– जनवरी से अब तक 17 हजार 933 पुणेकरों को इन प्राणियों ने काटा
पुणे (तेज समाचार डेस्क). शहर में पुणेकरों को आवारा कुत्तों के साथ आवारा बिल्लियों ने भी परेशान किया हुआ है. इन दोनों पशुओं द्वारा लोगों को काटने का प्रमाण बढ़ गया है. इसके साथ ही अब महापालिका स्वास्थ्य विभाग की जानकारी के अनुसार सामने आ रहा है कि मकड़ी भी पुणेवासियों को काटती है. जनवरी माह से अब तक ऐसे 59 लोगों को मकड़ी द्वारा काटा गया है. तो कुत्ते, बिल्ली व बंदर, ऐसे प्राणियों ने जनवरी माह से अब तक करीब 17 हजार 933 पुणेवासियों पर हमला किया है. इससे पुणेकरों के साथ ही महापालिका प्रशासन भी परेशान है.
– कोई कारगर प्रशासनिक उपाय नहीं
शहर में आवारा कुत्तों से नागरिकों को परेशान किया जाता है. इस पर रोक पाने के लिए महापालिका प्रशासन की ओर से कई उपाययोजनाएं की जाती है. इसके तहत कुत्तों की नसबंदी की जाती है. ऐसा करने के बावजूद भी मनपा को इस पर रोक पाने के लिए सफलता नहीं मिल रही है. इस बीच अब आवारा कुत्तों के बाद महापालिका आवारा बिल्ली का पीछा करेगी. आवारा बिल्लियों का स्वास्थ्य सही सलामत रखने एवं उन पर रोक पाने के लिए मनपा अब उपाययोजना करेगी. उसके लिए मनपा को 1 करोड़ 20 लाख की लागत आएगी. इसको मुंबई मनपा के तर्ज पर टेंडर प्रक्रिया लागू की गई थी. लेकिन इसे प्रतिसाद ना मिलने की वजह से अब इसको लेकर फिर से टेंडर प्रक्रिया लागू की जाएगी. मनपा द्वारा इतने सारे उपाय करने के बावजूद भी प्रशासन को इसमें सफलता नहीं मिल पा रही है. लेकिन इससे पुणेवासी त्रस्त है.
– कुत्तों का हमला करने का प्रमाण ज्यादा
महापालिका स्वास्थ्य विभाग के अनुसार प्राणियों द्वारा किए हमलों की जानकारी महापालिका जुटाती है. इसके अनुसार इस पर उपाययोजनाएं की जाती है. इससे सामने आया कि कुत्ते, बिल्ली के साथ ही बंदर भी पुणेवासियों पर हमला करते है. लेकिन इसमें कुत्तों का हमला करने का प्रमाण ज्यादा है. महापालिका द्वारा इसके तहत विभिन्न गुट बनाए है. इसमें पालतू कुत्तों का हमला करने का प्रमाण 8 हजार 553, पेट का प्रमाण 1 हजार 972, आवारा कुत्तों का प्रमाण 6 हजार 581 तो बंदर का प्रमाण, 59 है. तो बिल्लियों ने जनवरी माह से अब तक करीब 768 लोगों पर हमला किया है. कुत्ते, बिल्ली व मकड़ी, ऐसे प्राणियों ने जनवरी माह से अब तक करीब 17 हजार 933 पुणेवासियों पर हमला किया है. स्वास्थ्य विभाग के अनुसार नागरिकों पर उपचार करने के लिए विभिन्न अस्पतालों में सुविधा दी गई है. साथ ही ऐसे प्राणियों पर रोक पाने के लिए भी उपाययोजनाएं की जाती है.