नई दिल्ली (तेज समाचार डेस्क). फ्रांस के मेरिनेक एयरबेस से 5 राफेल फाइटर विमानों का पहला बैच भारत के लिए रवाना हो चुका है. पायलटों को आराम देने के लिए विमान ने यूएई में सेफ लैंडिंग की है. भारतीय वायुसेना ने बताया कि करीब 7 घंटे बाद सभी 5 राफेल यूएई के अल-दफरा एयरबेस पर सेफ लैंड कर चुके हैं. 7 हजार किमी की दूरी तय कर यह बैच बुधवार 29 जुलाई को भारत पहुंचेगा. राफेल विमानों में एयर टू एयर री-फ्यूलिंग भी की जाएगी. इन मल्टी-रोल फाइटर जेट्स के शामिल होने से भारतीय वायुसेना की ताकत कई गुना बढ़ जाएगी. कोरोना महामारी के कारण राफेल विमानों की डिलीवरी लेट हुई है. दिसंबर 2021 में इसके आखिरी बैच के मिलने की उम्मीद है.
– फ्रांस से राफेल की रवानगी तक पूरे समय मौजूद रहे भारतीय राजदूत
राफेल लड़ाकू विमानों की रवानगी के दौरान भारतीय राजदूत जावेद अशरफ भी मेरिनेक एयरबेस पर मौजूद रहे. वे इस दौरान पायलटों से भी मिले. उन्होंने राफेल उड़ाने वाले पहले भारतीय पायलटों को बधाई दी. उन्होंने फ्रेंच एयरफोर्स और राफेल बनाने वाली कंपनी दसॉल्ट एविएशन को भी धन्यवाद दिया.
– अम्बाला एयरबेस पर होगी पांचों राफेल की तैनाती
पांचों राफेल की तैनाती अंबाला में होगी. यहां पर तैनाती से पश्चिमी सीमा पर पाकिस्तान के खिलाफ तेजी से एक्शन लिया जा सकेगा. दिलचस्प बात ये भी है कि अम्बाला एयरबेस चीन की सीमा से भी 200 किमी की दूरी पर है. अंबाला में 17वीं स्क्वाड्रन गोल्डन एरोज राफेल की पहली स्क्वाड्रन होगी. मिराज 2000 जब भारत आया था, तो कई जगह रुका था, लेकिन राफेल एक स्टॉप के बाद सीधे अम्बाला एयरबेस पर उतरेगा.
– परमाणु हमला करने में सक्षम है राफेल
राफेल डीएच (टू-सीटर) और राफेल ईएच (सिंगल सीटर), दोनों ही ट्विन इंजन, डेल्टा-विंग, सेमी स्टील्थ कैपेबिलिटीज के साथ चौथी जनरेशन का फाइटर है. ये न सिर्फ फुर्तीला है, बल्कि इससे परमाणु हमला भी किया जा सकता है.इस फाइटर जेट को रडार क्रॉस-सेक्शन और इन्फ्रा-रेड सिग्नेचर के साथ डिजाइन किया गया है. इसमें ग्लास कॉकपिट है. इसके साथ ही एक कम्प्यूटर सिस्टम भी है, जो पायलट को कमांड और कंट्रोल करने में मदद करता है.
– एम88 जैसे पावरफुल इंजन से युक्त है राफेल
इसमें ताकतवर एम 88 इंजन लगा हुआ है. राफेल में एक एडवांस्ड एवियोनिक्स सूट भी है. इसमें लगा रडार, इलेक्ट्रॉनिक कम्युनिकेशन सिस्टम और सेल्फ प्रोटेक्शन इक्विपमेंट की लागत पूरे विमान की कुल कीमत का 30% है.इस जेट में आरबीई 2 एए एक्टिव इलेक्ट्रॉनिकली स्कैन्ड एरे (AESA) रडार लगा है, जो लो-ऑब्जर्वेशन टारगेट को पहचानने में मदद करता है. राफेल में ग्लास कॉकपिट है. इसके साथ ही एक कम्प्यूटर सिस्टम भी है, जो पायलट को कमांड और कंट्रोल करने में मदद करता है.
– 100 किमी के दायरे में लक्ष्य को ढूंढने में सक्षम
राफेल सिंथेटिक अपरचर रडार (SAR) भी है, जो आसानी से जाम नहीं हो सकता. जबकि, इसमें लगा स्पेक्ट्रा लंबी दूरी के टारगेट को भी पहचान सकता है.इन सबके अलावा किसी भी खतरे की आशंका की स्थिति में इसमें लगा रडार वॉर्निंग रिसीवर, लेजर वॉर्निंग और मिसाइल एप्रोच वॉर्निंग अलर्ट हो जाता है और रडार को जाम करने से बचाता है. इसके अलावा राफेल का रडार सिस्टम 100 किमी के दायरे में भी टारगेट को डिटेक्ट कर लेता है.राफेल में आधुनिक हथियार भी हैं. जैसे- इसमें 125 राउंड के साथ 30 एमएम की कैनन है. ये एक बार में साढ़े 9 हजार किलो का सामान ले जा सकता है.