महादेव मंदिर में श्रद्धालु दर्शन करने के लिए प्रतिदिन आते रहते हैं। प्रत्येक महाशिवरात्रि को मेला लगता है। तीन वर्ष के बाद पुरषोत्तम मास जिसे मलमास भी कहते हैं। यहां एक माह के लिए मेला लगता है। इस दौरान बाबा भोलेनाथ का जलाभिषेक करने के लिए दूर-दराज से श्रद्धालु आते हैं।
पड़िला महादेव मंदिर के समीप दूर दराज से आने वाले श्रद्धालुओं को रुकने के लिए सामाजसेवियों ने धर्मशालाएं भी बनाई है। यहां लोग मन्नतें पूरी होने पर श्रद्धा स्वरूप पताका लेकर चढ़ाने भी आते हैं।
मंदिर के पुजारी देवेन्द्र गिरी ने बताया कि वर्ष 2014 में जब केन्द्र में बीजेपी की सरकार आने के बाद केशव प्रसाद मौर्य ने काफी ध्यान दिया। अब तो वह उपमुख्यमंत्री है। मंदिर क्षेत्र में शौचालय, नाली सड़क चौड़ीकरण और बाईपास मार्ग बनाने से श्रद्धालु एवं आम जनता को लाभ मिल रहा है।