पुणे (तेज समाचार डेस्क). ग्राम पंचायत चुनावों में अपना निर्विवाद वर्चस्व कायम रखते हुए राष्ट्रवादी कांग्रेस ने एकबार फिर से साबित कर दिया है कि पुणे जिले के बादशाह वही हैं. 752 ग्रामपंचायतों में से 518 में राकां ने अकेले ही परचम लहराया. जबकि कई ग्राम पंचायतों में महाविकास आघाड़ी के साथ उसने जीत दर्ज की. वहीं भाजपा की बची खुची लाज भी इस चुनाव में चली गई. पिछले कई वर्षों से उसके जो गढ़ बचे हुए थे, उसे भी उसने इस चुनाव में गंवा दिए.
– मतगणना केन्द्रों पर कार्यकर्ताओं की भीड़
ज्ञात हो कि 752 ग्रामपंचायतों में से 95 में ग्राम पंचायत सदस्यों का निर्विरोध चयन हुआ था. जबकि 649 में शुक्रवार को चुनाव हुए थे. करीब 80.54 फीसदी मतदान हुआ था. वहीं एक ग्राम पंचायत में ग्रात वासियों द्वारा चुनाव का बहिष्कार करने से वोटिंग नहीं हुई. करीब 11 हजार 7 उम्मीदवारों के भाग्य का फैसला सोमवार को हुआ. सुबह से ही मतगणना केंद्रों पर नतीजे जानने के लिए लोगों की भीड़ लगी हुई थी.
– और मजबूत हुआ बारामती का किला
बारामती तहसील के 51 ग्राम पंचायतों में से 50, इंदापुर के 60 में से 37, शिरुर में 62 में से 45, आंबेगाव में 29 में से 16, भोर में 69 में से 35, वेल्हा में 31 में से 16, खेड में 90 में से 75, दौंड में 51 में से 30, मावल में 57 में से 40, मुलशी में 45 में से 37, जुन्नर में 64 में से 40, खड़कवासला में 22 में से 17, पुरंदर में 68 में से 35, हवेली में 52 में से 45 ग्रामपंचायतों में राष्ट्रवादी के विचारों वाले ग्रामपंचायत सदस्य विजयी हुए हैं. इसके अलावा कुछ ग्रामपंचायतों में महाविकास आघाडी के उम्मीदवार विजयी हुए. इसमें शिरुर, आंबेगाव, वेल्हा, खेड, मुलशी, जुन्नर, तहसील शामिल हैं.
– शिवेसेना का अभेद्य किला पुरंदर
इन चुनावों में शिवेसेना ने अपना पुरंदर का किला अभेद्य बनाए रखा. सेना ने अकेले ही सर्वाधिक २० ग्राम पंचायतों पर अधिकार जमाया, तो कांग्रेस को ८, राष्ट्रवादी को ७, भाजपा को २ ग्रामपंचायतों में जीत मिली.
खेड-शिवापुर ग्रामपंचायत भी शिवसेना के कब्जे में रही. शिवसेना जिलाध्यक्ष रमेश बापू कोंडे ने शिवसेना के गढ़ को बरकरार रखा. 11 में से 9 ग्राम पंचायत शिवसेना ने जीते. तो राष्ट्रवादी को 2 ग्राम पंचायत से संतोष करना पड़ा. जबकि जुन्नर तहसील के सबसे बड़े ओतूर ग्रामपंचायत में शिवसेना को मात खानी पड़ी. राष्ट्रवादी कांग्रेस ने १७ में से ११ ग्राम पंचायत जीत कर शिवसेना से उनका गढ़ हथिया लिया. शिवसेना के पूर्व सरपंच बालासाहेब घुले भी हार गए.
– मावल भी नहीं बचा पाई भाजपा
पुणे जिले की मावल तहसील ग्रांम पंचायत पर सभी की नजरें लगी हुई थी. कई वर्षों बाद आखिर में भाजपा अपना यह गढ़ बचाने में नाकामयाब रही. 57 में से 45 ग्रामपंचायतों में महाविकास आघाडी ने अपना परचम लहराया. राष्ट्रवादी के विधायक सुनील शेलके ने भाजपा को धक्का दिया.
– भोर ग्रामपंचाय में चिट्ठी के जरिए नतीजे
भोर ग्राम पंचायत के दिवले, वेलू, व जांभली गांव में उम्मीदवारों को समान वोट मिलने से नतीजा चिट्टी निकाल कर किया गया.