पुणे (तेज समाचार डेस्क). महापालिका आगामी काल में किसी निजी कंपनी से बिजली खरीदी कर सकती है. हाल ही में यह संकेत मनपा आयुक्त शेखर गायकवाड़ ने दिए है. आयुक्त का कहना है कि बिजली पर मनपा का खर्चा बढ़ रहा है. इस पर रोक लगाने के लिए विद्युत विभाग को आयुक्त ने यह सूचना की है. इस बीच अब विद्युत विभाग भी जल्द ही विज्ञापन जारी कर विभिन्न कंपनियों से दर मंगाएगी. जल्द ही यह प्रक्रिया शुरू होगी. ऐसी जानकारी मनपा के वरिष्ठ सूत्रों द्वारा दी गई.
– हर साल 60-65 करोड़ खर्चा बिजली पर
ज्ञात हो कि महापालिका की ओर से स्ट्रीट लाइट के तहत शहर में बिजली दी जाती है. इसके साथ ही मनपा भवन, 15 क्षेत्रीय कार्यालय, नाट्यगृह साथ ही शेष आस्थापना को भी मनपा द्वारा बिजली दी जाती है. बिजली की खरीदी मनपा द्वारा महावितरण यानी MSEDC द्वारा की जाती है. इसके दर भी ज्यादा होते है. इसके लिए मनपा को प्रति माह 5 करोड़ से अधिक का बिजली बिल आता है. यानी सालभर में 60-65 करोड़ का बिजली बिल मनपा भरती है. इस पर बचत करने के निर्देश मनपा आयुक्त ने दिए है. उसके लिए निजी कंपनी से बिजली खरीदी करने की सूचना आयुक्त ने विद्युत विभाग से की है. मनपा आयुक्त द्वारा हाल ही में कोरोना पर पूरा ध्यान दिया गया है. ऐसा होने के बावजूद भी समय निकालकर उन्होंने विद्युत विभाग व लेखापाल विभाग के कामकाज व खर्चा का ब्यौरा लिया. इस अवसर पर आयुक्त के साथ विद्युत के मुख्य अभियंता श्रीनिवास कंदुल, मुख्य केमिस्ट असलम शेख साथ ही विभाग के कई अधिकारी उपस्थित थे. आयुक्त के इस कार्यपद्धति को लेकर उनकी सराहना की जा रही है.
– विद्युत, गैस दाहिनी के खर्चा पर ध्यान दे
महापालिका भवन व क्षेत्रीय कार्यालय द्वारा श्मशानभूमि में गैस दाहिनी, विद्युत दाहिनी की सेवाए दी जाती है. लेकिन इसके खर्चा पर प्रशासन द्वारा ध्यान नहीं जाता. इसके मरम्मत पर हर साल लाखों खर्च किए जाते है. इसमें बचत करने के लिए इसके खर्चा का अभ्यास करने की सूचना आयुक्त ने विभाग से की. साथ ही इसके लिए ऑटो इंजीनियरिंग कॉलेज के छात्र हाइयर करने के लिए भी कहा है. आयुक्त ने आगे यह भी कहा की क्षेत्रीय कार्यालय द्वारा जो कामकाज किया जाता है, उसपर एक निति बनाने की आवश्यकता है. इससे खर्चा में बचत हो सकती है.
– मैलापनी शुद्धिकरण केंद्र के लिए बनाए नीति
महापालिका के पास गंदे पानी पर प्रक्रिया करने 10 एसटीपी प्लांट यानी मैलापनी शुद्धिकरण केंद्र है. आगामी काल में और 11 केंद्र बढ़ सकते है. लेकिन हाल ही में जो प्रकल्प हैं, वह पूरी क्षमता से काम नहीं कर रहे है. साथ ही प्लांट से पानी कर प्रक्रिया कर जो पानी नदी में छोड़ दिया जाता है. उसके इस्तेमाल को लेकर नीति बनाने की सूचना आयुक्त ने की है. इस पानी का इस्तेमाल उद्यानों के लिए भी किया जा सकता है. ऐसा भी उन्होंने कहा.