पुणे (तेज समाचार डेस्क). हमारे देश में डॉक्टर को भगवा का दूसरा रूप कहा जाता है, लेकिन वर्तमान समय में डॉक्टरों का अपने पेशे और मरीजों के प्रति रवैया पूरी तरह से बदल गया है. अब लोग डॉक्टर के पास जाने से घबराते है. क्योंकि इन डॉक्टरों के लिए मरीज की जिन्दगी से ज्यादा महत्वपूर्ण पैसा हो गया है. जिन मरीजों के पास पैसा नहीं होगा, उनका इलाज करने में निजी डॉक्टर कन्नी काटते है. जब से देश में कोरोना महामारी का संकट छाया हुआ है, डॉक्टरों की भूमिका सबसे महत्वपूर्ण रही है. लेकिन इस दौरान भी देखा गया है कि निजी अस्पताल मरीजों से मनमाना पैसा वसूल कर रहे हैं और कई अस्पताल तो कोरोना मरीजों का इलाज तक करने से मना करने लगे है. हाल ही में कई ऐसे मामले सामने आए है, जहां इन निजी अस्पतालों ने पैसों के अभाव में इलाज के लिए मना कर दिया या पैसों के लिए मृत मरीज की डेडबॉडी देने से मना कर दिया. पुणे में भी ऐसे ही मामले समाने आने के बाद अब मनपा प्रशासन इस दिशा में पूरी तरह से रख्त हो गया है और इलाज न करनेवाले निजी अस्पतालों पर कार्रवाई की चेतावनी इन अस्पतालों ने दी है.
– कानूनी कार्रवाई की चेतावनी शहर में कोरोना का कहर देखकर शहर के सभी निजी डॉक्टरों द्वारा अस्पताल, ओपीडी व पैथोलॉजी लैब बंद रखे गए थे. इससे मनपा प्रशासन पर पूरा बोज आ रहा थी. साथ ही छोटीसी बीमारियों पर नागरिकों को उपचार नहीं मिल रहा था. इस वजह से प्रशासन ने अस्पताल, लैब शुरू रखने की जाहिर अपील की थी. उसके बाद अस्पताल शुरू तो किए हैं, लेकिन इन अस्पतालों द्वारा लोगों को स्वास्थ्य सुविधा नहीं दी जा रही है. लोगों को वापस भेजने का काम ये अस्पताल कर रहे हैं. इससे लोगों की साथ ही राजनेताओं की शिकायतें आ रही है. जो अस्पताल तत्काल उपचार नहीं देंगे उनपर क़ानूनी कार्रवाई करने की चेतावनी मनपा प्रशासन द्वारा दी गई है.
– जन प्रतिनिधि व नागरिकों की मिल रही शिकायतें
मनपा प्रशासन द्वारा जाहिर अपील की गई थी कि निजी अस्पताल, लैब, ओपीडी, डिसपेंसरी व नर्सिंग होम, क्लिनिक अब शुरू किए जाए. ताकि नॉन कोविड मरीजों को स्वास्थ्य की सुविधा मिले. यह करते समय सोशल डिस्टन्सिंग, मास्क लगाना, ऐसे सभी नियमों का पालन करना अनिवार्य है. जो लोग अपील को प्रतिसाद नहीं देंगे, उन्हें मनपा द्वारा चेतावनी दी गई थी. जो सहायता नहीं करेंगे साथ ही पुख्ते सबूत ना होकर जो अस्पताल बंद रखेंगे, उन पर कड़ी से कड़ी कार्रवाई की जाएगी. इस चेतावनी के बाद अस्पताल तो शुरू किए लेकिन निजी अस्पतालों की सहायता नहीं मिल रही है. राज्य सरकार के निर्देश का भी पालन ये अस्पताल नहीं कर रहे है. इस वजह से ऐसे अस्पतालों पर कड़ी कार्रवाई करने की मांग राजनेता व लोग कर रहे है. निजी अस्पताल कोरोना संक्रमितों पर उपचार नहीं कर रहे है. उसके लिए बहाने बनाए जा रहे है. इस वजह से जो अस्पताल स्वास्थ्य सुविधा व तत्काल उपचार नहीं देंगे उनपर क़ानूनी कार्रवाई करने की चेतावनी मनपा प्रशासन द्वारा दी गई है. हाल ही में मनपा आयुक्त शेखर गायकवाड़ ने यह निर्देश जारी किए है.
– पूना अस्पताल को भेजा कारण बताओ नोटिस
चेतावनी देने के साथ ही प्रशासन ने इस पर कार्यवाही करना भी शुरू किया है. शहर के जानेमाने सदाशिव पेठ इलाके के पूना अस्पताल एंड रिसर्च सेंटर को कारण बताओ नोटिस भेज दी है. अस्पताल द्वारा दो संक्रमितों पर उपचार करने के लिए नकार दिया गया व उन्हें दूसरे अस्पताल भेजा गया. साथ ही उन्हें एम्बुलेंस के माध्यम से भेजने के बजाय रिक्शा के माध्यम से भेजा गया. यह बात इससे मरीजों को काफी तकलीफों का सामना करना पड़ा. यह बात गलत है साथ ही डॉक्टर के व्यवसाय के लिए भी हानिकारक है. इस वजह से इसका खुलासा 24 घंटे में करने के निर्देश मनपा द्वारा अस्पताल को दिए गए है. उचित खुलासा नहीं हुआ तो कार्रवाई की चेतावनी भी मनपा आयुक्त द्वारा दी गई है.