पुणे (तेज समाचार डेस्क). मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने किसानों के लिए कर्जमाफी की घोषणा की. पर ये रकम सरकार कहां से लाएगी. इसपर सरकार ने कुछ भी नहीं बताया. महा विकास आघाड़ी की सरकार बनाने से पहले शिवसेना, कांग्रेस व राकां ने वादा किया था कि किसानों की सातबारा को कोरा किया जाएगा. पर अब अपने वादे से मुकरते हुए केवल दो लाख रुपए तक के कर्ज ही माफ करने की घोषणा की है. यह किसानों को न्याय नहीं देनेवाली. उक्त टिप्पणी केंद्रीय मंत्री व रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया (आठवले) के नेता रामदास आठवले ने की.
पत्रकार परिषद में उन्होंने सरकार से मांग की है कि किसानों की ही तरह से पिछड़ी जाति के महामंडल की कर्जमाफी करें. समय आने पर आंदोलन करने की चेतावनी भी उन्होंने दी.
आठवले ने कहा कि कांग्रेस व शिवसेना में वीर सावरकर को लेकर मतभेद उभर कर सामने आए हैं. दोनों भिन्न विचारधारा के दल हैं. आगे भी इसी तरह से मतभेद के मुद्दे आते रहेंगे. इसलिए दोनों दलों को अलग हो जाना चाहिए. उन्होंने सलाह दी कि शिवसेना व भारतीय जनता पार्टी एकसाथ आकर सरकार बनाएं. उद्धव ठाकरे के नेतृत्ववाली सरकार अपनी मंत्रिमंडल का विस्तार कब करेगी, समझ में नहीं आता. नागरिकता संशोधन कानून पर उन्होंने कहा कि यह कानून मुस्लिम विरोधी नहीं है. विधेयक केा लेकर मुस्लिमों में भ्रम है. जिसके कारण वे आंदोलन कर रहे हैं. जिसका फायदा विरोधी दल व कांग्रेस उठा रही है. वह मुस्लिमों को भड़का रही है. इस देश में हिंसक आंदोलन सही नहीं है. उन्होंने कहा कि अयोध्या में राम मंदिर के निर्णय पर दोनों धर्मों की ओर से शांति बनाई गई थी. इस विधेयक के बारे में अमित शाह ने संसद में साफ किया था कि इससे इस देश के मुस्लिमों को कोई परेशानी नहीं होगी.
आंबेडकरी विचारों का नक्सलवादी विचारों से कोई संबध नहीं-
उन्होंने कहा कि यह बात सामने आई है कि एल्गार परिषद में नक्सलवादी विचारक थे. भीमा कोरेगांव व एल्गार परिषद दोनों अलग विषय है. हम आंबेडकरवादी हैं. आंबेडकरी विचारों का नक्सलवादी विचारों से कोई संबध नहीं. उन्होंने कहा कि हिंसा का उत्तर हिंसा से देना जायज नहीं. दोषियों पर कार्रवाई होनी चाहिए. एल्गार मामले की पुलिस निष्पक्ष तरीके से जांच करे ऐसी मांग उन्होंने की. उन्होंने नक्सलवादियों को सलाह दी कि नक्सलवादी आंबेडकरवादी बन जाएं.