पुणे (तेज समाचार डेस्क). राफेल विमान खरीदारी भ्रष्टाचार मामले में केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में बंद पैकेट में कुछ जानकारी भेजी थी. इस जानकारी के आधार पर कोर्ट ने राफेल खरीदारी व्यवहार में कोई भ्रष्टाचार नहीं होने का स्पष्ट कर इस मामले में हस्तक्षेप करने से इंकार किया है. सरकार द्वारा दी गई जानकारी गलत है. कोर्ट ने गलत जानकारी के आधार पर जांच की मांग करने की याचिका खारिज की है. यह आरोप पूर्व मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण ने पुणे में लगाया. इस पूरे मामले की संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) द्वारा जांच करना जरूरी है. हमारी सरकार आने पर हम जांच कर दोषियों पर कार्रवाई करेंगे. यह भी उन्होंने बताया.
राफेल मामले में केंद्र सरकार को सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को क्लीनचीट दी. इस बारे में पुणे के कांग्रेस भवन में आयोजित पत्रकार-वार्ता में पृथ्वीराज चव्हाण बोल रहे थे. इस अवसर पर पूर्व मंत्री हर्षवर्धन पाटिल, विधायक अनंत गाडगिल, पूर्व विधायक मोहन जोशी, अभय छाजेड़, कमल व्यवहारे, नीता परदेशी, अजीत दरेकर व सुजाता शेट्टी आदि उपस्थित थे. पृथ्वीराज चव्हाण ने कहा कि संसद की लोकलेखा समिति के सामने प्रस्तुत किए गए विमान की कीमत बताने के कागजात केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में पेश किए हैं. लेकिन इस प्रकार के कोई भी कागजात समिति के सामने नहीं आए हैं. देश के एयरफोर्स में वर्ष 1985 से फाइटर विमानों की खरीदी नहीं होने से एयरफोर्स में 126 फाइटर विमानों की जरूरत है, ऐसा बताया था. उसी के अनुसार वर्ष 2001 से विमान खरीदी की हलचलें शुरू हुई थीं. शुरूआत में यूपीए के कार्यकाल में एक विमान की कीमत 333 करोड़ रुपए तय की गई थी. बाद में उसमें वृद्धि कर 528 करोड़ रुपए की गई. उसके बाद अप्रैल 2015 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने फ्रांस दौरे पर जाने से पहले 7 वर्षों में जारी टेंडर प्रक्रिया सीधे रद्द की, लेकिन फ्रांस में राजनैतिक दैट के बाद मोदी ने 36 राफेल विमान लेने का निर्गय किसी भी विश्वास में लिए बगैर घोषित किया. उस वक्त के साथ टेंडर की दूसरी कंपनी यूरो फाइटर ने तकनीक सुधार कर 20 प्रतिशत रकम कम करेंगे, यह भी बताया था. संसद में रक्षा राज्यमंत्री सुभाष भामरे ने 36 विमान 60 हजार करोड़ रुपए में खरीदे जाएंगे, एक दिन की कीमत 670 करोड़ रुपए बताई थी. लेकिन प्रत्यक्ष में एक विमान सरकार ने 1670 करोड़ रुपए में खरिदा है. 36 हजार करोड़ रुपए फ्रांस की कंपनी को अतिरिक्त दिए हैं. इसलिए यह रुपए कहां गए? इसका स्पष्टीकरण सरकार नहीं दे रही. विमान खरीदी का फैसला पांच महत्वपूर्ण मंत्रियों की कैबिनेट सुरक्षा कमेटी ने लिया है. उन पर प्रधानमंत्री का दबाव है. आगामी लोकसभा चुनाव में राफेल विमान खरीदी भ्रष्टाचार का मुख्य मुद्दा रहेगा. केंद्र में हमारी सरकार आने के बाद हम विमान खरीदी मामले की नई जांच कर दोषियों पर कार्रवाई करेंगे. लेकिन राफेल का मुद्दा सिरदर्द साबित हो रहा है, यह सोचकर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ द्वारा मुख्य व्यक्ति को हटाया गया तो राफेल मुद्दे का मूल कारण ही गायब हो जाएगा.

